सरकार स्कूल और उच्च शिक्षा में सुधार के लिए नई शिक्षा नीति लाएगी : ‘निशंक’
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने केंद्रीय बजट 2019-20 की सराहना की है और शिक्षा क्षेत्र और छात्रों के समग्र विकास को प्राथमिकता देने के लिए वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि इस बजट से शिक्षा क्षेत्र में सभी हितधारकों के आकांक्षाओं को पूरा किया जाएगा। उन्होंने शिक्षा क्षेत्रों में बजट के बढ़ते आवंटन पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन बनाने की घोषणा की सराहना की, जो भारत सरकार के सभी मंत्रालयों के अनुसंधान प्रयासों के समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। वित्त मंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार देश की उच्च शिक्षा प्रणाली को विश्व की एक बेहतरीन शिक्षा प्रणाली बनाने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लेकर आएगी। नई नीति में स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों में बड़े बदलाव का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें अन्य बातों के अलावा बेहतर प्रशासन तथा अनुसंधान और नवाचार पर भी जोर दिया गया है।वित्त मंत्री ने अनुसंधान और नवाचार के उद्देश्यों की पूर्ति के तहत अनुसंधान कार्यों के वित्त पोषण, समन्वय और प्रोत्साहन के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरए) के गठन की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि एनआरएफ यह सुनिश्चित करेगा कि देश में राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और मूल विज्ञान के विषयों पर अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को प्रयासों और खर्चों में दोहराव के बिना सशक्त बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि अनुसंधान कार्यों के लिए सभी मंत्रालयों में उपलब्ध कोष को एनआरएफ में समायोजित किया जाएगा और इसके लिए अतिरिक्त धन की पर्याप्त व्यवस्था भी की जाएगी। श्रीमती सीतारामण ने कहा कि ‘स्टडी इन इंडिया’ कार्यक्रम विदेशी छात्रों को भारत के उच्च शिक्षा संस्थाओं में पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने पर फोकस करेगा। उन्होंने घोषणा की कि भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन के लिए एक बिल का मसौदा आने वाले साल में पेश किया जाएगा। इससे उच्च शिक्षा प्रणाली के नियमन में बड़े सुधार लाने, शिक्षा संस्थान ज्यादा स्वायत्ता देने तथा बेहतर अकादमिक परिणाम प्राप्त करने में मदद मिलेगी। सरकार की हाल की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि जहां पांच साल पहले तक एक भी भारतीय शिक्षा संस्थान विश्व के 200 शीर्ष विश्वविद्यालयों की सूची में नही था, वही आज देश के दो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान तथा बेंगलूरू के भारतीय विज्ञान संस्थान ने आज इसमें अपनी जगह बना ली है। उन्होंने कहा कि देश की शिक्षा संस्थाओं द्वारा गुणवत्ता में सुधार तथा अपनी विश्वसनीयता को बेहतर तरीके से स्थापित करने के कारण ही यह संभव हो पाया है। श्रीमती सीतारामण ने शिक्षा नीति का और ब्यौरा देते हुए कहा कि ‘स्वयं’ के जरिये की गई ऑनलाइन ओपन पाठ्यक्रम की पहल ने छात्र समुदाय के वंचित वर्ग के लिए डिजिटल डिवाइड को पाटने में काफी मदद की है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षण गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए वैश्विक अकादमिक नेटवर्क पहल (ज्ञान) कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य विश्व स्तर पर उपलब्ध वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं तक पहुंच बनाना है। उन्होंने कहा कि देश की जरूरतों के अनुरूप कुछ विशेष क्षेत्रों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की चुनौतियों से निपटने की एक प्रभावी रूपरेखा तय करने के लिए प्रभावी अनुसंधान नवाचार और प्रौद्योगिकी योजना इम्प्रिंट की शुरूआत आईआईटी और आईआईएससी की संयुक्त पहल के रूप में की गई है। देश के उच्च शिक्षण संस्थान अब नवाचार का केन्द्र बनते जा रहे हैं।