Amar chand नई दिल्ली।भारत की लोकआत्मा को सुरों में संजोकर दुनिया के कोने-कोने तक पहुँचाने वाली बिहार की गौरवशाली बेटी डॉ. नीतू कुमारी नवगीत आज एक नाम नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक चेतना बन चुकी हैं। उनकी गायकी में केवल सुर नहीं, बल्कि संस्कृति की स्मृति, समाज का संवाद और भारत की मिट्टी की सोंधी महक है।
लोकगायन की यह साधना डॉ. नवगीत ने मात्र स्वाभाविक रुचि से नहीं, बल्कि अनुशासित रियाज़ और अनुशासन से सीखी। उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा प्रसिद्ध लोकगायक एवं मिथिला की गौरवशाली विरासत के वाहक रमेश ठाकुर (लोकगायिका मैथिली ठाकुर के पिता) एवं प्रतिष्ठित संगीताचार्य भरत सिंह के संरक्षण में प्राप्त की। इन दोनों गुरुओं ने उन्हें न केवल गायन की तकनीक सिखाई, बल्कि लोकभावनाओं को आत्मा से जोड़ने की कला भी दी।
हिन्दी साहित्य में पीएचडी धारक डॉ. नवगीत ने अपने सुरों के माध्यम से भारतीय संस्कृति, स्त्री चेतना और सामाजिक सरोकारों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुत किया है। उनकी रचनाओं में स्त्री के अंतर्मन की पीड़ा, लोकजीवन की लय, पर्व-त्योहारों की चहक और समाज की समरसता की झलक मिलती है।
वे आकाशवाणी एवं दूरदर्शन की स्वीकृत कलाकार हैं और उनकी आवाज़ कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रसारणों का हिस्सा बन चुकी है। उनके लोकगीतों में झूमर, सोहर, डोमकच, फाग, चैता, बिरहा, बारहमासा, देवी गीत, विवाह गीत से लेकर रागनिष्ठ प्रस्तुतियों तक की विविधता है।
2019 में उन्हें पूर्वी चंपारण जिला प्रशासन ने लोक उत्सव में स्वच्छता अभियान की ब्रांड एंबेसडर के रूप में आमंत्रित किया। वहाँ उन्होंने गीतों के माध्यम से स्वच्छता, नारी सशक्तिकरण और जल जीवन हरियाली जैसे विषयों पर प्रभावशाली प्रस्तुतियाँ दीं।
डॉ. नवगीत आज बिहार की वह सांस्कृतिक प्रतिनिधि हैं, जिन्होंने सोशल मीडिया पर भी अपनी खास उपस्थिति दर्ज की है। उनके चैनल @nitu.navgeet पर लाखों दर्शक बिहार की सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ रहे हैं।
उनका गायन भारत की सीमाओं में नहीं बंधा रहा — उन्होंने फिजी के गिरमिटिया काव्योत्सव, जर्मनी के फ्रेंकफर्ट उत्सव, जापान की One Asia Foundation जैसे मंचों पर अपनी प्रस्तुतियों से भारतीय लोकगायन को वैश्विक पहचान दिलाई है।
देश में उन्होंने दिल्ली के प्रगति मैदान पुस्तक मेला, हैदराबाद दिव्य दीपोत्सव, बिहार महोत्सव, गोवा, देव महोत्सव, औरंगाबाद, मंदार महोत्सव, बांकुड़ा, ताम्रध्वज महोत्सव, गया, बिहुली महोत्सव, समस्तीपुर, SAARC इंटरनेशनल फोक अवॉर्ड समारोह 2024 जैसे मंचों पर लोकधुनों की गूंज बिखेरी।
डॉ. नवगीत मंचीय गायिका ही नहीं, एक सामाजिक संवाहिका भी हैं। उन्होंने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, दहेज प्रथा विरोध, नारी शिक्षा, भ्रूण हत्या उन्मूलन जैसे अभियानों को गीतों के माध्यम से गांव-गांव, जन-जन तक पहुँचाया।
उनका जीवन एक प्रेरणा है — कि कैसे एक भारतीय नारी परंपरा, प्रतिभा और प्रगतिशीलता को साथ लेकर वैश्विक मंचों पर अपनी पहचान बना सकती है।
उनके जीवनसाथी डॉ. दिलीप कुमार, भारत सरकार में उच्च अधिकारी हैं, जो प्रशासनिक सेवा में राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। यह दंपति — एक ओर सुरों से समाज को जागरूक कर रहा है, तो दूसरी ओर नीति और शासन से राष्ट्रनिर्माण में योगदान दे रहा है।
डॉ. नवगीत आज उस ऊर्जा का नाम है, जो अपनी मुस्कान, अपने सुर और अपने संदेश से न केवल बिहार का, बल्कि पूरे भारतवर्ष का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊँचा कर रही है। वे नारी शक्ति, लोक संस्कृति और राष्ट्र प्रेम की त्रिवेणी हैं।
Amar chand नई दिल्ली।भारत की लोकआत्मा को सुरों में संजोकर दुनिया के कोने-कोने तक पहुँचाने वाली बिहार की गौरवशाली बेटी डॉ. नीतू कुमारी नवगीत आज एक नाम नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक चेतना बन चुकी हैं। उनकी गायकी में केवल सुर नहीं, बल्कि संस्कृति की स्मृति, समाज का संवाद और भारत की मिट्टी की सोंधी महक है।
लोकगायन की यह साधना डॉ. नवगीत ने मात्र स्वाभाविक रुचि से नहीं, बल्कि अनुशासित रियाज़ और अनुशासन से सीखी। उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा प्रसिद्ध लोकगायक एवं मिथिला की गौरवशाली विरासत के वाहक रमेश ठाकुर (लोकगायिका मैथिली ठाकुर के पिता) एवं प्रतिष्ठित संगीताचार्य भरत सिंह के संरक्षण में प्राप्त की। इन दोनों गुरुओं ने उन्हें न केवल गायन की तकनीक सिखाई, बल्कि लोकभावनाओं को आत्मा से जोड़ने की कला भी दी।
हिन्दी साहित्य में पीएचडी धारक डॉ. नवगीत ने अपने सुरों के माध्यम से भारतीय संस्कृति, स्त्री चेतना और सामाजिक सरोकारों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुत किया है। उनकी रचनाओं में स्त्री के अंतर्मन की पीड़ा, लोकजीवन की लय, पर्व-त्योहारों की चहक और समाज की समरसता की झलक मिलती है।
वे आकाशवाणी एवं दूरदर्शन की स्वीकृत कलाकार हैं और उनकी आवाज़ कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रसारणों का हिस्सा बन चुकी है। उनके लोकगीतों में झूमर, सोहर, डोमकच, फाग, चैता, बिरहा, बारहमासा, देवी गीत, विवाह गीत से लेकर रागनिष्ठ प्रस्तुतियों तक की विविधता है।
2019 में उन्हें पूर्वी चंपारण जिला प्रशासन ने लोक उत्सव में स्वच्छता अभियान की ब्रांड एंबेसडर के रूप में आमंत्रित किया। वहाँ उन्होंने गीतों के माध्यम से स्वच्छता, नारी सशक्तिकरण और जल जीवन हरियाली जैसे विषयों पर प्रभावशाली प्रस्तुतियाँ दीं।
डॉ. नवगीत आज बिहार की वह सांस्कृतिक प्रतिनिधि हैं, जिन्होंने सोशल मीडिया पर भी अपनी खास उपस्थिति दर्ज की है। उनके चैनल @nitu.navgeet पर लाखों दर्शक बिहार की सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ रहे हैं।
उनका गायन भारत की सीमाओं में नहीं बंधा रहा — उन्होंने फिजी के गिरमिटिया काव्योत्सव, जर्मनी के फ्रेंकफर्ट उत्सव, जापान की One Asia Foundation जैसे मंचों पर अपनी प्रस्तुतियों से भारतीय लोकगायन को वैश्विक पहचान दिलाई है।
देश में उन्होंने दिल्ली के प्रगति मैदान पुस्तक मेला, हैदराबाद दिव्य दीपोत्सव, बिहार महोत्सव, गोवा, देव महोत्सव, औरंगाबाद, मंदार महोत्सव, बांकुड़ा, ताम्रध्वज महोत्सव, गया, बिहुली महोत्सव, समस्तीपुर, SAARC इंटरनेशनल फोक अवॉर्ड समारोह 2024 जैसे मंचों पर लोकधुनों की गूंज बिखेरी।
डॉ. नवगीत मंचीय गायिका ही नहीं, एक सामाजिक संवाहिका भी हैं। उन्होंने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, दहेज प्रथा विरोध, नारी शिक्षा, भ्रूण हत्या उन्मूलन जैसे अभियानों को गीतों के माध्यम से गांव-गांव, जन-जन तक पहुँचाया।
उनका जीवन एक प्रेरणा है — कि कैसे एक भारतीय नारी परंपरा, प्रतिभा और प्रगतिशीलता को साथ लेकर वैश्विक मंचों पर अपनी पहचान बना सकती है।
उनके जीवनसाथी डॉ. दिलीप कुमार, भारत सरकार में उच्च अधिकारी हैं, जो प्रशासनिक सेवा में राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। यह दंपति — एक ओर सुरों से समाज को जागरूक कर रहा है, तो दूसरी ओर नीति और शासन से राष्ट्रनिर्माण में योगदान दे रहा है।
डॉ. नवगीत आज उस ऊर्जा का नाम है, जो अपनी मुस्कान, अपने सुर और अपने संदेश से न केवल बिहार का, बल्कि पूरे भारतवर्ष का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊँचा कर रही है। वे नारी शक्ति, लोक संस्कृति और राष्ट्र प्रेम की त्रिवेणी हैं।