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मलेशिया-इंडोनेशिया-बाली की धरती पर हिन्दी का परचम, भारतीय विदुषियों व साहित्यकारों का हुआ भव्य सम्मान

डॉ. पुष्पा जोशी को शोध ऋतु, सृजन एवं शरद पगारे स्मृति सम्मान

Amar sandesh बाली/नई दिल्ली।मलेशिया, इंडोनेशिया और बाली की धरती पर २३ से ३१ अगस्त २०२५ तक आयोजित २५वाँ अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन (रजत पर्व) हिन्दी साहित्य और भारतीय संस्कृति का भव्य महाकुंभ साबित हुआ। इस आयोजन में भारत से पहुंचे अनेक विद्वानों और साहित्यकारों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम को ऐतिहासिक बना दिया।

सम्मेलन में ट्रू मीडिया राष्ट्रीय पत्रिका की सह-संपादक, ट्रू मीडिया महिला काव्य मंच की संरक्षक और गीतांजलि काव्य प्रसार मंच, नई दिल्ली की सचिव डॉ. पुष्पा जोशी को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। उन्हें मुख्य अतिथि पद्मश्री अगुस इंद्र उदयन (बाली) और बाली के विधायक डॉ. सोमवीर द्वारा शोध ऋतु सम्मान, सृजन सम्मान तथा डॉ. शरद पगारे स्मृति सम्मान से अलंकृत किया गया।

इसी अवसर पर ट्रू मीडिया राष्ट्रीय पत्रिका का लोकार्पण भी किया गया। इस मंच से देश के विभिन्न हिस्सों से आए चार विशिष्ट साहित्यकारों को भी मुख्य अतिथि द्वारा सम्मान प्रदान किया गया।

विशेष पहल के अंतर्गत, गीतांजलि काव्य प्रसार मंच, नई दिल्ली की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. गीतांजलि अरोड़ा ने अपने पति श्री नीरज अरोड़ा की स्मृति में पहली बार वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कृष्ण कुमार प्रजापति को शाल, मोमेंटो और धनराशि भेंट कर सम्मानित किया।

इस भव्य आयोजन की लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि इसे लगभग ५२ हजार लोगों ने लाइव देखा। कार्यक्रम के कुछ ही समय बाद रात करीब १ बजे प्रधानमंत्री कार्यालय के सचिव श्री मंगेश धिल्डियाल ने संदेश भेजकर सम्मेलन की सराहना की।

मुख्य अतिथि पद्मश्री अगुस इंद्र उदयन और विधायक डॉ. सोमवीर ने अपने संबोधन में इस सम्मेलन को हिन्दी भाषा और भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहचान को और सशक्त करने वाला बताया तथा इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की।

यह रजत पर्व न केवल हिन्दी की वैश्विक यात्रा का साक्षी बना बल्कि यह भी साबित किया कि हिन्दी आज सीमाओं को पार कर विश्व बंधुत्व और सांस्कृतिक एकता का सेतु बन चुकी है।

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