जीवन की कोई भी कुर्बानी करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं उदित राज
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सबसे पहले मैं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रांगण में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रभारी, महासचिव, ऑर्गनाइजेशन केसी वेणुगोपाल , दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री, जिन्होंने देश और दुनिया में दिल्ली को कांग्रेस के मुख्यमंत्री के तौर पर बदल कर दिखाया और जो अब कांग्रेस पार्टी की प्रदेश अध्यक्षा हैं, श्रीमती शीला दिक्षित और एक ऐसी शख्सियत जिनका नाम, कर्म, रास्ता गरीब के साथ जुड़ा है। पूरे देश में जब-जब गरीब की आवाज, शोषित की आवाज, वंचित की आवाज, दलित की आवाज बुलंद करने की बात आई, तो जिस व्यक्ति ने समाज की भिन्न -भिन्न भूमिकाओं में सदैव इस देश के गरीब की आवाज को व्यक्तिगत कुर्बानी से बड़ा माना, एक ऐसे व्यक्ति जो शायद सबसे बेहतरीन सांसदों में से एक तो हैं ही, पर उससे भी ज्यादा गरीब, दलित, शोषित और वंचित उसके लिए जीवन की कोई भी कुर्बानी करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। जिन्होंने हमेशा व्यक्तिगत लाभ से या पद से बड़ा, प्रतिष्ठा से बड़ा सम्मान, स्वाभिमान, वंचित और शोषित की आवाज को बुलंद करने के रास्ते को माना, मेरा इशारा उदित राज की तरफ है, जो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिले और जिन्होंने अब देश के दलित, शोषित, वंचित, गरीब, हर वो व्यक्ति जिसका अधिकार छीनने का सरकार और सत्तारुढ़ पार्टी प्रयास करती है, राहुल के हाथ से हाथ मिलाकर कांग्रेस का हाथ पकड़ कर, उस आवाज को पूरे देश में बुंलद करने का निर्णय किया है। मैं उदित राज का स्वागत करता हूं।
इस अवसर पर उदित राज ने कहा कि मैं कांग्रेस पार्टी में शामिल हुआ और कांग्रेस में मैं 2012,13,14 से ही आना चाहता था, राहुल गांधी इस बात को जानते हैं, परिस्थितियाँ ऐसी रही। मैं उन लोगों में से नहीं हूं कि कोई चीज मैं झूठ बोलूं। अगर बीजेपी टिकट वहाँ से देती, तो मैं वहाँ से लड़ता, लेकिन इसकी वजह से देश में एक बहुत बड़ी चीज निकल कर आई है कि बीजेपी कितना दलित विरोधी है, India Today group ने सैंकड बेस्ट मेंबर ऑफ पार्लियामेंट परफोर्मेंस में रेट किया, फेम इंडिया एशिया पोस्ट सर्वे ने बेजोड़ सांसद और फ्रेश सांसद का खिताब दिया। बीजेपी में एक प्रचार है कि यहाँ सबको न्याय मिलता है, कार्यकर्ताओं को उस हथियार से बड़ा धोंस जमाते हैं कि इंटर्नल सर्वे जो कहेगा, वो होगा। ये इंटर्नल सर्वे इन्होंने 4-5 ऐजेंसिंया हायर की हैं, उसमें भी दिल्ली में मोस्ट पोपुलर और विनिंग सीट वही निकल कर आ रही थी, इनके पास क्लियर कट एक ही सीट निकल कर आ रही थी, आप चैक कर लीजिए इनके इंटर्नल सर्वे को कि गलत निकल जाए। फिर भी इन्होंने मेरा टिकट काटा, वजह ये है कि 2 अप्रैल, 2018 को जब दलित सड़कों पर आए, भारत बंद किया तो मैंने उनका समर्थन किया, एट्रोसिटी एक्ट जब खत्म किया गया था, तो मेरी गलती यही थी कि मैं गूंगा, बहरा नहीं था वहाँ पर। वहाँ गूंगा बहरा अगर कोई रहे तो उसको प्राईम मिनिस्टर भी बना सकते हैं, बीजेपी, आर.एस.एस. उसे प्रधानमंत्री भी बना सकते हैं। 20 मई, 2014 को माननीय रामनाथ कोविंद बॉयोडाटा लेकर मेरे यहाँ आए, इसका चश्मदीद गवाह बीजेपी के SC/ST के विवेक सोनकर हैं, वो आकर, मैं चेंबर में बैठा था, कहा रामनाथ कोविंद खड़े हैं, हमने कहा लाईए उनको, मैं जानता था उनको, उन्होंने कहा कि मेरा भी कुछ कराईए। कोविंद जी को 2014 में इस लायक भी नहीं समझा था कि उनको टिकट देते, जबकि वो टिकट चाह रहे थे। तो चुप रहने का इनाम देखा आपने, राष्ट्रपति और मैं चुप रहता तो मुझे प्रधानमंत्री कभी ना कभी बना देते।
इसके अलावा 490 करोड़ रुपए का एक दलित हब इन्होंने 2016 में स्थापित किया, बड़ा प्रचार किया कि हमने 490 करोड़ रुपए का दलित हब बनाया, अभी तक केवल पब्लिसिटी पर खर्च हुआ है 72 करोड़ रुपए, बाकी सारा पैसा बचा हुआ है। ये इनकी हालत है। मुद्रा बैंक में लोन किसको मिला है, जो बिजनेसमैन थे, उनके ड्राइवर शेड्यूल कास्ट के थे, इम्पलोई थे, हेलपर थे या खुद बिजनसमैन थे, मुद्रा बैंक का फायदा नाम मात्र का दलितों को मिला है। 38 वॉयस चांसलर इन्होंने अपने टेन्योर में अपोयंट किए, उसमें एक भी शेड्यूल कास्ट से संबंध नहीं रखता है, जबकि कांग्रेस की दरियादिली देखिए कि कांग्रेस ने तो यूजीसी का चेयरमैन भी बनाया था। आज एक भी सेक्रेटरी शेड्यूल कास्ट का गवर्मेंट ऑफ इंडिया में नहीं है, कांग्रेस की सरकार में कभी ऐसा नहीं था। इसके अलावा इन्होंने प्रोक्योरमेंट पॉलिसी में दलितों से खरीददारी होगी, ये पॉलिसी 2012 की है, ये डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने भी बनाया था, 0.36 प्रतिशत ही दलित से सामान और सर्विस ली गई है, जबकि ये 4 प्रतिशत होना चाहिए था। ये जो पूरा प्रचार कर रहे हैं, ये केवल प्रचार है। आंकड़े के साथ में अगर कोई चीज गलत निकल जाए, ये सवाल आप खड़ा करें कि आपने दलितों को बर्बाद कर दिया है और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 5 साल से भर्तियां बंद करके शेड्यूल कॉस्ट को इस देश से खत्म कर दिया और ऐसा नहीं कि मैं चुप रहा हूं, मैंने संसद में भी ये बात उठाई है, कई बार उठाई है कि ये SC/ST की पूरी रिक्र्यूटमेंट बंद हो गई है, 10 बार मैंने ये बात उठाई है, मेरा रिकोर्ड चैक कर सकते हैं। इस मुद्दे पर मैंने सब मंत्रालयों में भी चिठ्ठियां लिखी हैं, सब पर चिठ्ठियां लिखी हैं, तो इनको पसंद नहीं आया, बीजेपी को दलित वोट तो चाहिए, लेकिन दलित नेता नहीं चाहिए जो बोलने वाला हो, इनको गूंगा और बहरा चाहिए। मैं ना गूंगा-बहरा पहले थे और यहाँ आकर दलितों की ही लड़ाई लडूंगा। 70 साल के रिकोर्ड में अगर ऐसा ट्रैक रिकोर्ड किसी भी मेंबर ऑफ पार्लियामेंट का हो, तो मुझे बताएं कि मैंने कभी भी दलितों के मुद्दे पर, महिलाओं के मुद्दे पर समझौता किया हो। यही भारतीय जनता पार्टी मुसलमान औरतों में बराबरी की बात करती है और जब हिंदू महिलाओं में बराबरी की बात आती है तो कहती है कि परंपरा के हिसाब से चलना चाहिए, आपको हिंदू परंपराओं को ख्याल नहीं है। ये ध्रुवीकरण करते हैं, इसके ऊपर भी मैंने विरोध जताया था कि महिलाएं इंप्योर कैसे हैं, बीजेपी महिलाओं को इंप्योर समझती है और केवल मातृ शब्द समझती है। मैंने कहा कि मुझे कुछ नही चाहिए, मैं आपके लिए प्रचार करुंगा, मैं कैडर बिल्डर हूं और पूरे देश में हमारे जो लोग हैं, अब उन्हें आजादी होगी, मानसिक रुप से उनका तालमेल होगा, मैं 5 साल कैसे जिया हूं, मैं संसद में था, तो केवल आवाज उठाने के लिए, गाड़ी-बंगले के लिए नहीं था, वरना चुप रह जाता। मैं दूसरा कोविंद बन जाता या दूसरा नेता बन जाता, बड़े आराम से हर चीज वहाँ मिल जाती है, पर चुप रहिए लेकिन मैं चुप रहने वाला नहीं था। शायद उन्होंने मेरे साथ अच्छा ही किया, जिससे मेरे विचार मिलते हैं और राहुल ने मुझे 2-3 बार पार्लियामेंट में भी कहा कि आप गलत जगह पर हैं, तो मैंने कहा कि मैं क्या करुं। मैंने उनको रेफ्यूट नहीं किया था, आप पूछ सकते हैं इस बात को। तो अगर कोई ये कहे कि मैं लालच से था, तो लालच से अगर रहता तो मैं चुप रहता, वही हमारे भले में था लेकिन मैं चुप नहीं रहा, उसका अंजाम ये है, तो आप देख सकते हैं कि ये दलितों से कितनी नफरत करते हैं, ये मैं ही समझ सकता हूं, अगर दलितों को पता लग जाए तो समझदार दलित एक भी वोट इस पार्टी को नहीं देगा।