अमर शहीद श्रीदेव सुमन के 75वे बलिदान दिवस पर आयोजित हुए अनेक कार्यक्रम
सी एम पपनैं
नई दिल्ली। अमर शहीद श्रीदेव सुमन के 75वे बलिदान दिवस पर टिहरी उत्तरकाशी जन विकास परिषद द्वारा गढ़वाल भवन मे श्रद्धाजंलि सभा आयोजित की गई। व्रक्षारोपण, व्याख्यान व काव्यांजलि का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर उत्तराखंड के प्रबुद्ध समाज सेवियों, सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े संस्कृति कर्मियों, फिल्मकारों, साहित्यकारो, पत्रकारो ने बड़ी संख्या मे भागीदारी कर श्रीदेव सुमन के चित्र पर गुलाब की पंखुड़ियां चढ़ा, श्रद्धासुमन अर्पित किए।
श्रद्धाजंलि सभा का प्रारम्भ गढ़वाल भवन पार्क के इर्द-गिर्द पौधा रोपण के साथ प्रारम्भ हुआ। सभागार के मंच पर मोहब्बत सिंह राणा, महावीर सिंह राणा, ज्ञान देव कोठारी, रमेश घिंडियाल, चंद्र मोहन पपनैं, मीना कंडवाल, करुणा भट्ट, प्रदीप वेदवाल, बद्रीप्रसाद पंथवाल, सुरेश भट्ट, रामकिसन जोशी व आजाद सिंह नेगी द्वारा द्वीप प्रज्वलन की रश्म अदायगी के बाद विद्वान वक्ताओं ने अमर शहीद श्रीदेव सुमन के अल्पआयु जीवन काल मे देश की आजादी व टिहरी के लोगों के जनसरोकारों के उत्थान के लिए किए गए विविध ऐतिहासिक कार्यो पर सारगर्भित प्रकाश डाला।
आयोजक टिहरी उत्तरकाशी जन विकास परिषद के अध्यक्ष आजाद सिंह नेगी ने सभागार मे उपस्थित सभी प्रबुद्ध जनो का संस्था की ओर से अभिनन्दन किया। अवगत कराया उनकी संस्था सन 1978 से श्रीदेव सुमन के बलिदान दिवस पर अनेकों कार्यक्रम आयोजित करते रहे हैं। उनके जीवन पर आलेखित नाटक व बच्चो को प्रेरणा देने हेतु अनेकों कार्यक्रम भी संस्था द्वारा आयोजित किए जाते रहे हैं। बना ट्रस्ट समय-समय पर स्वास्थ कैम्प लगाकर लोगो का उपचार करती है। विभिन्न माध्यमो से देश की इस महान विभूति के जीवन पर्यंत किए गए त्याग, संघर्ष व बलिदान पर प्रकाश डाल भविष्य की पीढ़ी को प्रेरणा देने का काम भी करती रही है। श्रीदेव सुमन को उन्होंने महान राष्ट्रवादी शख्शियत व देश की आजादी के मुख्य प्रेरणाश्रोत लोगों की श्रेणी मे स्थान दिया। महात्मागांधी व जवाहर लाल नेहरू का उन्हे निष्ठावान व कर्मठ सहयोगी बताया। नमक सत्याग्रह व भारत छोड़ो आंदोलन का जिक्र कर उनकी निर्भिक भागीदारी व अमिट योगदान का गुणगान किया।
टिहरी के लोगो का दर्द समझ टिहरी सियासत का अंतिम सांस तक विरोध व तत्कालीन सियासत प्रमुख नरेंद्र शाह द्वारा उनको दी गई कष्टप्रद यातनाओं का मार्मिक उद्धरण सुनाया। अवगत कराया छोटी उम्र मे आंदोलन, त्याग, कुर्बानी, कु-प्रथा व अत्याचारों के खिलाफ, राजशाही के खिलाफ व देश की स्वतंन्त्रता की लड़ाई मे उनके द्वारा दिया गया योगदान अविस्मरणीय रहेगा। गढ़वाल महासभा भवन अध्यक्ष मोहब्बत सिंह राणा, चारु तिवारी, बद्रीदत्त अंथवाल, ज्ञानदेव कोठारी व मीना कंडवाल व चंद्रमोहन पपनैं ने अपने संबोधन मे व्यक्त किया श्रीदेव सुमन द्वारा अल्पआयु जीवन मे देश की आजादी के लिए दिया गया अमूल्य योगदान के साथ-साथ टिहरी सियासत के घ्रणित शोषण के खिलाफ उनका संघर्ष, कुरीतियों का विरोध तथा एक पत्रकार , साहित्यकार व प्रबुद्ध समाज सेवी के नाते उनका योगदान इतिहास के अमिट पन्नो मे दर्ज हो गया।
एक चिंतक के नाते ‘टिहरी प्रजा मंडल’ की स्थापना कर उसके बैनर तले किए गए आंदोलनों पर वक्ताओं ने प्रकाश डाला। व्यक्त किया, श्रीदेव सुमन ने टिहरी को अपना बृहद रचनात्मक क्रियाकलापो का क्षेत्र बनाया। यही से लोगो को चेतना का आकाश दिखाया। पत्रकारिता जीवन का रास्ता तलाशा। वक्ताओं ने कहा टिहरी को याद करने का मतलब है एक स्मृद्ध गाथा को याद करना, क्योकि टिहरी ही चेतना के रास्ते को खोलती है। लोगो के जन्म की धारा टिहरी को आगे बढाती है। यह टिहरी के लोगो को जानना आवश्यक है कि पहाड़ की विपदा की मूल धारणा का जन्म टिहरी से ही होता है। इसलिए श्रीदेव सुमन की चेतना ज़िंदा रहनी चाहिए। वक्ताओं ने कहा श्रीदेव सुमन एक व्यक्ति नही आंदोलन थे।जननायक, महानायक थे। सामंतवादी सियासत के खिलाफ अहिंसक आंदोलन करने पर उन पर राजद्रोह का मुकदमा ठोका गया। 1930 तिलारी कांड, टिहरी को बचाने के लिए श्रीदेव सुमन ने बलिदान दिया। लोगो को जागृत कर शराब की दुकानों का विरोध कर गांवो मे स्कूल खुलवाए, टिहरी वासियो को स्वास्थ्य सुविधाए मुहैया करवाई। जल, जंगल व जमीन की लड़ाई लड़ी। दुर्भाग्य आज भी टिहरी पिछड़ा हुआ है। जिस बलिदानी की गाथा के बल लोग आज सत्ता मे पहुचे हैं, वे ही उत्तराखंड के आज सबसे बड़े शोषक व खलनायक बने हुए हैं, सब कुछ उजाड़ व बंजर कर। अपने संबोधन मे वक्ताओं ने व्यक्त किया, श्रीदेव सुमन के बलिदान को अगर सच्चे अर्थों मे याद करना है, श्रद्धाजंलि देनी है तो हमे एकजुट निर्भिक होकर कुरीतियों व शोषण का विरोध करना होगा, यह समय की मांग है। उत्तराखंड के सु-विख्यात कवियों ने श्रीदेव सुमन के जीवन कर्म व उनके बलिदान पर स्वरचित काव्य के द्वारा श्रद्धाजंलि अर्पित की।
रामकिसन जोशी -शैल सुमन श्रीदेव सुमन..श्रद्धासुमन अर्पित करे सुमन को एक फिर..धन्य हो ये युग पुरुष, धन्य हो तेरी जवानी…आज भी याद करता है तुझे…न तोड़ पाई 84 दिन की तपस्या को…धन्य हो जना तुझे, जना जिसने…नत भावुक करे गगन को….कैसे मिट सकती है भला शहीदों की हस्ती…शैल सुमन को एक बार…नत मस्तक करे गगन को। दिनेश ध्यानी-वंदन तुम्हारा श्री चरणों मे, भारत माता वीर सुमन…जनसेवा को ब्रत तुमले ले…देश गुलामी हाल देखी…राजशाही अत्याचार…आंदोलनरत तुम आजीवन…जेल मे तुमले अलख जगे..हत्या करि लाश बगै दी…राजशाही को अंत कर तुमुलै…सुमन त्योर त्याग व्यर्थ नि गोय। डॉ सतीश कालेश्वरी-जय बद्री विशाल…धैल लगानु चावो केदारनाथ…भारत माता को खुटियामो, शीश नवाओ तुम…भगत सिंह रोल गदना.. आली दयप्तो घाटी…मिटण संस्कृति हमारी…केदारनाथ क्वै बुलाण चाव…बद्रीनाथ धै लगान चाव… भारत माता कै तुम शीश चढ़ावा तुम। रमेश घिंडियाल-कतवे साथियो रय्यो दगडियो…जब अपड़ो गढ़वाल, तब जनमे वी पुण्य भूमि मा श्रीदेव सुमन लाल छट बैठीगे…छोड़ी गुलामी आजादी की मारी जब हुंकार…टिहरी को शासन हिलिगे, आजादी की है जै जै कार..देव सुमन की सुणी हुंकार…जब तक सूरज और चंद्रमा, देव सुमन को नाम हमेशा…। गंभीर सिंह कैंथोला-पहले मुझे खूबसूरती का घमंड, अब सड़कों का जाल बनाऊ ….कोंन ज़िंदा है यहां सही मायनों मे…मै देवभूमि हूं…इस मकड़ जाल से मै आहत हूं…हरे भरे पेड नही, कंक्रीट का जंगल हूं…दिखावा अब समय पर भारी है…अब बंजर पड़े हैं खेत-खलिहान…क्यों कि मै देवभूमि हूं। आयोजित श्रद्धाजंलि सभा का मंच संचालन सु-विख्यात मंच संचालक अजय सिंह बिष्ट ने बड़ी सूझबूझ व विद्ता के साथ किया। श्रीदेव सुमन के कुछ अनछुवे पहलुओं पर विद्वता पूर्वक सारगर्भित प्रकाश भी डाला।