व्यापार मेले के झरोखे सेः बरकरार है मेलों का आकर्षण
महाबीर सिंह
दिल्ली।देश में व्यापार मेलों का इतिहास काफी पुराना है। पुराने जमाने में भी व्यापार बढ़ाने के लिये मेले लगते रहे हैं और आज भी मेले लग रहे हैं। आज भी देश में तमाम जगहों पर अस्थाई मंडियां लगती हैं वहीं इन्ही मंडियों का नया रूप व्यापार मेलों और प्रदर्शिनियों ने ले लिया है। सब्जी मंडी हो चाहे, फूल मंडी हो, अनाज मंडी हो चाहे फर्नीचर बाजार हो ये सब एक प्रकार से व्यापार मेलों का ही रूप हैं। पशु मेले तो पुराने जमाने से लगते आये हैं और आज भी ग्रामीण भारत में पशु मेलों का आयोजन होता है।
दरअसल व्यापार मेला एक प्रकार से व्यापार बढ़ाने का जरिया है। किस तरह के उत्पाद बन रहे हैं, किसी एक क्षेत्र में नये उत्पाद कौन कौन से तैयार हो रहे हैं, कौन सी नई तकनीक से उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं और उनकी उपयोगिता कितनी है इनके बारे में वास्तविक जानकारी मेलों में ही मिल पाती है। किसी उत्पाद को सामने अपनी आंखों से प्रत्यक्ष देखना और महसूस करना यह केवल व्यापार मेलों से ही संभव है।
आज आपको दुनिया में किसी भी शहर, उत्पाद, तकनीक यहां तक कि मेलों के बारे में जानकारी यदि लेनी होती है तो आप गूगल सर्च इंजन पर ढूंढ सकते हैं। उत्पादों की तस्वीर देख सकती हैं, उसके बारे में तमाम जानकारी हासिल कर सकते हैं। लेकिन उसका वास्तविक आकार प्रकार और प्रत्यक्ष अनुभव केवल प्रदर्शनियों और व्यापार मेलों में ही कर सकते हैं। यही वजह है कि पूरी दुनिया में मेलों और प्रदर्शनियों का जोर लगातार बढ़ता जा रहा है।
देश की यदि बात करें तो दिल्ली में मथुरा रोड़ के साथ स्थित प्रगति मैदान आज व्यापार मेले का प्रयाय बन चुका है। पिछले 40 साल से अधिक समय से प्रगति मैदान में हर साल 14 से 27 नवंबर के दौरान भारतीय अंतरर्राष्ट्रीय व्यापार मेला यानि आईआईटीएफ का आयोजन किया जाता है। इसमें ग्रामीण भारत के तमाम राज्यों से छोटे शिल्पकार, कारीगरों द्वारा तैयार उत्पादों, हथकरघा उत्पाद और कपड़े आदि सहित देश दुनिया के तमाम उत्पाद प्रदर्शित किये जाते हैं और उनकी खरीद फरोख्त भी होती है। शहरों के व्यवसायी अच्छी मांग वाले उत्पादों के विनिर्माताओं के साथ बातचीत कर गठबंधन करते हैं और बाद में उनसे माल मंगवाते हैं। इस प्रकार व्यापार और कारोबार का विस्तार होता है।
केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 14 नवंबर को आईआईटीएफ 2022 का उद्घाटन करते हुये कहा कि मेलों और प्रदर्शनियों पर आज कई देशों की पूरी अर्थव्यवस्था चल रही है। ’’हमारे मेले कैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के बनें, किस प्रकार इन्हें अधिक आकर्षक बनाया जा सकता है इस पर विचार किया जाना चाहिये। व्यापार मेलों को अधिक पेशेवर बनाने की जरूरत है। उत्पादों और मेलों दोनों को गुणवत्ता परक बनाने की आवश्यकता है।
उन्होंने प्रगति मैदान में साल में दो बड़े मेले लगाने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस पर विचार होना चाहिये कि क्या हम साल में एक और मेला भी लगा सकते हैं। मई- जून के महीने में एक और व्यापार मेला आयोजित करने पर विचार होना चाहिये। नये उद्यमियों और नये स्टार्टअप्स को शामिल करते हुये एक स्वदेशी व्यापार मेला लगाया जा सकता है, जिसमें भारत की ताकत बड़े स्तर पर दुनिया के सामने रखी जा सकती है। उन्होंने कहा उद्योग, व्यापार और सेवा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता, स्वदेशी ताकत, गुणवत्ता सभी को मिलाकर एक और सालाना व्यापार मेला आयोजित करने के बारे में सोचना चाहिये। इसमें भागीदारी करने वालों की फीस कम रखी जाये और भुगतान डिजिटल तरीके से ही होना चाहिये।
पिछले तीन साल से प्रगति मैदान प्रदर्शनी स्थल का कायाकल्प किया जा रहा है। विश्वस्तरीय प्रदर्शनी मंडप तैयार किये जा रहे हैं। पुराने पड़ चुके भवनों के स्थान पर नये भवन बनाये जा रहे हैं। अभी दो से पांच तक के प्रदर्शनी मंडप तैयार हो चुके हैं, एक और छह नंबर हाल अगले साल तक तैयार हो जायेंगे। कुछ पुराने प्रदर्शनी हॉल भी हैं जिनका इस्तेमाल किया जा रहा है।
यह 41वां आईआईटीएफ हैं। कोरोना की बाध्यताओं के चलते वर्ष 2020 में आईआईटीएफ का आयोजन नहीं हो पाया। पिछले साल 2021 में भी यह सीमित क्षेत्र में आयोजित किया गया। कोरोना और निर्माण कार्य जारी रहने से कम क्षेत्र पर व्यापार मेले का आयोजन किया गया। अगले वर्ष तक संभवतः प्रगति मैदान पूरी तरह से अपने नये स्वरूप में देखने को मिले।
प्रगति मैदान में व्यापार मेलों का संचालन करने वाली संस्था इंडिया ट्रेड प्रमोशन आर्गनाइजेशन:आईटीपीओः के तत्कालीन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एल सी गोयल ने नवंबर 2019 में कहा था वर्ष 2020 में आईआईटीएफ एक लाख वर्गमीटर से अधिक क्षेत्र में आयोजित किया जायेगा लेकिन कोरोना महामारी के कारण मेले का आयोजन नहीं हो पाया। समूचे प्रगति मैदान के प्रदर्शनी स्थल के पुनर्विकास के लिये 3,437 करोड़ रूपये की योजना पर काम चल रहा है।
आईटीपीओ के वर्तमान अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक प्रदीप सिंह खरोला ने बताया कि इस बार मेले का आयोजन 75 हजार वर्गमीटर क्षेत्र में किया जा रहा है। लेह, लद्दाख पहली बार इसमें भाग ले रहा है। जबकि केरल, उत्तर प्रदेश फोकस राज्य हैं वहीं बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र भागीदार राज्य के तौर पर 41वें आईआईटीएफ में भाग ले रहे हैं। मेला प्रातः 10 बजे से सांय 7.30 बजे तक खुला रहता है। मेले में प्रवेश टिकट चुनींदा मेट्रो स्टेशनों पर उपलब्ध हैं।
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