भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश : धर्मेन्द्र प्रधान
केन्द्रीय पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने रूसी मीडिया के प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत की।प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत करते हुए धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि वर्ष 2019 बहुत महत्वपूर्ण वर्ष था, जिसमें भारत और रूस के मध्य द्विपक्षीय संबंधों ने नई ऊंचाइयों को छुआ। दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक भागीदारी में भी काफी मजबूती आई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस को एक विश्वसनीय भागीदार और एक विशेष मित्र देश बताया। राष्ट्रपति पुतिन ने भारत-रूस संबंधों को सहयोग की नई ऊंचाइयों पर ले जाने की बात कही। ऐसी दो प्रमुख शक्तियों को खोजना बहुत मुश्किल है, जिनके बीच हमारी जैसी भागीदारी विकसित हुई हो।
इस्पात क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों के बारे में श्री प्रधान ने कहा कि हमारे इस्पात उद्योग के विकास में तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा दिए गए योगदान को हम प्रेमसहित याद करते हैं। हम भारतीय इस्पात उद्योग की सहायता करने के लिए रूस के कोकिंग या धात्विक कोयले की आपूर्ति करने की व्यापक क्षमता को मान्यता देते हैं। भारत इस कोयले का बड़े पैमाने पर आयात करता है। मेरी मॉस्को यात्रा में व्लादिवोस्तक जाते हुए हम कोकिंग कोयले के आयात के लिए भारत और रूसी सुदूर पूर्व के बीच सहयोग के विस्तार की व्यापक संभावना की पहचान करने में समर्थ हुए थे। इसके अलावा हमने सुदूर पूर्व के अंतर्देशीय और बंदरगाह लॉजिस्टिक के विकास में निवेश करने और खनन स्थलों के साथ इन बंदरगाहों की कनेक्टिविटी में सुधार करने तथा खनन बुनियादी ढांचे में सुधार करने का अनुरोध किया था। छह महीने से भी कम अवधि के दौरान भारतीय इस्पात निर्माताओं ने सुदूर पूर्व रूस से कोकिंग कोयले के उठाव में महत्वपूर्ण बढ़ोत्तरी की है। मैं आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं देख रहा हूं।
तेल और गैस क्षेत्र में सहयोग के बारे में श्री प्रधान ने कहा कि हमारे सशक्त नेताओं के मार्गदर्शन में हमने हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में भी अपनी गतिविधियों को मजबूत किया है। दोनों देशों के बीच एक ‘ऊर्जा सेतु’ है। जहां रूस तेल और प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, वहीं भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश है। रूस में भारत की तेल और गैस जरूरतों को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत बनने की पूरी क्षमता है। प्रधानमंत्री की सितम्बर में हुई रूस यात्रा के दौरान तेल और गैस सहयोग पर जारी संयुक्त वक्तव्य हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत बनाने की योजना प्रदान करता है। हम भारतीय तेल और गैस क्षेत्र, विशेष रूप से गैस व्यापार, गैस बुनियादी ढांचे और पेट्रोकेमिकल्स में रूसी कंपनियों द्वारा निवेश को आमंत्रित करते हैं।
गैस आधारित अर्थव्यवस्था के बारे में श्री प्रधान ने कहा कि भारत गैस आधारित अर्थव्यवस्था बनने के मार्ग पर भी आगे बढ़ रहा है। भारत प्राकृतिक गैस आपूर्ति और वितरण बुनियादी ढांचा विकसित करने में 60 बिलियन अमरीकी डॉलर से भी अधिक का निवेश कर रहा है। प्रतिस्पर्धी दरों पर रूस से एलएनजी के आयात से हमें मूल्य स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा के उद्देश्यों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
कनेक्टिविटी के बारे में श्री प्रधान ने कहा कि हम रूस के आर्कटिक के माध्यम से कच्चा तेल और एलएनजी के स्रोत के लिए नए समुद्री मार्ग का पता लगाने के इच्छुक हैं। इस मार्ग में रूस से भारत में एलएनजी को लाने के लिए आने वाली लागत और समय में कटौती करने की क्षमता है। सुदूर-पूर्वी रूस और भारत के पूर्वी तट के बीच एक समुद्री लाइन से इस क्षेत्र से कोकिंग कोयले की आपूर्ति सुविधा भी उपलब्ध होगी। कच्चे तेल के स्रोत के बारे में श्री प्रधान ने कहा कि हम अपने कच्चे तेल आपूर्ति संसाधनों में विविधता लाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं और अब हम रूस से भी कच्चे तेल का आयात करने के तरीकों का पता लगा रहे हैं।