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प्रकृति की पुकार और संस्कृति का संगम: अमर संदेश द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर जागरूकता, विचार और सम्मान का भव्य आयोजन”

सी एम पपनैं

नई दिल्ली। ख्यातिरत अमर संदेश समाचार पत्र ग्रुप द्वारा 14 जून की सायं कंस्टीट्यूशन क्लब के डिप्टी चेयरमैन हाल में विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में ‘पर्यावरण जागरूकता’ पर ज्ञानवर्धक सेमिनार, सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा संस्कृति सम्मान-2025 का प्रभावशाली आयोजन मुख्य अतिथि भाजपा पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व अनेकों राज्यों के पार्टी प्रभारी श्याम जाजू की प्रभावी उपस्थिति तथा सेवानिवृत आईएएस कुलानन्द जोशी, कांग्रेस नेता हरिपाल रावत, भाजपा दिल्ली प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अर्जुन सिंह राणा, लोकगायिका कल्पना चौहान, केंद्रीय सचिवालय कर्मचारी संगठन नेता उदित आर्य तथा माताश्री देवभूमि परिवार मंचासीनों के सानिध्य में तथा बड़ी संख्या में मौजूद संस्कृति कर्मियों, लेखकों व पत्रकारों की उपस्थित में आयोजित किया गया।

आयोजित आयोजन का श्रीगणेश मंचासीन मुख्य व विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर तथा अमर संदेश समाचार पत्र ग्रुप मुख्य संपादक अमर चंद के साथ-साथ निम्मी ठाकुर, सुजीत ठाकुर, मोहन सिंह रावत इत्यादि द्वारा मंचासीन मुख्य व विशिष्ट अतिथियों को शाल ओढ़ा कर, स्मृति चिन्ह व पौंध गमला प्रदान कर स्वागत अभिनंदन किया गया। आयोजन मुख्य संयोजक व समाचार पत्र मुख्य संपादक अमर चंद तथा निम्मी ठाकुर द्वारा सभी मंचासीन अतिथियों व हाल में उपस्थित सभी प्रबुद्ध जनों, कलाकारों व पत्रकारों का स्वागत अभिनन्दन कर कार्यक्रम आयोजन के उद्देश्य व आयोजित गोष्ठी विषय के महत्व पर प्रकाश डाला गया।

  1. ‘पर्यावरण जागरूकता’ विषय पर मुख्य वक्ताओं में प्रमुख वरिष्ठ पत्रकार चंद्र मोहन पपनैं, संगीतकार राजेंद्र चौहान, जौनसार यूट्यूबर रामसिंह तोमर, आंचलिक फिल्म अभिनेता एसीपी दिल्ली पुलिस पदमेंद्र रावत, लोकगायक शिवदत्त पंत, रंगकर्मी हेम पंत तथा मंचासीन अतिथियों द्वारा पर्यावरण जागरूकता पर प्रभावशाली व ज्ञानवर्धक विचार व्यक्त किए गए। 

प्रबुद्ध वक्ताओं द्वारा कहा गया, नौ गृहों में पृथ्वी ही ऐसा गृह है जहा जीवन है। मानवीय कृति ही वैश्विक फलक पर पर्यावरण का नुकसान कर रही है, जिस कारण जैव विविधता का क्षरण हो रहा है। पृथ्वी, सागर और आकाश भयावह रूप में प्रदूषित हो चुके हैं। गहरे समुद्र में जीवन यापन करने वाले जीव जंतु तक समुद्री तटों पर घायल अवस्था में आकर दम तोड़ते दिखाई दे रहे हैं। तनाव से चालीस सप्ताह में जन्म लेने वाले बच्चे मात्र चौबीस माह में जन्म लेकर एक नई मुसीबत खड़ी कर रहे हैं। कई अहितकारी दूरगामी बदलाव हो रहे हैं, जो मानव हित में नहीं हैं। व्यक्त किया गया, पर्यावरण संरक्षण हेतु राष्ट्रीय व वैश्विक फलक पर दूरदर्शी होकर विश्व की सभी पर्यावरण से जुडी संस्थाओं व देशों को ईमानदारी व निष्ठा से पर्यावरण को नष्ट होने से बचाने व उसके संरक्षण हेतु निरंतर काम करने की जरूरत है, तभी पृथ्वी का संतुलन बना रहेगा, भयावह आपदाओं व बीमारियों से बचा जा सकेगा। 

संबंधित गोष्ठी विषय पर वक्ताओं द्वारा कहा गया, पर्यावरण समूहों द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस को एक कार्यशील दिवस बनाने के लिए प्रयास किए गए हैं जो मानव के व्यवहार को परिवर्तित करते हैं और नीति परिवर्तनों को बढ़ावा देते हैं। कहा गया, अमर संदेश समाचार पत्र द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण के लिए जनजागरण के नजरिए से अति सराहनीय व प्रभावशाली आयोजन है।

कहा गया, जलवायु परिवर्तन मानवता के भविष्य और जीवन समर्थन प्रणालियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। अच्छी, शुद्ध व साफ जलवायु हमारी दुनिया को रहने योग्य बनाती है। वनस्पतियों, जीव जंतुओं से लेकर मनुष्य तक का अस्तित्व का कारण पृथ्वी का शुद्ध पर्यावरण है। हवा, पानी, मिट्टी, जंगल, खनिज, हिमालयी ग्लेशियर, नदिया, झीले, महासागर, प्रकृति तभी सुन्दर नजर आएगी जब पर्यावरण शुद्ध और साफ रहेगा। कहा गया, हम सबको खुद के और आने वाली पीढ़ियों के बेहतर भविष्य के लिए प्रकृति के पर्यावरण को बचाना हम सबका कर्तव्य बनता है। इसी भाव को जगाने व जागरूकता बढ़ाने के लिए अमर संदेश समाचार पत्र ग्रुप द्वारा आज यह प्रभावशाली आयोजन अमर चंद व उनकी टीम के संयोजन से किया गया है, जो पर्यावरण संरक्षण के हित में एक अच्छी सोच व दूरदर्शिता की परक की पुष्टि करता नजर आता है।

वक्ताओं द्वारा कहा गया, इंसानी स्वार्थपरक कारगुजारियों का अवलोकन करने के बाद, निरंतर घट रही प्राकृतिक विपदाओं को ईश्वर का प्रकोप कम व इंसानी कारगुजारियों की देन ज्यादा मानना पड़ेगा। कहा गया, औद्योगिक क्रांति और वैज्ञानिक प्रगति ने ग्रीनहाउस गैसों के उत्पादन को जन्म दिया जो वायु मंडल को निरंतर गर्म कर रहा है। नाजुक पारिस्थितिकी वाले उत्तराखंड के पहाड़ी अंचल को विकास के नाम पर, इंसानी लोभ के परिभूत होकर, प्राकृतिक नियमो, संसाधनों के परंपरागत उपभोग की पद्धति में बदलाव कर तथा वैज्ञानिक तथ्यों की अनदेखी व अवहेलना कर जिस गति से प्रकृति का दोहन कर उसे असंतुलित किया जा रहा है। उसी गति से प्राकृतिक आपदाओं का बढ़ता सिलसिला एक नियति सी बन गई है। हिमालयी ग्लेशियर बढ़ते तापमान से पिघल रहे हैं, अकस्मात बादल फट रहे हैं, भयावह आपदाएं समय-समय पर घट कर रौद्र रूप दिखा रही हैं। पर्यावरण के हास का प्रभाव बड़े स्तर पर पड़ रहा है। शुद्ध व साफ पर्यावरण हमारे जीवन के लिए आवश्यक है, यह जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित करता है। ज़रूरत है पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी को शिक्षित व प्रेरित करना।

वक्ताओं द्वारा कहा गया, पर्यावरण व भू-विशेषज्ञो के कथनानुसार उत्तराखंड में जितनी भी बड़ी-बड़ी निर्माण योजनाएं, परियोजनाएं बनाई जा रही हैं इन सभी में जमीन की ऊपरी सतह सीमेंट के निर्माण कार्य या किसी भी ढांचे से ढक दी गई है। जो ऊष्मा या गर्मी को मिट्टी में समाहित करने के बजाय, दुष्परिणामों में परिवर्तित हो रही है। इन तमाम परियोजनाओं से निकलने वाली लाखों टन मिट्टी और अन्य मलवा जगह-जगह लापरवाही मे फेंक दिया जाता है। नदियों के प्रदूषण पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उक्त क्षेत्रों का क्लाइमेट बहुत अधिक प्रभावित हो रहा है। तापमान में बदलाव आ रहा है। जंगलों में लगने वाली आग भी पर्यावरण व तापमान को भारी क्षति पहुंचा रही है।

कहा गया, बार-बार प्राकृतिक आपदाओं के घटित होने से व्यक्त किया जा सकता है, आज हम प्रकृति के साथ नहीं बल्कि उसकी कीमत पर विकास कर रहे हैं। आपदाओं को अवसर बना कर चल रहे हैं। अपने अस्तित्व को अपने ही क्रियाकलापो के कारण खतरे में डाल रहे हैं। हमारी सरकार व योजनाकारों को इस महत्वपूर्ण बात को समझना होगा कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के विकास का मॉडल वह नहीं हो सकता जैसा कि अन्यत्र जगहों का। घट रही प्राकृतिक घटनाओं ने उत्तराखंड के ग्रामीण जनमानस के मनोबल को बुरी तरह से झकझोर सा दिया है। ऐसे में अगर हमारी सरकार व उनके योजनाकार प्रकृति के साथ भारी-भरकम छेड़-छाड़ वाली योजनाओ, परि-योजनाओ को प्राथमिकता न देकर प्रकृति को पोषण देने वाली योजनाओ पर ध्यान केन्द्रित करने लग जाए तो घट रही आपदाओं के विनाश को कम किया जा सकता है। जनमानस को आपदाओं के भय से मुक्ति दिला, सकून की जिंदगी जीने का अवसर दिया जा सकता है।

वक्ताओं द्वारा कहा गया, पर्यावरण का विषय गंभीर विषय है। पर्यावरण के हास का खामियाजा समस्त विश्व भोग रहा है। पर्यावरण संरक्षण कह कर नहीं, धरातल पर कार्य कर, प्रकृति के नियमों का कड़ाई से पालन कर ही किया जा सकता है। कहा गया, ‘एक पेड़ मां के नाम’ मुहीम का समर्थन कर पेड़- पोंधे लगाने चाहिए। पर्यावरण की रक्षा हर हाल करनी चाहिए। कहा गया, उत्तराखंड का जनमानस तो पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में पीढ़ी दर पीढ़ी पारंपरिक रूप में हरेला पर्व मनाता आ रहा है। उत्तराखंड का फूलदेई पर्व भी पर्यावरण से जुड़ा हुआ है। कहा गया, उत्तराखंड को पर्यावरण संरक्षण हेतु ग्रीन बोनस व नदियों में हरिद्वार तक शुद्ध जल प्रवाहित करने हेतु ब्ल्यू बोनस मिलना चाहिए।

वक्ताओं द्वारा कहा गया, वर्तमान में आदमी सफल जरूर हो रहा है परन्तु वह खुश नहीं है। पहले वह हरे भरे पेड़ पौधों के करीब जंगल में रहता था, आज कंक्रीट के जंगल में घुटन भरा जीवन व्यतीत कर रहा है। कहा गया, ऋग्वेद में जल और वायु को देवता कहा गया है, आज उसे प्रदूषित कर उसका अपमान किया जा रहा है। प्रकृति ने जो पर्यावरण दिया है उसको शुद्धता देकर अच्छा जीवन जिया था सकता है। कहा गया, अवैध जंगलों के कटान से जंगल नष्ट हुए, पानी सूखा, घास की कमी हुई। उसका खामियाजा महिलाओं ने भुगता, जिस पर दूरदृष्टी डाल कर ही उत्तराखंड की महिलाओं ने चिपको आंदोलन चला विश्व को चेताया था। पर्यावरण का मतलब समझाया था। कहा गया, पर्यावरण और प्रकृति का संरक्षण हमारा कर्तव्य बनता है, संविधान इसे मान्यता देता है।

आयोजन मुख्य अतिथि भाजपा वरिष्ठ नेता श्याम जाजू द्वारा पर्यावरण जागरूकता पर कहा गया, नैसर्गिक पर्यावरण की चिंता करना उत्तराखंडियों की चिंता रही है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने गंगा व अनेकों अन्य नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए लाखों रुपयों का अनुदान दिया है। तीर्थ यात्री सुगमता से कैंची धाम, बद्रीनाथ, केदारनाथ धाम जा रहे हैं, श्रद्धा और संस्कृति देने का कार्य उत्तराखंड करता है। कहा गया, विकास कार्यों हेतु जो पेड़ कट रहे हैं उससे अधिक पेड़ लगाने व उनकी सुरक्षा के इंतजाम सरकार द्वारा किए गए हैं ताकि पर्यावरण सुरक्षित रहे। कहा गया, उपहार में पेड़ पौधों के गमले देने की प्रथा व प्रचलन वर्तमान सरकार द्वारा ही धरातल पर लाई गई, जो परंपरा का रूप धारण करती जा रही है। अवगत कराया गया, निर्मल गंगा हेतु तथा पेड़ लगाने हेतु बड़े स्तर पर नीति नियोजन किया जा रहा है, बजट बनाया जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में वैश्विक फलक पर भारत नेतृत्व कर रहा है। सोलर एनर्जी में भारत सबसे आगे है। कहा गया, शहरों व महानगरों में रहने वाले लोग बिजली, पानी की खपत कम करने और बहते नालों की चिंता करे। यमुना भी साफ होगी।

मुख्य अतिथि श्याम जाजू द्वारा पर्यावरण जागरूकता विषय पर सभी गायक कलाकारों व रचनाकारों के गायन-वादन व वाचन की प्रशंसा की गई। सम्मानित होने जा रहे सभी कलाकारों व पत्रकारों सहित आयोजक मुख्य संपादक अमर संदेश ग्रुप के मुख्य संपादक अमर चंद व उनकी पूरी टीम को महत्वपूर्ण विषय पर प्रभावशाली गोष्ठी के आयोजन हेतु बधाई दी गई।

पर्यावरण से जुडे सांस्कृतिक कार्यक्रमो के क्रम में उपस्थित कलाकारों द्वारा पर्यावरण संरक्षण से जुड़े गीत, नृत्य, नाटक व कविताओं का प्रभावशाली गायन, वादन व वाचन कर आयोजन को यादगार बनाया गया। सुप्रसिद्ध गायक कलाकारों में प्रमुख कल्पना चौहान द्वारा-

उत्तराखंड की धरती हरी भरी बनौल….।

आशा नेगी द्वारा-

किले गिछै गढ़ परदेशा… ऊंचा ऊंचा डान पहाड़ा…।

मौनिका झा वैदेही द्वारा-

पेड़ प्राणों का आधार… जरा ध्यान दे….।

मधु बेरिया साह द्वारा-

सात सुरों का बहता दरिया तेरे नाम….।

काटी है जंगला, टूटनी पहाड़ा, खेती पाती बजीगे, सुखी गे गाड़ा…।

इत्यादि इत्यादि पर्यावरण व लोकजीवन की दशा व दुर्दशा से जुड़े गीतों का गायन संगीतकार मोतीशाह के संगीत निर्देशन में किया गया। दीपिका ट्रस्ट से जुड़ी सुनीता सुयाल नौनिहालों के ग्रुप द्वारा वायु प्रदूषण और स्वच्छता पर रचित हास्य व्यंग से ओत प्रोत लघु नाटक ‘बस अब और नहीं’ का मंचन किया गया।

विश्व पर्यावरण दिवस के इस अवसर पर रंगकर्म क्षेत्र से जुड़े कलाकारों, पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले पत्रकारों व अन्य प्रबुद्ध जनों को मुख्य व विशिष्ट अतिथियों के कर कमलों शाल ओढ़ाकर व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर ‘अमर संदेश समाचार पत्र सम्मान- 2025’ से सम्मानित किया गया।

सम्मानित होने वाले वरिष्ठ पत्रकारों में सूजीत ठाकुर, अनिल पंत, योगेश भट्ट, खुशाल जीना, सुनील नेगी समाजसेवी, चंद्र मोहन पपनै, राजू बोरा इत्यादि इत्यादि तथा रंगकर्म व अन्य विधाओं से जुड़े कलाकारों व प्रबुद्ध जनों में उर्मिला मेहरा (रानीखेत), सुरेशी दानू, आशा नेगी, नीमा भंडारी, विजय भंडारी, मधु बेरिया साह, राजेंद्र चौहान, पदमेंद्र रावत, मोहन सिंह रावत, रमेश चंद, लक्ष्मी नौडियाल, यशोदा घिल्डियाल, संगीता सुयाल, कुंदन भैंसोडा, दीप, शर्मा, अशोक यादव, सविता पंत, मौनी झा वैदेही, शिवदत्त पंत, हेम पंत, प्रभा, शुक्रितो, वैष्णवी शास्त्री, राम सिंह तोमर, प्रमिला तोमर, गणेश गौण, अतुल कुमार जैन इत्यादि इत्यादि सम्मान प्राप्त करने वाले मुख्य नाम रहे। इस मौके पर संगीत में मोती शाह और मुकेश बकरोला नेे अपनी अहम भूमिका निभाई।

पर्यावरण जागरूकता विषय पर गोष्ठी आयोजित करने हेतु बैंक ऑफ इंडिया तथा अनेकों समाज सेवियों के द्वारा दिए गए आर्थिक सहयोग की सराहना की गई। आयोजित गोष्ठी का प्रभावशाली मंच संचालन राज चावला द्वारा बखूबी किया गया।

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