छत्तीसगढ़ की गोदना कला लोगों को खासा आकर्षित कर रहा है
नई दिल्ली,।- नई दिल्ली के आईएनए स्थित दिल्ली हाट में ट्राइफेड के द्वारा राष्ट्रीय जनजाति पर्व आदि महोत्सव-2021 का आयोजन किया जा रहा है। महोत्सव में छत्तीसगढ़ की जनजाति समुदाय द्वारा हाथ से बनाई गयी शिल्प वस्तु, कलाकृति, चित्रकारी, परिधान और आभूषण की प्रदर्शनी लगाई गयी है। आदि महोत्सव 1 से 15 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है। यहाँ बुनकर राज्य की खास पहचान कोसा सिल्क की साड़ियाँ लेकर पहुंचे हैं। दिल्ली हाट में टसर सिल्क में हैंड ब्लॉक वर्क, ट्राइबल आर्ट और एप्लिक वर्क आदि की कई वेराइटी की साड़ियाँ उपलब्ध हैं। लेकिन दिल्ली हाट के आदि महोत्सव में ट्राइबल आर्ट में छत्तीसगढ़ की गोदना कला लोगों को खासा आकर्षित कर रहा है। इस कला को देखने वाले उसके मुरीद हो रहे हैं।
आपको बता दें गोदना कला आदिवासियों में नारी सौंदर्य का प्रतीक है। अब इस कला को शरीर के अलावा कपड़ों पर भी उतारा जा रहा है। छत्तीसगढ़ की आदिवासी महिलाएं इस पारंपरिक कला को जीवित रखने के लिए साड़ियों और कपड़ों पर इसे उकेरती हैं, जिसकी मार्केट में काफी डिमांड भी है। दिल्ली हाट में भी ग्राहकों के सामने कपड़ों पर गोदना प्रिंट उकेर कर दिखाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के स्टॉल पर कपड़ों पर गोदना चित्रकारी करने वाली महिला कलाकार ने बताया कि साड़ियों पर गोदना कला से चित्रकारी करना काफी मेहनत का काम होता है। इसमें कलर के रूप में नैचुरल डाई का इस्तेमाल किया जाता है। जिसे हम खुद अपने हाथों से तैयार करते हैं। दिल्ली हाट में छत्तीसगढ़ की आदिवासी महिलाओं द्वारा कपड़ों पर दिखाई गई इस कला को काफी सराहा जा रहा है।
साड़ियों और कपड़ों पर उकेरी गई पारंपरिक गोदना कला के आगे आज के मॉडर्न टैटू भी फेल हैं। कपड़ों पर गोदना कला की चित्रकारी से छत्तीसगढ़ की इस पारंपरिक कला को मानो संजीविनी मिल गयी है। यहां की आदिवासी महिलाएं पारंपरिक गोदना कला का इस्तेमाल करके चादर, टेबल कवर और साड़ियां, कुर्ते डिजाइन कर रही हैं जो लोगों को बेहद पसंद आ रही है। यहां कॉटन की चादर, नेचुरल डाई से तैयार कोसा सिल्क सहित अनेक वैराइटी मिल रहे हैं।