भक्ति एवं परमार्थ के केंद्र “श्री स्वरूप धाम” का भव्य उद्घाटन
अयोध्या के समीप भव्य तपोस्थली का उद्घाटन
डॉ. के सी पांडे अयोध्या।हाल ही में, अयोध्या से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर गोंडा जिले के कोएली जंगल, पत्थरी ताल के समीप 25 बीघा में फैली भव्य तपोस्थली “श्री स्वरूप धाम” का उद्घाटन संपन्न हुआ। इस पावन धाम में निर्मित मंदिर एवं भक्ति केंद्र का शुभारंभ श्री परमहंस अद्वैत मत, श्री आनंदपुर ट्रस्ट के श्री श्री 108 श्री हजूर गुरु महाराज जी के परम पावन कर-कमलों द्वारा किया गया। यह तपोस्थली भक्ति एवं ज्ञान की उच्चतम शिक्षा प्रदान कर जनसाधारण को लाभान्वित करेगी।
श्री स्वरूप धाम: तपस्या एवं भक्ति की पावन भूमि
इस पवित्र स्थल की महिमा तब और बढ़ जाती है जब हम जानते हैं कि श्री परमहंस अद्वैत मत के द्वितीय पातशाही जी महाराज श्री स्वरूपानंद जी ने घने बीहड़ जंगलों के मध्य एक गुफा में वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। श्री स्वामी स्वरूपानंद जी का अवतरण 1 फरवरी 1884 को हुआ था। जिस गुफा में उन्होंने तप किया था, वह आज भी इस तपोस्थली में स्थित है और श्रद्धालु इस पावन स्थल के दर्शन कर भक्ति एवं ज्ञान का लाभ उठा सकते हैं।
पत्थरी ताल: एक ऐतिहासिक पुण्य भूमि
“पत्थरी ताल” का क्षेत्र कोएली जंगल के बीच स्थित था, जहाँ कभी घने जंगल और हिंसक पशु विचरण किया करते थे। आज यही स्थान “श्री स्वरूप धाम” के रूप में एक ऐतिहासिक, अद्भुत एवं भव्य तीर्थधाम में परिवर्तित हो चुका है। इस धाम के समीप ही पत्थरी झील स्थित है, जिसका जल सरयू नदी में जाकर मिलता है। इस भव्य मंदिर की खूबसूरती देखते ही बनती है, जिसके चारों ओर सुरम्य बाग-बगीचे, सुंदर पुष्प, एवं शांति से परिपूर्ण वातावरण मन को शीतलता एवं आध्यात्मिक सुख प्रदान करता है।
अमृत कुण्ड: एक दिव्य धरोहर
यह तपोस्थली श्री आनंदपुर के परमहंसों की पवित्र धरोहर है। इस स्थान पर कई पौराणिक घटनाएँ एवं श्री भगवद लीलाएँ जुड़ी हुई हैं। इन्हीं में से एक अमृत कुण्ड (कुआँ) है, जिसका निर्माण सन 1919 में श्री श्री 108 श्री द्वितीय पातशाही जी महाराज श्री स्वरूपानंद जी की पावन आज्ञा से हुआ था। अप्रैल 1925 में, श्री द्वितीय पादशाही जी महाराज ने इस कुएं का “शुभ मुहूर्त” कर इसे भक्तों के लिए समर्पित किया। इसी दौरान, जब श्री प्रभुवर का महान श्री स्नान हुआ, तब यह अमृतधारा सरयू नदी की झील में मिल गई, जिसका प्रवाह आज भी निरंतर जारी है।
श्री परमहंस अद्वैत मत एवं श्री आनंदपुर ट्रस्ट की सेवाएँ
श्री परमहंस अद्वैत मत के प्रवर्तक श्री श्री 108 श्री परमहंस दयाल सतगुरु स्वामी अद्वैत आनंद जी महाराज थे, जिनका अवतरण 5 अप्रैल 1846 को रामनवमी के शुभ दिन हुआ था। इस मत का प्रमुख सत्संग एवं भक्ति केंद्र “श्री आनंदपुर” (जिला अशोक नगर, मध्य प्रदेश) है, जहाँ जिज्ञासु आत्मिक ज्ञान एवं सच्ची शांति प्राप्त करते हैं।
श्री आनंदपुर ट्रस्ट के सत्संग एवं भक्ति केंद्र भारत के विभिन्न राज्यों में स्थित हैं। दिल्ली में वसंत कुंज एवं कृष्णा नगर सहित अनेक स्थानों पर श्री परमहंस अद्वैतमत के सत्संग भवन एवं मंदिर स्थित हैं।
चैरिटेबल सेवा एवं मानव कल्याण
दिल्ली के कृष्णा नगर में “श्री आनंदपुर चैरिटेबल ट्रस्ट” के अंतर्गत एक भव्य डायग्नोस्टिक सेंटर कार्यरत है, जहाँ चिकित्सा सेवाएँ अत्यंत सस्ती दरों पर अथवा निशुल्क प्रदान की जाती हैं।
40 डायलिसिस मशीनों से युक्त यह सेंटर मार्च 2005 से अब तक 4 लाख से अधिक निशुल्क डायलिसिस कर चुका है।
यहाँ MRI, CT स्कैन, कलर डॉपलर, अल्ट्रासाउंड, TMT, डिजिटल एक्स-रे, एवं अत्याधुनिक पैथोलॉजी लैब की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
ओपीडी कंसल्टेशन, दंत चिकित्सा, एवं फिजियोथेरेपी जैसी सेवाएँ भी यहाँ मौजूद हैं।
इस चैरिटेबल सेंटर की देख-रेख स्वयं श्री आनंदपुर ट्रस्ट के महात्मागण करते हैं।
सभी टेस्ट एवं रिपोर्टिंग कार्य कुशल तकनीशियनों एवं अनुभवी डॉक्टरों द्वारा किया जाता है।
मानवता एवं समाज सेवा में योगदान
श्री आनंदपुर ट्रस्ट समय-समय पर प्रधानमंत्री राहत कोष एवं मुख्यमंत्री राहत कोष में भी योगदान करता है। यह केंद्र केवल भक्ति एवं आध्यात्मिक उन्नति का ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य एवं मानव कल्याण का भी प्रतीक बन चुका है। यहाँ आने वाले भक्तगण आध्यात्मिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य का अद्भुत संगम अनुभव करते हैं।
“श्री स्वरूप धाम” का यह भव्य उद्घाटन न केवल भक्ति एवं परमार्थ का केंद्र स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है, बल्कि समाज में निःस्वार्थ सेवा एवं मानव कल्याण की भावना को भी सशक्त करता है।