Post Views: 0
-डॉ के सी पांडेय
नई दिल्ली। बहुप्रतीक्षित ‘तोखू एमोंग’ उत्सव का कल नई दिल्ली स्थित नागालैंड हाउस में भव्य आयोजन हुआ, जिसने संस्कृति के प्रति साझा प्रशंसा के सूत्र में बंधी एक विविध भीड़ को एकजुट किया। लोथा नागाओं के सबसे महत्वपूर्ण फसल कटाई के बाद के त्योहारों में से एक, तोखू एमोंग को आधिकारिक तौर पर 7 नवंबर को मनाया जाता है, जो मेहनत और पसीने के बाद आराम करने और श्रम के फल का आनंद लेने का प्रतीक है।
दिल्ली के इतिहास के सबसे बड़े नागा समारोहों में से एक माने जाने वाले इस कार्यक्रम ने लोथा जनजाति की समृद्ध और जीवंत विरासत को व्यापक दर्शकों के सामने प्रदर्शित करने के लिए एक उल्लेखनीय मंच के रूप में कार्य किया। इसमें शिक्षाविदों, लेखकों, पत्रकारों, कलाकारों, फ़ोटोग्राफ़रों और चिकित्सा डॉक्टरों सहित कई प्रतिष्ठित हस्तियाँ शामिल हुईं। यह उत्सव अपने दृष्टिकोण में समावेशी था, जिसमें सभी नागा जनजातियों को शामिल किया गया, जिससे उन्हें अपनी अनूठी सांस्कृतिक अभिव्यक्तियाँ साझा करने का अवसर मिला।
उत्सव का मुख्य विषय “संबंधों को मज़बूत करना” था, जिसे कार्यक्रम में पूरी तरह से मूर्त रूप दिया गया। यह विभिन्न पृष्ठभूमियों से आए नागा लोगों को एक छत के नीचे एकजुट करने का एक सफल प्रयास था। दिल्ली में रहने वाले नागाओं ने इस आयोजन के माध्यम से अपनी मातृभूमि और व्यापक समुदाय के बीच सेतु का कार्य करते हुए, सांस्कृतिक राजदूतों की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कार्यक्रम की शुरुआत ईश्वर के आशीर्वाद की प्रार्थना के साथ हुई। मुख्य वक्ता सुश्री नज़ानमोंगी वालिंग पैटन ने लोथा-नागा समुदाय के भीतर संबंधों को मज़बूत करने के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि तोखू एमोंग जैसे सामुदायिक उत्सव अपनेपन, एकता और सांस्कृतिक विरासत की भावना को बढ़ावा देते हैं। वक्ता ने लोथा भाषा, परंपराओं और संस्कृति के संरक्षण पर भी बल दिया। भाषण का समापन एक अफ़्रीकी कहावत के साथ हुआ, “अगर आप तेज़ी से आगे बढ़ना चाहते हैं, तो अकेले चलें। अगर आप दूर जाना चाहते हैं, तो साथ चलें,” जिसमें एकता और सामूहिक प्रगति के महत्व पर ज़ोर दिया गया। विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री म्होनबेमो पैटन उपस्थित थे, और संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन डॉ. रेम्बेमो ओड्युओ ने किया। कार्यक्रम के अंत में रेफल ड्रा के विजेताओं की घोषणा प्रोफेसर जुचामो यंथन ने की जिसमें दीमापुर के बिथिंगो किकोन प्रथम विजेता रहे।
लोथा समुदाय की सांस्कृतिक समृद्धि आकर्षक लोकगीतों और नृत्यों के माध्यम से जीवंत हुई। ये पारंपरिक कलाएँ लोगों को अतीत की समृद्ध हस्त निर्मित बुनकारी से जोड़ती हैं, जहाँ प्रत्येक आंदोलन, हाव-भाव और पोशाक एक कहानी बयां करती है। उत्सव में पारंपरिक वस्त्रों का भी शानदार प्रदर्शन किया गया, जो नागा भौतिक संस्कृति के सार को दर्शाते हैं।
युवा कलाकारों ने नृत्य, गीत और पारंपरिक परिधानों की प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। तोखु एमोंग का बहुमुखी स्वरूप मेल-मिलाप, क्षमा और साझा आशीर्वाद को समाहित करता है, जिसका अंतिम उद्देश्य रिश्तों को मजबूत करना है। कार्यक्रम का समापन बड़े ही उल्लासपूर्ण वातावरण में सावधानीपूर्वक तैयार किए गए विशाल तोखू भोज और धन्यवाद प्रार्थना के साथ हुआ।
दिल्ली तोखू एमोंग उत्सव ने गैर-नागा दर्शकों के बीच नागा संस्कृतियों में अत्यधिक रुचि पैदा की, जिससे संभावित रूप से इस क्षेत्र में पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा। गैर-नागा अतिथियों में विशेष रूप से प्रोफेसर अनिल कुमार, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, डॉ के सी पांडेय, अध्यक्ष मैजिक अकादमी ऑफ इंडिया तथा धीरज शर्मा इत्यादि इस समारोह में उपस्थित रहे। यह एक ऐसा वार्षिक आयोजन है जिसका युवा, वयस्क और बुजुर्ग हमेशा खुशी और उल्लास के साथ इंतजार करते हैं।
Like this:
Like Loading...
Related