अंतरराष्ट्रीयउत्तराखण्डदिल्लीराष्ट्रीय

बालाकुंभ गुरुमुनि: जापान से भारत तक आध्यात्मिक पुल का निर्माण

शिवभक्ति, सेवा और सनातन चेतना का विश्वदूत

Amar chand नई दिल्ली। जापान की राजधानी टोक्यो में जन्मे एक असाधारण व्यक्तित्व—श्री बालाकुंभ गुरुमुनि(जिनका जापानी नाम ताकायुकी है)—आज विश्व पटल पर सनातन धर्म, योग और शिवभक्ति के सबसे प्रभावशाली वाहक के रूप में पहचाने जा रहे हैं। वह न केवल एक आध्यात्मिक गुरु हैं, बल्कि सफल उद्यमी, परोपकारी सेवक और अंतरधार्मिक संवाद के सशक्त माध्यम भी हैं।

बालाकुंभ गुरुमुनि’ नाम ही उनकी बहुआयामी आत्मा का दर्पण है:

उनका जीवन सिद्ध करता है कि आध्यात्मिकता केवल साधना नहीं, सेवा और विज्ञान से संतुलन का नाम है।

व्यवसाय से अध्यात्म की ओर: एक विलक्षण यात्रा

साधारण शिक्षा के बाद उन्होंने 2006 में जापान के इंटरनेट उद्योग में प्रवेश किया और 100 से अधिक कर्मचारियों की टीम के साथ एक सफल कंपनी खड़ी की। उन्होंने सुगंधित उत्पादों की श्रृंखला भी विकसित की और मात्र 22 वर्ष की आयु में 14 स्टोर स्थापित किए। लेकिन इस सफलता के बावजूद, उन्होंने संसार को सेवा और साधना की दृष्टि से देखने का निर्णय लिया।

2006–2010 के बीच, उन्होंने भारत और दक्षिण एशिया में हजारों जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराया। भारत में एक “भोजन कार्यक्रम” के तहत 20 लाख से अधिक लोगों को भोजन वितरित किया गया। हज़ारों वृक्ष लगाए गए, मंदिरों का जीर्णोद्धार किया गया, और जापान में सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु एक आंदोलन खड़ा हुआ।

शिवभक्ति में रमे, सनातन में समर्पित

जापान मूलतः बौद्ध राष्ट्र है, परंतु गुरुमुनि जी ने वहाँ शिव मंदिर की स्थापना का कार्य आरंभ किया है और जापान के 47 प्रदेशों में सनातन साधना के केंद्र बनाना चाहते हैं। उन्हें नाड़ी ज्योतिष से यह बोध हुआ कि वह स्वयं भगवान शिव के अंश हैं। 2023 में वे पहले गैर-भारतीय बने जिन्हें पवित्र यज्ञोपवीत धारण करने का सम्मान मिला।

भारत यात्रा 2025: भक्ति, भाईचारा और भारत-जापान संबंधों का संगम।

15 जुलाई 2025 को दिल्ली आगमन के साथ उनकी यात्रा आरंभ हुई, जिसमें उनके 20 जापानी अनुयायी भी सम्मिलित हैं।

16 जुलाई को वसंत कुंज के शिव मंदिर में हवन और शनि देव को अर्पित पूजन

विश्वविद्यालयों में छात्रों को सनातन धर्म, योग और आयुर्वेद के विषय में संबोधन

हरिद्वार और ऋषिकेश में पावन गंगा तट पर ध्यान और साधना

युवाओं और व्यवसायियों को आयुर्वेद उद्योग में निवेश हेतु प्रेरणा

उनकी यह यात्रा भारत और जापान के बीच आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का एक सेतु सिद्ध हो रही है।

भविष्य की योजनाएँ: आश्रम, चिकित्सा और अंतरधार्मिक संवाद

टोक्यो में उनके निवास को शिव मंदिर में रूपांतरित किया गया है

पांडिचेरी में 35 एकड़ भूमि पर ‘नक्षत्र’ नामक स्थायी आश्रम निर्माणाधीन है

अत्याधुनिक विज्ञान और प्राचीन चिकित्सा का समन्वय करके वे वैश्विक स्वास्थ्य के लिए नए मॉडल प्रस्तुत करना चाहते हैं

दलाई लामा सहित विश्व के अनेक आध्यात्मिक नेताओं के साथ संवाद में सक्रिय भूमिका।

एक जीवित प्रेरणा: नम्रता और मानवता का प्रतीक

गुरु मनि जी स्वयं को केवल एक ‘अवगुण रहित पात्र’ मानते हैं, जिनमें दिव्य ऊर्जा का प्रवाह होता है। उनका जीवन दर्शन यह सिखाता है कि हर व्यक्ति में परमात्मा का अंश है और सेवा ही सबसे श्रेष्ठ साधना है

उपसंहार: विश्व शांति की ओर एक दृढ़ कदम

बालाकुंभ गुरुमुनि की भारत यात्रा केवल एक साधारण तीर्थ नहीं, बल्कि एक वैश्विक चेतना का आह्वान है। यह यात्रा भारत-जापान के आध्यात्मिक बंधन को और भी मजबूत करेगी तथा मानवता, योग और आयुर्वेद की वैश्विक प्रतिष्ठा में एक नया अध्याय जोड़ेगी। उनके शिव जी की प्रति जो आस्था है और जो विश्वास है उसको देखते हुए उन्होंने इस बार कावड़ यात्रा भी की है भारत देव भूमि की यह महिमा अपने आप में एक निराली है यहां देश-विदेश सभी भारत प्रेमी युवा शिव प्रेमी जाकर शिव के चरणों में प्रार्थना जरूर करते हैं बाबा श्री का यह आगमन अपने आप में जापान और भारत में एक सकारात्मक संदेश देगा। अमर संदेश को यह जानकारी शिक्षाविद उद्योगपति समाजसेवी, रमेश चंद्र सुंदिरयाल ने दी।

Share This Post:-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *