आईएफक्यूएम संगोष्ठी 2025 लघु एवं मध्यम उद्यमों को बनाएगी सशक्त*
संगोष्ठी का उद्देश्य भारत को ऐसे उत्पादों एवं सेवाओं के विकास के लिए तैयार करना है जो इसे विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएं; साथ ही देश की विभिन्न कंपनियों में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए उत्कृष्टता केन्द्रों की स्थापना को बढ़ावा देने का भी लक्ष्य
* लेखक–एम. राजेंद्रंन*
नई दिल्ली: भारत सरकार में वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने उद्योग जगत से आग्रह किया कि एचआर की कमी को दूर करने और युवाओं को नए डिजिटल अवसरों के अनुसार तैयार करने के लिए सरकार के साथ साझेदारी करें। उन्होनें ऐसा सिस्टम बनाने के लिए आईएफक्यूएम के प्रयासों की सराहना की, जो युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करता है और भारत के प्रोडक्ट्स, सेवाओं एवं विचारों को विश्वस्तरीय मूल्य श्रृंखला में शामिल करता है।
नई दिल्ली में आयोजित दूसरे इंडियन फाउन्डेशन फॉर क्वालिटी मैनेजमेन्ट (आईएफक्यूएम) सिम्पोसियम को सम्बोधित करते हुए वित्त मंत्री ने उद्योग जगत को सक्रिय योगदान के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होनें कहा, ‘‘अगर सरकार उस दिशा में बढ़ रही है, जैसा कि उद्योग जगत चाहता है, तो निवेश, क्षमता विस्तार और अधिक उत्पादन में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।’ उन्होंने उद्योग जगत को सरकार के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखने और आवश्यक सुधारों के बारे में विचार प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया।
आईएफक्यूएम सिम्पोसियम 2025 की थीम है ‘क्वालिटी एंड इनोवेशन टू मेक इंडिया ग्लोबली कॉम्पिटेटिव’। टाटा सन्स के चेयरमैन श्री एन. चन्द्र शेखरन ने सभा को सम्बोधित करते हुए विकसित भारत के महत्व पर रोशनी डाली और कहा कि उद्योग जगत को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।
आईएफक्यूएम का नेतृत्व एक गवर्निंग काउन्सिल’ द्वारा किया जाता है, जिसमें उद्योग जगत के सर्वोच्च प्रतिनिधि शामिल हैं। इस साल की संगोष्ठी में सरकारी लीडर, विश्वस्तरीय विशेषज्ञ, उद्योग एवं अकादमिक जगत के चैम्पियन हिस्सा ले रहे हैं।ं ये सभी प्रतिनिधि विश्वस्तरीय मूल्य श्रृंखला में भारत को भरोसेमंद, मजबूत प्लेयर के रूप में स्थापित करने के एजेंडा पर चर्चा करेंगे।
आईएफक्यूएम में जल्द ही 60 से अधिक अनुभवात्मक शिक्षण समाधानों का समूह शामिल होगा, जो एक्शन लर्निंग के सिद्धान्तों पर आधारित हैं। वर्तमान में इसे असेसमेन्ट एंड काउन्सलिंग और सोल्युशनिंग में 16 से अधिक विशेषज्ञों का समर्थन प्राप्त है। पिछले एक साल में आईएफक्यूएम ने बड़ी कंपनियों के साथ जुड़कर उनकी रूपान्तरण की यात्रा में सहयोग प्रदान किया है।
आईएफक्यूएम द्वारा कई समाधान विकसित किए गए हैं जैसे एमएसएमई की ज़रूरतों के अनुसार गुणवत्ता, उत्पादकता और कौशल को ध्यान में रखते हुए डिजिटल टूल्स; युवाओं को उद्योग जगत की ज़रूरतों के अनुसार तैयार करने के लिए उद्योग एवं अकादमिक जगत के बीच साझेदारियां तथा एकेडमिक रीसर्च के माध्यम से उद्योग जगत के लिए समाधानों का विकास।
तीन एमएसएमई क्लस्टर्स पहले से फंक्शनिंग शुरू कर चुके हैं और चार अन्य क्लस्टर्स जल्द ही इस सूची में शामिल हो जाएंगे। एमएसएमई कंपनियों की संख्या वित्तीय वर्ष के अंत तक 100 तक पहुंच जाएगी।
ये सभी प्रयास आईएफक्यूएम के मानकों को पूरा करने की महत्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देंगे। इसने एक क्वालिटी एक्सीलेन्स पुरस्कार की शुरूआत की है, तीन एमओयू पर विचार चल रहा है। एक साल के भीतर आईएफक्यूएम ने छह केस स्टडी प्रोजेक्ट्स, 12 संस्थान और 26 लर्निंग समाधान तैयार किए हैं तथा 20 सदस्य कंपनियों के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाया है। बैंगलोर एयरपोर्ट के नज़दीक आगामी आईएफक्यूएम एकेडमी का उद्घाटन वित्तीय वर्ष 2026-27 में किया जाएगा।
एमएसएमई द्वारा गुणवत्ता के उपकरण एवं कौशल हासिल करने के लिए विशेष मानक संचालन प्रक्रियाओं के विकास को अपनाया जा रहा है जैसे डेली वर्क मैनेजमेन्ट, डिजिटल ड्रॉइंग टू मैनुफैक्चरिंग और सप्लाई चेन मैनेजमेन्ट। 10 बड़ी कंपनियां 100 एमएसएमई को सहयोग प्रदान कर रही हैं। आईएफक्यूएम ने 2026 के लिए निर्धारित क्लस्टरों में 100 कंपनियां विकसित करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें से 20 कंपनियां पहले से कार्यरत हैं और 30 विचाराधीन हैं। इसके अलावा क्यूईपी ऐप्लीकेन्ट्स का मूल्यांकन शुरू करने के प्रयास भी जारी हैं।
कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों ने निर्माण की उत्कृष्टता; उत्पादकता एवं प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए गण्ुवत्ता एवं इनोवेशन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया और कहा कि स्थायी विकास को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन, विकास एवं संचालन में गुणवत्ता और सुरक्षा पर ध्यान देना ज़रूरी है। डॉ हंस- जोचिम न्युमैन, एक्ज़क्टिव वाईस प्रेज़ीडेन्ट और हैड ऑफ सप्लाई चेन, मर्क इलेक्ट्रोनिक्स ने उपरोक्त क्षेत्र में भारत की भूमिका पर रोशनी डाली।
एक फायरसाईड चैट में उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने कई महत्वपूर्ण विषयों पर विचार प्रस्तुत किए। इन प्रवक्ताओं में शामिल थे- श्री सौमित्रा भट्टाचार्य, सीईओ और डायरेक्टर, आईएफक्यूएम, श्री विवेक चांद सहगल, चेयरमैन और सह-संस्थापक मदरसन ग्रुप, श्री श्रीकांत पद्मनाभन, स्वतन्त्र निदेशक, आईएफक्यूएम, श्री दिलिप शंघवी, एमडी, सन फार्मा। सत्र का संचालन श्री जैकस एस्क्युलियर, सुपरवाइज़री बोर्ड के सदस्य, डेमलर ट्रक एजी एवं एस एण्ड पी ग्लोबल (वर्चुअल) ने किया। सत्र के दौरान भारत में एमएसएमई के लिए मौजूद अवसरों और चुनौतियों पर रोशनी डाली गई।
एक और सत्र में ऐसे पहलुओं पर विचार प्रस्तुत किए गए, जो भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन में महत्वपूर्ण प्लेयर बनाने के लिए ज़रूरी हैं।