“हिमालय की कराह सुनिए! डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने दी चेतावनी अब भी नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ियाँ माफ़ नहीं करेंगी”
सुनील नेगी,
दिल्ली।भारतीय जनसंघ के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी, 91 वर्ष की आयु में भी देश, समाज और प्रकृति के प्रति उतनी ही सजगता और सक्रियता रखते हैं जितनी अपने युवा दिनों में। उम्र के इस पड़ाव पर भी उनकी चिंता अब भी राष्ट्र की धरोहर “हिमालय” को लेकर है एक ऐसी चिंता, जो केवल पर्वतों की नहीं बल्कि भारत की आत्मा की रक्षा से जुड़ी है।
हाल ही में अपने 6, रायसीना रोड स्थित आवास पर डॉ. जोशी ने वरिष्ठ पत्रकारों उमाकांत लखेरा, अनिल त्यागी, पंकज वोहरा और लेखक (सुनील नेगी) से लगभग दो घंटे तक निरंतर चर्चा की। बातचीत का विषय था हिमालय की बिगड़ती पारिस्थितिकी, वनों की कटाई, पिघलते ग्लेशियर, ग्लोबल वार्मिंग और अनियंत्रित विकास का दुष्चक्र।
डॉ. जोशी ने स्पष्ट कहा कि“हिमालय केवल भौगोलिक श्रृंखला नहीं, बल्कि भारत की जीवनरेखा है। अगर हिमालय बीमार हुआ, तो पूरा भारत असंतुलित हो जाएगा।”
उन्होंने उत्तराखंड, हिमाचल, कश्मीर और यहाँ तक कि पंजाब तक में बढ़ती मानव-जनित आपदाओं पर गहरी चिंता जताई और केंद्र सरकार से ‘केंद्रीय हिमालयी प्राधिकरण’ के गठन की तत्काल आवश्यकता बताई।
जोशी जी ने बताया कि उन्होंने कश्मीर के पूर्व महाराजा और दार्शनिक डॉ. कर्ण सिंह सहित 55 विद्वानों के हस्ताक्षरयुक्त पत्र को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका के रूप में भेजा है, ताकि चारधाम सड़कों के चौड़ीकरण के निर्णय पर पुनर्विचार किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह निर्णय हिमालय की पहले से नाजुक धरती को और असंतुलित कर देगा।
“पिछले 25 वर्षों में हिमालय की गोद में जिस तरह से विस्फोट और अंधाधुंध निर्माण हुआ है, उसने इसकी आत्मा को घायल कर दिया है। बादलों का फटना, गाँवों का बह जाना और बार-बार की आपदाएँ उसी का परिणाम हैं।”
इस संवाद के दौरान पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, दिल्ली के कैबिनेट मंत्री परवेश वर्मा, समाजसेवी हरीश अवस्थी, जगदीश ममगाईं, भानु भाई, राज्य मंत्री (खादी, उत्तराखंड सरकार) सेमवाल जी, पत्रकार ज़की हैदर सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
डॉ. जोशी ने हिमालय की रक्षा को एक राष्ट्रीय मिशन के रूप में लेने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि यदि हमने अब भी हिमालय की पुकार नहीं सुनी, तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें कभी माफ़ नहीं करेंगी।