मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को सजा की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर धरना
नई दिल्ली,02 अक्टूबर 2018 24 साल बाद भी मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को सजा न दिये जाने से आक्रोशित उत्तराखण्डियों ने 2 अक्टूबर 2018 को महात्मा गांधी जयंती के दिन संसद की चैखट पर काला दिवस मना कर राष्ट्रपति को दिया रोषयुक्त ज्ञापन। वहीं शहीदों की आत्मा की शांति व शासकों को सदबुद्धि देने के लिए हवन भी किया गया। ज्ञापन में राष्ट्रपति से मांग की गयी है कि 1984 के सिख दंगों व गुजरात दंगों की तरह ही मुजफ्फरनगर काण्ड-94 के गुनाहगारों को सजा देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की देखरेख में एक विशेष जांच आयोग बनाया जाय।
राष्ट्रपति का ध्यान आकृष्ठ करते हुए इस रोष युक्त ज्ञापन में दो टूक शब्दों में कहा गया कि ‘उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन’ में गांधी जयंती 2 अक्टूबर 1994 को लाल किला रेली में भाग लेने आ रहे शांतिप्रिय हजारों उत्तराखण्डियों को, 1 अक्टूबर 1994 की रात्रि को, मुजफ्फरनगर स्थित रामपुर तिराहे पर अलोकतांत्रिक ढ़ग से बलात रोक कर जो अमानवीय जुल्म, व्यभिचार व कत्लेआम उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार व केन्द्र में सत्तासीन नरसिंह राव की कांग्रेसी सरकार के शह पर पुलिस प्रशासन ने किये, उससे न केवल भारतीय संस्कृति अपितु मानवता भी शर्मसार हुई। परन्तु सबसे खेद कि बात है कि जिस भारतीय गौरवशाली संस्कृति में नारी को जगत जननी का स्वरूप मानते हुए सदैव वंदनीय रही है, वहां पर नारी से व्यभिचार करने वाले सरकारी तंत्र में आसीन इस काण्ड के अपराधियों को दण्डित करने के बजाय शर्मनाक ढ़ग से संरक्षण दे कर पुरस्कृत किया गया।
सबसे हैरानी की बात है कि जिस मुजफ्फरनगर काण्ड-94 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मानवता पर कलंक बताते हुए इसे शासन द्वारा नागरिकों पर किये गये बर्बर नाजी अत्याचारों के समकक्ष रखते हुए इस काण्ड के लिए तत्कालीन मुजफ्फरनगर जनपद के जिलाधिकारी व पुलिस अधिकारियों को सीधे दोषी ठहराते हुए इनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने का ऐतिहासिक फैसला दिया था। यही नहीं माननीय उच्च न्यायालय ने केन्द्र व राज्य सरकार को उत्तराखण्ड के विकास के प्रति उदासीन भैदभावपूर्ण दुरव्यवहार करने का दोषी मानते हुए दोनों सरकारों को यहां के विकास के लिए त्वरित कार्य करने का फैसला भी दिया था। जिस काण्ड पर देश की सर्वोच्च जांच ऐजेन्सी सीबीआई ने जिन अधिकारियों को दोषी ठहराया था, जिनको महिला आयोग से लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दोषी मानता हो परन्तु दुर्भाग्य है कि इस देश में जहां सदैव ‘सत्यमेव जयते’ का उदघोष गुंजायमान रहता हो, वहां पर उच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के बाद अपराधियों व उनके आकाओं के हाथ इतने मजबूत रहे कि देश की न्याय व्यवस्था उनको दण्डित करने में आज 24साल बाद भी अक्षम रही है। भारतीय व्यवस्था के इसी बौनेपन से आक्रोशित देश-विदेश में रहने वाले सवा करोड़ उत्तराखंडी 1994 से निरंतर आज तक देश की व्यवस्था के शीर्षपदों पर आरूढ़ सत्तासीनों की सोई हुई आत्मा को जागृत करने के लिए एवं उनको उनके दायित्व बोध कराने के लिए 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन हर साल काला दिवस मना कर न्याय की 2 अक्टूबर को उत्तराखण्डी समाज व सभी आंदोलनकारी संगठनों के सबसे बड़ा कार्यक्रम संसद की चैखट पर काला दिवस के रूप में मनाया गया। इसका आयोजन सभी आंदोलनकारी संगठनों की समन्वय समिति व दिल्ली राजधानी क्षेत्र की सभी जागरूक सामाजिक संगठनों ने किया। उत्तराखण्डी देश की व्यवस्था के साथ इस बात से आहत थे कि शहीदों के बलिदान व आंदोलनकारियों के संघर्षो से गठित उत्तराखण्ड राज्य की अब तक की कांग्रेस व भाजपा के साथ समर्थन देने वाले दलों की सरकारों ने इस काण्ड के दोषियों को सजा देने के बजाय शर्मनाक संरक्षण देने का काम किया। इसके लिए आंदोलनकारियों ने स्वामी, कोश्यारी, तिवारी, खण्डूडी, निशंक, बहुगुणा व दोनो रावतों को भी उत्तराखण्डियों से किये गये इस विश्वासघात के लिए धिक्कारा । वहीं इस प्रकरण पर सपा, बसपा व कांग्रेस के अलावा इस प्रकरण पर संसद से सड़क पर घडियाली आंसू बहाने वाली भाजपा को भी इस प्रकरण के गुनाहगारों को संरक्षण देने के लिए धिक्कारा। काला दिवस श्रद्धांजलि सभा के संयोजक देवसिंह रावत ने बताया कि 2 अक्टूबर को उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन के प्रमुख संगठनों व तमाम सामाजिक संगठनो ने उत्तराखण्ड आंदोलनकारी संगठनों की समन्वय समिति के बैनर तले संसद की चैखट जंतर मंतर पर आयोजित इस काला दिवस में उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा, उत्तराखण्ड लोकमंच, उत्तराखण्ड जनमोर्चा, उत्तराखण्ड महासभा, उत्तराखण्ड क्रांतिदल सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की उत्तराखण्ड एकता मंच सहित तमाम प्रमुख सामाजिक संगठनों ने भाग लेते हुए मुजफ्फरनगर काण्ड-94 सहित राज्य गठन जनांदोलन के सभी शहीदों को अपनी भावभीनी श्रद्वांजलि अर्पित करते हुए ‘उत्तराखण्ड के शहीद अमर रहे, मुजफ्फरनगर काण्ड के दोषियों को सजा दो, नरेन्द्र मोदी, त्रिवेन्द्र रावत शर्म करो’ व मुलायम सिंह को फांसी दो आदि गगनभेदी नारे लगाये।
इस अवसर पर आंदोलनकारियों ने उत्तराखण्ड प्रदेश की अब तक की सरकारों को प्रदेश के आत्मसम्मान व जनांकांक्षाओं को रौंदने पर कड़ी भत्र्सना करते हुए उनको राव-मुलायम से बदतर बताया। भाग लेने वाले प्रमुख लोगों में उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के देवसिंह रावत, उत्तराखण्ड महासभा के अनिल पंत, जनमोर्चा क एस एन बसलियाल, भाकपा(माले) के गिरजा पाठक, उक्रांद के वरिष्ठ नेता प्रताप शाही, खुशहाल बिष्ट भाजपा के वरिष्ठ नेता जगदीश प्रसाद मंमगांई व वीरेन्द्र जुयाल, कांग्रेसी नेता गजेन्द्र चैहान, आप नेता बचन सिंह धनोला व पूजा बढोला, खुशहाल सिंह बिष्ट व विनोद नेगी, उतराखण्ड एकता मंच के विनोद बछेती सुरेन्द्र हालसी, पूर्व छात्र नेता सच्चिदानंद भट्ट, ,साहित्यकार पूरन चंद्र कांण्डपाल, पृथ्वी सिंह केदारखण्डी, रमेश हितेषी, दिनेश ध्यानी व भावुक, उतराखण्ड शिल्पकार चेतना मंच के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष हरीश आर्य व महासचिव सुरेश कोहली, उतराखण्ड प्रधान संघ की वरिष्ठ नेत्री रोशनी चमोली, मोहन जोशी, उमेश रावत,वरिष्ठ भाजपा नेता जगदीश मंमगांई, उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के प्रेम सुन्दरियाल , मुम्बई से मीनाक्षी भट्ट ,रामभरोसे ढोेंडियाल, ऊषा नेगी, दलवीर रावत, इंजीनियर गणेश चंद्रा, दलबीर सिंह रावत, चंद्र शेखर जोशी, नीरज बवाडी, बदरी केदार संगठन के उमेश रावत, दिनेश नेेगी, गायिका मंगला रावत, प्रदीप वेदवाल, जगमोहन रावत, हुक्मसिंह कण्डारी, प्रभाकर पोखरियाल, चैहान, रघुनाथ रावत, प्रदीप रावत खुदेड़, सुनीता खर्कवाल, गोकुल नेगी, गोविन्द सिंह पंवार व गणेश सिंह रौतेला, करूणा भट्ट, पुरूषा तिवारी, भाष्कर जोशी ‘पागल’ बीरेन्द्र बुटोला, बृजमोहन सेमवाल, कृष्ण लखेडा, श्याम सिंह फर्तियाल, राजेश कुमार त्यागी, वीपी भट्ट-गढसलाण, अरूण डोभाल, दिनेश नेगी, दीपक सिंह, वीरेन्द्र सिंह गुसांई, रणजीत सिंह नेगी, श्याम प्रसाद खंतवाल, देविन्दर सिंह बिष्ट, कुसुम भट्ट, सुषमा नेगी, बबीता नेेगी, रजनी नेगी, अंजना डोबरियाल, माया रावत, दिनेश बिल्जवाण, लक्ष्मण आर्य कमल किशोर नौटियाल, पंचम सिंह रावत, मेघा, देवसिंह फोनिया, फिल्म निर्माता महेश प्रकाश, पदम सिंह बिष्ट, प्रदीप नौडियाल, रालोद के दिल्ली प्रदेश महासचिव मनमोहन शाह, पत्रकार व्योमेश जुगरान, प्रताप थलवाल, देवेन्द्र बिष्ट,उदय मंमगांई राठी, ,हरीश प्रकाश आर्य, राजेन्द्र रतूडी, पत्रकारकुशाल जीना, हरीश चंद्र लखेडा, दाताराम चमोली , अमर चंद, सतेन्द्र रावत,आनंद जोशी, नवीन रावत, जितेन्द्र रावत, विश्वेश्वर प्रसाद सिलस्वाल, संतोष जोशी, कमल किशोर भट्ट, मातवर सिंह रावत, पूरन चंद्र कांडपाल, भूपेन्द्र सिंह नेगी, नीज कुमार, विनोद मनकोटी, सुखदेव सिंह गुसांई, इंद्रदत्त सुरीरा, रामजी शुक्ला, देवसिंह बिष्ट, द्वारिका चमोली, जगजीवन कन्याल, जी एस रावत, विनोद रतूडी, हरजोधसिंह हल्द्वानी, दीप चंद्रा, चंद्रशेखर पाण्डेय, चंद्र किशोर रावत, मंजू रावत, पंचम रावत, सुनीता बिष्ट, सुशील भट्ट हल्द्वानी, रमेश चंद्र, मुकेश जोशी, मनोज द्विवेदी, चंद्राकांत नेगी, चंद्र सिंह रावत सरत असवाल, वरूण देव, प्रदीप नौडियाल, हरीश चंद्र असवाल, जगमोहन सत्ती, अजय तिवारी, दिक्कर सिंह फत्र्याल, सुरज सुयाल, नंदन सिंह बिष्ट, दीपक डंडरियाल, दिनेश बडोला, दर्शन सिंह रावत, जितेन्द्र सिंह सजवान, नीरज बवाडी, पंकज पेंनूली, सोनु वर्मा गिरीश, उदय मंमगांई राठी, गोविन्द सिंह पोखरियाल, पुरूतोष कांत जोशी, सुंदर सिंह, कमल रावत, सुरजीत, मनोज बिष्ट, रजत बिष्ट, नायक उतराखण्डी, प्रताप सिंह नेगी, रविन्द्र चैहान, राकेश कुमार कालरां, पदम सिंह रावत, राजपाल पंवार, मनोज सिंह नेगी, जतीन्द्र सिंह रावत, सुरेन्द्र सिंह रावत, हयात सिंह राणा, हीरो बिष्ट, प्रेम आर्य, देवेश आदमी, विक्रम सिंह रावत, ध्यानपाल सिंह नेगी, भगवती अग्रवाल, विनोद ढौडियाल, नरेन्द्र जनोटी, दीप सिलोडी, जयेन्द्र नेगी, चंद्र मोहन केमनी,डा तिलोमनी भट्ट, देवकी नंदन, अघिवक्ता जगदीश सिंह, ईश्वर सिंह, नवीन सिंह, चंद्रशेखर गर्कोटी,मनोज गरकोटी, तारादत्त गर्कोटी, दिनेश भण्डारी , आदि सम्मलित रहे।