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भारतीय रेलवे वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगजनों की सुविधा के लिए लगातार सुधार कर रहा है — अश्विनी वैष्णव

Amar sandesh नई दिल्ली। भारतीय रेलवे वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजनों और अन्य यात्रियों की सुविधा को बढ़ाने के उद्देश्य से निरंतर सुधार कर रहा है। केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

बताया गया कि वरिष्ठ नागरिकों, 45 वर्ष या अधिक आयु की महिला यात्रियों और गर्भवती महिलाओं को उपलब्धता के आधार पर स्वतः निचली बर्थ आवंटित की जाती है। स्लीपर, एसी 3-टियर और एसी 2-टियर में इन श्रेणियों के यात्रियों के लिए उपयुक्त निचली बर्थ का संयुक्त कोटा निर्धारित है, ताकि यात्रा के दौरान सुविधा बनी रहे।

दिव्यांगजन और उनके परिचारकों के लिए सभी मेल/एक्सप्रेस और राजधानी-शताब्दी प्रकार की ट्रेनों में निर्धारित कोटा उपलब्ध है, जिसमें स्लीपर, 3AC/3E और चेयर कार श्रेणियां शामिल हैं। यात्रा के दौरान किसी कोच में निचली बर्थ खाली होने पर उसे वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांग यात्री या गर्भवती महिला को प्राथमिकता के आधार पर आवंटित किया जाता है।

भारतीय रेलवे द्वारा सुरक्षा और यात्री अनुभव को ध्यान में रखते हुए कोचों के डिजाइन में भी व्यापक सुधार किए गए हैं। आरक्षित डिब्बों में प्रवेश और निकास द्वार स्पष्ट रूप से चिह्नित किए गए हैं, जबकि सामान्य कोच में यात्रियों को किसी भी द्वार से आवागमन की सुविधा मिलती है।

लगभग सभी मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों में दिव्यांगजन के लिए अलग कोच उपलब्ध हैं। इन कोचों में चौड़े दरवाजे, चौड़ी बर्थ, बड़े शौचालय, व्हीलचेयर पार्किंग क्षेत्र और सहारा रेल जैसी सुविधाएं दी गई हैं, जिससे दिव्यांग यात्रियों को सुरक्षित और सहज यात्रा अनुभव मिल सके। दृष्टिबाधित यात्रियों के लिए ब्रेल साइनेज भी कोच में लगाए गए हैं।

अमृत भारत और वंदे भारत ट्रेनों को भी दिव्यांगजनों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। वंदे भारत ट्रेनों के पहले और अंतिम डिब्बों में व्हीलचेयर स्थान और अधिक जगह वाले दिव्यांग-अनुकूल शौचालय की व्यवस्था की गई है। इन डिब्बों तथा अमृत भारत के सामान-सह-दिव्यांगजन कोचों में मॉड्यूलर रैंप भी जोड़े गए हैं, जिससे सीमित गतिशीलता वाले यात्रियों के लिए चढ़ना और उतरना आसान हो सके।

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