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भक्तों में उल्लास, धर्म में विश्वास – भगवान नरसिंह जयंती पर सजेगा श्रद्धा और शक्ति का संगम

Amar sandesh नई दिल्ली।
भारत की संस्कृति और धर्मपरायण परंपराएँ सदैव से अद्वितीय रही हैं। इन्हीं गौरवशाली परंपराओं में से एक है भगवान श्री नरसिंह जयंती, जो इस वर्ष 11 मई को देशभर में श्रद्धा, आस्था और भक्ति के साथ मनाई जाएगी। यह पर्व केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि धर्म की विजय, अधर्म का अंत और भक्त की रक्षा का दिव्य प्रतीक है।

भगवान नरसिंह अवतार: भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए किया अद्भुत रूप धारण

भगवान श्री विष्णु ने अपने चौथे अवतार – नरसिंह रूप (अर्ध-मानव, अर्ध-सिंह) में हिरण्यकशिपु जैसे अत्याचारी राक्षस का वध किया। यह अवतार धर्म की रक्षा, अहंकार के विनाश और भक्ति की अडिग शक्ति का संदेश देता है।

भक्त प्रह्लाद की निःस्वार्थ भक्ति और उनके पिता हिरण्यकशिपु की नास्तिकता के बीच संघर्ष के अंत में भगवान विष्णु ने खंभे से प्रकट होकर नरसिंह रूप में दुष्ट का अंत किया – न दिन में, न रात में; न बाहर, न अंदर; न हथियार से, न जीवित से – सभी शर्तों के बीच न्याय की स्थापना की।

नरसिंह जयंती पर देशभर के विष्णु और नरसिंह मंदिरों में विशेष पूजा, हवन, कीर्तन और रात्रि जागरण का आयोजन होता है। व्रतीजन दिनभर उपवास रखते हैं और नरसिंह स्तोत्र, प्रह्लाद चरित्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते हैं।

पावन स्थलों जैसे उज्जैन, नृसिंहपुरी, वाराणसी, मथुरा, और दक्षिण भारत के मंदिरों में लाखों श्रद्धालु दर्शन हेतु पहुंचते हैं।

सामाजिक और सांस्कृतिक संदेशभगवान नरसिंह का अवतरण केवल पौराणिक कथा नहीं, बल्कि यह हमें सिखाता है कि जब सत्य और धर्म संकट में होते हैं, तो स्वयं ईश्वर कोई न कोई रूप लेकर अधर्म का अंत करते हैं।

आज के दौर में भी यह संदेश उतना ही प्रासंगिक है – जहाँ अन्याय, अहंकार और असत्य सिर उठा रहे हों, वहाँ भगवान नरसिंह की जयन्ती प्रेरणा देती है कि अंततः जीत सदैव सत्य और भक्ति की होती है।

“नृसिंह भगवान की जयन्ती महज एक पर्व नहीं, बल्कि भक्त की शक्ति और भगवान के न्याय का जीवंत उदाहरण है।”

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