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हरियाणा देश में गन्ने का सर्वाधिक मूल्य देने वाला राज्य बन गया है: मनोहर लाल

चंडीगढ़, – हरियाणा के मुख्यमंत्री  मनोहर लाल ने कृषि नलकूपों के 2014 से लगभग 44 हजार कृषि नलकूपों के लम्बित कनैक्शनों के डिमांड नोटिस तुरंत प्रभाव से जारी करने की घोषणा के बाद हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान जलभराव के कारण हुई फसलों के नुकसान के लिए 12000 रुपये प्रति एकड़ तथा बिजाई से खाली रह गई जमीन के लिए 6000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने की घोषणा की। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने सिरसा जिले के 77 गांवों तथा भिवानी जिले के 20 गांवों में खरीफ-2017 के फसल बीमे का मुआवजा 15 दिनों के भीतर जारी करने के बारे में भी सदन को अवगत करवाया। 
हरियाणा के मुख्यमंत्री  मनोहर लाल, जो सदन के नेता भी हैं, ने विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला व पांच अन्य विधायकों तथा कांग्रेस विधायक दल की नेता श्रीमती किरण चौधरी व तीन अन्य विधायकों द्वारा जलभराव के कारण फसल खराब होने के मुद्दे पर लाए गए एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के बाद सदन में अपना वक्तव्य दे रहे थे।
मुख्यमंत्री ने सदन को अवगत करवाया कि प्रदेश में जहां-जहां दिसम्बर में ओलावृष्टि हुई थी, उसे भी गिरदावरी में शामिल किया गया है। उन्होंने इस बात की भी जानकारी दी कि खरीफ-2017 में भिवानी जिले के जलभराव से प्रभावित जमीन के लिए मुआवजा देने के लिए उपायुक्त को आज ही 40 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं।  इसके अलावा, जींद जिले के, विशेषकर जुलाना विधानसभा क्षेत्र, रोहतक व चरखी दादरी जिलों के किसानों ने जलभराव की निकासी करने के लिए अपने ट्रैक्टर व पम्प सेट लगाए थे, उन्हें डीजल का खर्चा दिया जाएगा, जिसकी जानकारी सम्बंधित उपायुक्तों से मांगी गई है। इसके लिए 5 करोड़ रुपये सम्बंधित उपायुक्तों को शीघ्र-अतिशीघ्र भेंजे जाएंगे। 
मुख्यमंत्री ने किसान हित में एक और महत्वपूर्ण निर्णय की जानकारी सदन को देते हुए बताया कि यमुनानगर व भादसों चीनी मिलों के बकाया का भुगतान करने के लिए राज्य कृषि मूल्य-(माइनस) चीनी का रिकवरी प्राइस का एक फार्मूला तैयार किया गया है, जिसके तहत चीनी के भाव के अनुसार 16 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मिलों को दिए जाने थे, परन्तु यह अब सीधे किसानों के खाते में जाएगा। उन्होंने बताया कि कल ही आगामी गन्ना पिराई सीजन के लिए गन्ने के मूल्य में 10 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की घोषणा की गई, जिससे हरियाणा देश में गन्ने का सर्वाधिक मूल्य देने वाला राज्य बन गया है। गन्ने की अगेती किस्म के लिए 340 रुपये प्रति क्विंटल, मध्यम किस्म के लिए 335 रुपये प्रति क्विंटल तथा पछेती किस्म के लिए 330 रुपये प्रति क्विंटल दिए जाएंगे। 
मुख्यमंत्री ने बताया कि इसी प्रकार, कच्चे आलू को भी 29 दिसम्बर, 2018 से भावांतर भरपाई योजना में शामिल कर दिया गया है। आमतौर पर फरवरी में निकलने वाले आलू को पहले इसमें शामिल किया गया था। उन्होंने बताया कि चार सब्जियों आलू, प्याज,टमाटर और गोभी के लिए यह योजना लागू है और अब तक 18,000 किसानों ने इस योजना के अंतर्गत 48,000 एकड़ का रजिस्ट्रेशन करवाया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार, हमने बाजरे को भी भावांतर भरपाई योजना में शामिल कर बाजार मूल्य के अंतराल की भरवाई की और किसानों को 1950 रुपये प्रति क्विंटल बाजरे के भाव दिए। मुख्यमंत्री ने बताया कि 1.75 लाख किसानों ने बाजरे के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवाया था।
 मनोहर लाल ने सत्ता पक्ष व विपक्ष के सभी विधायकों से अनुरोध किया कि वे लोगों को ऐसी किसान हित की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में दे। मुख्यमंत्री ने सदन को जानकारी दी कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम पर लोगों में गलतफहमियां फैलाई गई, जबकि हकीकत में यह योजना तीन हिस्सों में है। किसान को प्रीमियम के रूप में केवल दो प्रतिशत देना होता है, जबकि शेष प्रीमियम का पांच-पांच प्रतिशत केन्द्र व राज्य सरकारों को वहन करना होता है। बीमा कम्पनियां अपने 10 साल का स्पैम तैयार करती हैं, कितना प्रीमियम आया और कितना उन्हें मुआवजा राशि उन्हें देनी पड़ी। सदस्यों को बीमे की भावना समझनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने सदन को अवगत करवाया कि अब तक किसानों ने प्रीमियम के रूप में 323 करोड़ रुपये जमा करवाया और बीमा कम्पनियों द्वारा किसानों को 890 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। उन्होंने इस बात की भी जानकारी दी कि सिरसा जिला देश का ऐसा पहला जिला है, जहां खरीफ-2017 के प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के 229 करोड़ रुपये का भुगतान करवाया गया। उन्होंने बताया कि खरीफ-2017 के बीमे के रूप राज्य में 599 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। 
मुख्यमंत्री ने सदन को अवगत करवाया कि भविष्य में फसलों की गिरदावरी सही समय पर हो और किसी प्रकार की इसमें गड़बड़ी न हो इसके लिए शीघ्र ही एक बड़ा पोर्टल तैयार किया जाएगा और इसके साथ ही एक टोल फ्री नम्बर जारी किया जाएगा। किसानों को अपने फसलों के नुकसान की स्वयं घोषणा करके जानकारी देनी होगी। इसके अलावा, कृषि एवं राजस्व विभाग भी अपने-अपने स्तर पर नुकसान का आंकलन करेंगे। 
मुख्यमंत्री  मनोहर लाल ने कहा कि नियमों के अनुसार 5 एकड़ से अधिक का मुआवजा एक किसान को नहीं दिया जा सकता। प्राकृतिक आपदा में यह राहत कल्याणकारी राज्य होने के नाते छोटे किसानों को ही दी जाती है। उन्होंने बताया कि फरवरी, 2015 में बेमौसमी बारिश के कारण हुए फसलों के नुकसान की भरपाई के समय दिए मुआवजा के समय सिरसा जिले में कुछ मिलीभगत के कारण यह नियम नहीं अपनाया गया, जिसका परिणाम यह हुआ कि किसानों को पांच एकड़ छोडक़र अधिक भूमि का दिया गया अतिरिक्त मुआवजा लौटाने के नोटिस जारी किये गए हैं। 
मुख्यमंत्री ने सदन को जानकारी दी कि पिछले चार वर्षों में हमने बिजली सुधार के साथ-साथ नहरी पानी बटवारे के समुचित प्रबन्धन पर विशेष जोर दिया है, जिसका परिणाम यह रहा कि 1976 से लम्बित लखवार तथा किशाऊ व रेणुका बांधों के निर्माण का कार्य रूका हुआ था। उन्होंने स्वयं इन बांधों का दौरा किया और छ: राज्यों इस सम्बंध में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये और गत मंत्रिमण्डल की बैठक में हमने इनका अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी करने की भी स्वीकृति प्रदान की है, इससे हरियाणा को 1152 क्यूसिक अतिरिक्त पानी मिल सकेगा। इसी प्रकार, कोटला झील के पुनर्वास पर भी तेजी से कार्य आगे बढ़ा है। इसके साथ ही शिवालिक क्षेत्र में नौ स्थानों पर चैक डैम बनाने की स्वीकृति प्रदान की है ताकि बरसात के पानी को इक_ïा कर बाद में इसका उपयोग किया जा सके। उन्होंने बताया कि पश्चिम यमुना नहर, जो दक्षिण हरियाणा तक जाती है, के पम्प सैटों का जीर्णोद्धार किया गया तथा 10000 क्यूसिक पानी की क्षमता पहले चलती थी, जो बढक़र 13500 क्यूसिक हो गई है। इसके चलते 300 टेलों में से हम 293 टेलों तक पानी पहुंचाने में सफल रहे। उन्होंने कहा कि जहां पानी आवश्यकता से अधिक है, उस क्षेत्र का पानी आवश्यकता वाले क्षेत्रों में पहुंचाया जाएगा। उन्होंने बताया कि रेवाड़ी जिले के 1977 में बने मसाणी बैरेज, जहां कभी पानी नहीं पहुंचा था, वहां पर पिछले दो वर्षों में पांच व आठ फुट तक पानी भरा है। इससे 30 से 40 फुट तक का भू-जल स्तर सुधरा है। 
मुख्यमंत्री ने सदन को अवगत करवाया कि करनाल खण्ड के व्यामा फीडर तथा यमुनानगर खण्ड के सासपुर फीडर के अंतर्गत पडऩे वाले 468 कृषि नलकूपों को सौर ऊर्जा में परिवर्तित किया जाएगा, जिस पर लगभग 25 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि किसानों को सौर ऊर्जा की यूनिट दी जाएगी और वह दिन में उत्पादित ऊर्जा का प्रयोग करेगा तथा इसके रख-रखाव के लिए किसान को एक रुपये प्रति यूनिट की दर से प्रोत्साहित राशि का भुगतान किया जाएगा। अतिरिक्त ऊर्जा पॉवर ग्रिड को बेची जाएगी। मुख्यमंत्री ने सदन को इस बात की भी जानकारी दी कि 44000 कृषि नलकूपों में से 15000 कृषि नलकूपों को सौर ऊर्जा के रूप में स्थापित किया जाएगा, जबकि शेष नलकूप बिजली कनैक्शन के होंगे। उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा पर 75 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है।  
मुख्यमंत्री  मनोहर लाल ने सदन को अवगत करवाया कि पिछले 40-40 वर्षों से लम्बित कार्य आरम्भ करने के साथ-साथ हमने पिछली सरकार के 10 वर्षों से अधिक की अवधि से लम्बित कुण्डली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस वे व जीटी रोड के अधूरे निर्माण कार्यों को पूरा कर हरियाणा में पिछले चार वर्षों में सडक़ तंत्र को सुदृढ़ कर एक नया अध्याय जोड़ा है।  
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