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साँचों में बन्द गहने” हेम पंत की काव्यिक यात्रा का हुआ भव्य विमोचन

*उत्तराखंड सदन दिल्ली में साहित्य और संवेदना से सराबोर रहा रविवार का सत्र*

अमर चंद्र

दिल्ली, चाणक्यपुरी।रविवार का दिन उत्तराखंड सदन के साहित्यिक गलियारों में शब्दों और संवेदनाओं की अनुगूँज लेकर आया, जब वरिष्ठ रंगकर्मी, लेखक और कुशल मंच संचालक हेम पंत की पहली काव्य कृति “साँचों में बन्द गहने” का भव्य विमोचन हुआ। यह पुस्तक “द इनक्रेडिबल पहाड़ी” द्वारा वर्ष 2025 में प्रकाशित की गई है, जिसमें लेखक ने जीवन के अनुभवों, सामाजिक बंधनों और आत्मचिंतन की भावनाओं को अत्यंत सहज और प्रभावशाली भाषा में प्रस्तुत किया है।

विमोचन समारोह में उत्तराखंड और दिल्ली के साहित्यिक एवं पत्रकारिता जगत की अनेक प्रतिष्ठित हस्तियाँ मौजूद रहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य राजेश कुमार ने की।कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई वरिष्ठ उपन्यासकार और पूर्व सचिव, हिंदी अकादमी डॉ. हरिसुमन बिष्ट, वरिष्ठ लेखिका श्रीमती महाजन, कवियित्री डॉ. आशा जोशी , अणुव्रत संस्थान के निदेशक रमेश काण्डपाल तथा उत्तराखंड मुख्यमंत्री के मीडिया कोऑर्डिनेटर मदन मोहन सती ने। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार व्योमेश जुगराण,चारतिवारी, अमर चंद्र,फिल्म निर्माता संजय जोशी, मनोज चंदोला, लेखक और कवि रमेश घिल्डियाल, पूरन काण्डपाल, पर्वतीय लोक कला मंच के, के एन पाण्डेय, ममता कर्नाटक, सुधीर पंत ध्रुव फाउंडेशन के संस्थापक सुरेंद्र हलसी श्री चंदन डांगी, सहित समाज के कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के दौरान मदन मोहन सती ने एक पाठक के रूप में पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने कहा कि हेम पंत की कविताएँ सरलता में गहराई और भावनाओं में सच्चाई का सुंदर मेल हैं। उन्होंने इस कृति को समाज के भीतर छिपे संवेदनशील मन की आवाज़ बताया।

सभी वक्ताओं ने एकमत से कहा कि “साँचों में बन्द गहने” हेम पंत के भीतर के कवि और संवेदनशील मनुष्य दोनों का साक्षात प्रमाण है। यह पुस्तक पाठकों को न केवल आत्मावलोकन के लिए प्रेरित करती है, बल्कि उन्हें सामाजिक साँचों से मुक्त होकर अपनी आंतरिक भावनाओं अपने “गहनों” को पहचानने का संदेश देती है।

डॉ. हरिसुमन बिष्ट ने हेम पंत की रचनाओं को “सरल भाषा में जटिल भावनाओं की सजीव अभिव्यक्ति” कहा, वहीं डॉ. पुष्पा जोशी ने उन्हें एक ऐसे कवि के रूप में सराहा जो आधुनिक जीवन की जटिलताओं के बीच भी मानवीय मूल्यों को जीवित रखे हुए हैं।

डॉ आशा जोशी ने कहा कि कविता केवल संवेदना को विवश नहीं करती वरन् सोचने को भी विवश करती है और ऐसा पंत जी की रचनाओं में बख़ूबी मिलता है ।श्रीमती सूक्ष्मलता महाजन ने पंत की रचनाओं को जमीन से जुड़ी होने का संकेत दिया। रमेश काण्डपाल ने पंत जी की रचनाओं को अपनी एक रचना में समाहित कर रोचक अंदाज़ प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम के अंत में उपस्थित साहित्यप्रेमियों, पत्रकारों और समाजसेवियों ने हेम पंत की इस नई काव्यिक यात्रा की सराहना करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। पूरे समारोह में उत्तराखंड की मिट्टी की खुशबू और संवेदना का सुंदर संगम झलकता रहा।

“साँचों में बन्द गहने” पुस्तक का मूल्य ₹200 है और यह हिंदी साहित्य के उन संग्रहों में से एक मानी जा रही है जो आम पाठक के हृदय को सीधे छूती है और समाज के बदलते परिवेश में आत्मचिंतन का अवसर प्रदान करती है।

इस सफल आयोजन का मंच संचालन वरिष्ठ लेखिका श्रीमती हेमा उनियाल द्वारा बड़ी ही खूबसूरती से किया गया।

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