नाट्य सम्राट’ सम्मान से नवाजे गए प्रसिद्ध रंगकर्मी एस.पी. ममगाईं
सी एम पपनै
देहरादून। छह दशक से अधिक की रंगकर्म साधना और नाट्य निर्देशन, लेखन तथा अभिनय के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने के एवज में मेघदूत नाट्य संस्था संस्थापक और प्रसिद्ध रंगकर्मी एस.पी.ममगाईं को 18 मई की सायं गीता भवन देहरादून में रामकथा के समापन समारोह में श्री सनातन धर्म सभा द्वारा
मानस मर्मज्ञ मैथिलीशरण के कर कमलों ‘नाट्य सम्राट’ अलंकरण से विभूषित किया गया।
आयोजन के इस अवसर पर सनातन धर्म सभा अध्यक्ष राकेश ओबेरॉय, सचिव विपिन नागलिया तथा गुलशन खुराना के साथ-साथ मेघदूत नाट्य संस्था से जुड़े अनेकों कलाकारों में प्रमुख नंदकिशोर त्रिपाठी, विजय डबराल, सपना गुलाटी, सावित्री उनियाल इत्यादि इत्यादि की उपस्थिति मुख्य रही। उक्त सभी कलाकारों द्वारा संस्था संस्थापक एस पी ममगाईं को उक्त सम्मान से अलंकृत किए जाने पर हर्ष व्यक्त किया गया।
श्री सनातन धर्म सभा अध्यक्ष राकेश ओबेरॉय ने आयोजन के इस अवसर पर कहा, रंगकर्म के क्षेत्र में एस पी ममगाई के विगत छह दशकों के योगदान का बड़ा महत्व रहा है। निरंतर ममगाई जी रंगकर्म की साधना में संलग्न रहे हैं। उत्कृष्ट नाट्य परम्परा के संवाहक के रूप में लोकरंजन के सिद्धहस्त निर्देशक और उच्च कोटि के कलाकार रहे हैं। मेघदूत नाट्य संस्था से निरंतर जुड़े रहे ममगाईं जी ने सैकड़ों युवाओं को रंगकर्म में पारंगत कर बड़े मुकाम तक पहुंचाया है। इस अतुलनीय योगदान के मद्देनजर ही उन्हें ‘नाट्य सम्राट’ के सम्मान से अलंकृत कर श्री सनातन धर्म सभा स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रही है। उनसे रंगकर्म के क्षेत्र में और अधिक योगदान की अपेक्षा की जा रही है।
मेघदूत नाट्य संस्था द्वारा धार्मिक तथा ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के अनेकों नाटकों की अनेक प्रस्तुतियां गीता भवन परिसर के सभागार में पूर्व में मंचित कर ख्याति अर्जित की गई है। उक्त मंचित नाटकों का अन्य अनेकों जगहों पर भी मंचन हुआ है। मंचित नाटकों को दर्शकों द्वारा सदा सराहा गया है। मेघदूत नाट्य संस्था द्वारा विगत माह उत्तराखंड की अमर प्रेम कथा ‘अमर तिलोगा’ का मंचन टाऊन हॉल में किया गया था और उससे पूर्व गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस के सुंदर कांड प्रसंग पर आधारित ‘भय बिनु होई न प्रीत’ नाटक का प्रभावशाली मंचन किया गया था। उक्त दोनों प्रभावशाली मंचित नाटकों को दूरदर्शन द्वारा प्रसारित किया गया था।
रंगकर्मी एस पी ममगाईं उत्तराखंड रंगमंच के उन गिने चुने रंगकर्मियों में स्थानरत हैं जिन्होंने रंगकर्म को मिशन की तरह माना है व उसे जिया है। रंगकर्म के क्षेत्र में नई पीढ़ी को जोड़कर उन्हें अभिनय के क्षेत्र में ऊंचे पायदान तक पहुंचाने का प्रेरणादाई कार्य किया गया है।
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