कोरोना विषाणु संक्रमण पर शिकंजा कसने के लिए सख्त निर्देशों की बौछार
सी एम पपनैं
भतरोंज (नैनीताल)। भारत में कोरोना विषाणु संक्रमण सामुदायिक स्तर पर नही हुआ है। आकड़ो के मुताबिक संक्रमण का प्रभाव स्थानीय स्तर पर ही प्रभावी दिख रहा है। संक्रमण के छुट-पुट प्रभाव वाले 207 जिले व वेहद संक्रमण वाले 170 जिले चिन्हित किए गए हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय संयुक्त सचिव लव अग्रवाल की सूचनानुसार कोरोना संक्रमण प्रसार को रोकने के लिए देश में जारी पूर्णबंदी मे सामाजिक दूरी नियम पालन के सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं।
देश के 325 जिले अब तक संक्रमण से पूरी तरह मुक्त हैं। जबकि 27 जिलों में 15 दिनों से संक्रमण का कोई मामला सामने नही आया है। 3.30 फीसद मृत्यु दर व 12.2 फीसद संक्रमितो के स्वस्थ होने की दर आंकी गई है। औसत बृद्धि घटक मे 40 फीसद की कमी आई है। स्वस्थ होने वालों की संख्या विगत दिनों से बढ़ती नजर आ रही है व संक्रमितो की संख्या अब 6.2 दिनों में दोगुनी हो रही है। पहले यह हर तीसरे दिन दोगुनी हो रही थी। ये सब आंकड़े अन्य देशों से बेहतर आंके जा रहे हैं।
सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणै द्वारा शुक्रवार को दी गई सूचनानुसार, सेना मे अब तक आठ जवानों मे कोरोना संक्रमण लक्षण पाए गए। जिनमे दो चिकित्सक व एक नर्सिग असिस्टेंट भी थे। इनमे एक ठीक हो गया है। चार तेजी से ठीक हो रहे हैं।
सेना के जवानों मे कोरोना वायरस की खबर से सरकार द्वारा शुक्रवार को दस लाख अर्धसैनिक बलों की सुरक्षा के लिए भी बाइस सूत्री दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। प्रत्येक जवान के लिए मास्क अनिवार्य कर दिया गया है। भीड़भाड़ मे जाने की मनाही कर दी गई है।
रिजर्ब बैंक के गवर्नर शशिकांत दास ने भी शुक्रवार को कोरोना संकट से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियों के मद्धयेनजर देश की अर्थव्यवस्था मे जान फूंकने व उसे पटरी पर लाने के लिए, राज्यो की मदद हेतु अल्पकालिक अर्थोपाय के जरिये 67 हजार करोड़ रुपयों की अतिरिक्त सुविधा उपलब्ध कराने की घोषणा की है।
इक्कीसवी सदी के दूसरे दशक में उत्पन्न कोरोना संकट में निजता का कोई अर्थ नहीं रह गया है। जो जितना सीमित है, उतना स्वस्थ है, परिपाठी का उदय हुआ है। अगर कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है, निःसंदेह वह समाज के अधिसंख्य लोगों को संक्रमित कर सकता है। उसे संक्रमण मुक्त करना प्रशासन की जिम्मेदारी है, बशर्ते संक्रमित व्यक्ति अपने स्वयं व समाज के हित में आगे आकर जानकारी दे। डॉक्टर लोगों की जान बचाने हेतु अपने स्वयं की सेहत की परवाह न कर तमाम जोखिमो से गुजरते हुए जांच और इलाज उपलब्ध करा रहे हैं, उन्ही डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों के साथ संक्रमित संदिग्ध व उनके परिचित बदतमीजी व हमला कर हालात को बदतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो सर्वथा निंदनीय है।
हालांकि स्वास्थ्य विभाग के चिकित्साकर्मियों और पुलिस टीम पर हमले के मामले में आरोपियों के खिलाफ प्रदेश सरकारो द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्यवाही की जा रही है। दोषियों को अदालतों में पेश किया जा रहा है। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला द्वारा भी सभी राज्यो के मुख्य सचिवो और केंद्र शासित प्रदेशो के प्रशासकों को पत्र भेज, जारी निर्देशो की अवहेलना करने वालो पर सख्त कार्यवाही की हिदायत दी गई है।
सरकार व प्रशासन का फर्ज बनता है कि, वे जनमानस को उसकी जिम्मेवारी का अहसास कराए। साथ ही लोगों व समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन भी भली भांति सोच समझ कर दूरदर्शिता से पूर्ण करे। महसूस किया जा रहा है, अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं डॉक्टर्स, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी तथा सफाई कर्मियों हेतु अब तक मुख्य सुरक्षा कवच एन-95 मास्क और पीपीई किट की जबरदस्त कमी है। कोरोना विषाणु संक्रमण की जांच व इलाज में जुटे डॉक्टर और कर्मचारियों को पीपीई किट पहनना अनिवार्य है। अनेक स्थानों पर उक्त किटो के मानक अनुरूप नही बनने से उनके उपयोग पर पाबंदी लगा दी गई है।अनेक कोरोना योद्धाओं को कोरोना संक्रमण ने अपनी चपेट में ले लिया है, जो वर्तमान परिस्थिति मे दुखदायी व चुनोतीपूर्ण है।
कोरोना संक्रमण की जांच मे तेजी लाने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ वैज्ञानिक रमन आर गंगाखेडकर द्वारा दी गई सूचनानुसार परिषद 33 लाख रिवर्स ट्रांसक्रिप्टशन पोलिमिरेज चेनरिएक्शन किट खरीदने की प्रक्रिया में है। 14 अप्रैल तक बड़ी संख्या में आईसीएमआर किट परिषद को मिलने की सूचना है। सूचनानुसार वर्तमान में परिषद की प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़कर 166 हो गई है तथा 70 निजी प्रयोगशालाओं को भी परीक्षण की अनुमति दी जा चुकी है। देश के कई अस्पतालों को कोरोना चिकित्सा सुविधा उपलब्ध न करने पर स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा नोटिस भी जारी किए गए हैं।
पूर्णबंदी को लेकर गृह मंत्रालय सार्वजनिक स्थानों पर मास्क व सुरक्षित दूरी और एक जगह पर पांच या इससे अधिक लोगों के जमा होने पर सख्त रवैया अपना रहा है। निर्देशो का पालन न करने वालो की गिरफ्तारी कर रहा है।केंद्र सरकार ने सभी राज्यो व केन्द्र शासित प्रदेशों को प्रवासी मजदूरों और फसे हुए लोगों की सुरक्षा, आश्रय और भोजन की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
कोरोना विषाणु संकट का असर पूरे समाज पर पड़ रहा है, लेकिन दैनिक मजदूर सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, और सरकार को गरीब तबके के जनमानस के लिए अलग रुख अपनाने की जरूरत महसूस हो रही है, जो देश के नेतृत्व व प्रशासन के सम्मुख बड़ी चुनोती बन कर खड़ी हुई है।
इस चुनोती से पार पाने के लिए श्रम मंत्रालय भारत सरकार द्वारा कोरोना महामारी को रोकने के लिए जारी बंदी के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में मजदूर सम्बन्धी शिकायतों और प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को दूर करने के लिए देश भर में 20 मुख्य श्रम आयुक्त नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाने की सूचना है, जिन पर कामगार फोन, वाट्सअप ईमेल के जरिए संपर्क कर अपनी परेशानियों से अवगत करा सकते हैं। जिन पर मुख्यआयुक्त द्वारा नजर व निगरानी दैनिक आधार पर कामगारों की मदद के लिए मानवीय रुख अपनाने व यह सुनिश्चित करने के लिए किया जायेगा, कि जरुरतमंदो को जरुरत पड़ने पर राहत उपलब्ध कराई जा सके।
पूर्णबंदी के दूसरे चरण की लंबी अवधि की घोषणा के बाद अवलोकन कर ज्ञात हो रहा है, छोटे-छोटे कारोबारों से जुड़े परिवारों पर भी बुरा असर पड़ने लगा है। ऐसे लोगों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है। खाना लेने के लिए सरकारी व गैर सरकारी भोजन केंद्रों पर ऐसे परिवारों से जुड़े लोगों को लंबी कतारों मे लगा देखा जा रहा है। चिंता जनक हालात भोजन वितरण केंद्रों पर प्रत्यक्ष नजर आ रहे हैं। बढ़ती संख्या मे लोगों को भोजन सम्बन्धी मदद मुहैया कराने से राज्य सरकारो पर वित्तीय बोझ काफी बढ़ता जा रहा है, प्रबंधन के मामले में चुनोती खड़ी हो रही है। सामाजिक संगठन भी इससे इतर नही हैं। वे भी दाये-बाए देखने लगे हैं।
कोरोना संक्रमित की मृत्यु के बाद उसके शव परीक्षण और अंतिम संस्कार के दौरान भी चुनोती खड़ी दिख रही है। विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता चिकित्सको द्वारा बताई जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के दिशा निर्देशो के मुताबिक कोरोना विषाणु नाक और मुंह से निकलने वाले बूदो के संपर्क में आने से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करता है। कोरोना संक्रमित मृतक को प्लास्टिक की लीगप्रूफ पन्नी मे पैक कर, विशेष सतर्कता बरत, बाहन से शमसान घाट ले जाने के दिशा निर्देश हैं। मृतक के सर्जिकल सामानों व शवयात्रा वाहन को भी सही तरीके से सेनेटाइज किया जा रहा है। शव के बाहर लगी पारदर्शी पन्नी पर से ही मृतक के अंतिम दर्शन व धार्मिक क्रिया का निर्वाह किया जा रहा है। राख नदी में प्रवाहित की जा रही है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ट्वीटर पर दिए इस आश्वाशन के बाद भी, कि देश में दवाओं और अन्य आवश्यक वस्तुओं का पर्याप्त भंडार है, पूर्णबंदी अवधि बढ़ने पर किसी को किसी को चिंता नहीं करनी चाहिए, आश्वासन के बावजूद कई राज्यो मे लोग कोरोना संक्रमण से बचने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही, हाइड्राकिसक्लोरोक्वीन जिसे मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है, जमा करने लगे हैं। कोरोना संक्रमण न होने पर यह दवा लेना हानिकारक माना गया है। दवा के दुस्परिणामो को देखते हुए केंद्र व राज्य सरकारो ने चेतावनी जारी की है, और कैमिस्ट को निर्देश जारी किए हैं, इसे बिना चिकित्सक परामर्श के नही बेचे।
संघीय साइबर एजेन्सी सीआरटी-इन द्वारा पूर्णबंदी के दौरान घर से काम कर रहे वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क को साइबर हमलों द्वारा निशाना बनाए जाने की चेतावनी देकर अवगत कराया गया है, घरो से हो रहे ऑनलाइन गतिविधियों के कारण धोखेबाजों का नया हथकंडा तेजी से पाव पसार रहा है, जिस पर सरकारी तंत्र को चुनोती समझ, ध्यान देने की जरुरत आ पड़ी है।
प्रशासन की प्राथमिकता मे लोगों की जान बचाना और महामारी फैलने से रोकना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले चरण की बंदी मे मूल मंत्र ‘जान है, जहान है’ तथा दूसरे चरण के लाक डाउन का मूल मंत्र ‘जान भी, जहान भी’ बता कर जनमानस को जागृत करने की प्रेरणादायक पहल की है। देश के अर्थतंत्र को बचाना व जमाखोरों द्वारा लादी जा रही बढ़ती मंहगाई की चुनोती से भी देश व जनमानस को बचाने का मार्ग शीर्ष नेतृत्व को प्रसस्थ करने का दायित्व बनता है। अन्य निर्देशो की कड़ाई की भांति लुटखोरो व जमाखोरों पर भी सरकार व प्रशासनिक तंत्र नकेल कसे तो भुक्तभोगी जनमानस को राहत मिलेगी।