उत्तराखण्डराष्ट्रीय

सोशल मीडिया वसूली गिरोह का पर्दाफाश

इमानदार अधिकारियों की कोशिश से बचा बिजरानी कैंप

बिजरानी कैंप का पहले संचालन करता था सागीर खान

सागीर खान ने पत्र लिखकर कैंप चलाने में जताई थी असमर्थता

तत्काली डीएसएम ने उनके पत्र को संस्तुति करते हुए क्षेत्रीय प्रबंधक के पास भेजा

वसूली गिरोह के पत्रकार के पीछे खड़े लोग सीधे अनुबंध चाहते थे

किसी के दबाव में नहीं आये निगम के इमानदार अधिकारी

नोटिस चस्पा कर मांगे गये थे आवेदन

पोषित पत्रकार झूठी खबरें लिखकर फैला रहा है आतंक

संजय रावत है वसूली गिरोह का सरगना

वसूली गिरोह टूरिज्म इंडस्ट्री को पहुंचा रहा है नुकसान

होटल व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों से कर रहा है उगाही

ईको टूरिज्म कैंप के संचालक का किया मानसिक उत्पीड़न

 

उत्तराखंड में सोशल मीडिया का वसूली गिरोह बेलगाम हो चुका है। इनकी नजर जिस उपक्रम पर पड़ जाती है। उससे ये वसूली किये बिना नहीं मानते हैं। इनके बारे में जानकारी मिल रही है कि ये लोग नये होटल, रिसॉट और घरों के निर्माण पर नजर रखते हैं। और फिर उन्हें मानकों हवाला देकर डराते और धमकाने हैं। इस बार इस सोशल मीडिया के वसूली गिरोह के संजय रावत की नजर रामनगर के आमडंडा में बने ईको टूरिज्म के बिजरानी कैंप पर पड़ी है। जब ईको टूरिज्य के संचालकों ने संजय रावत से लेनदेन करने से इंकार कर दिया तो इसने अपने सोशल मीडिया पोर्टल पर खबरें डालनी शुरु की।

शुरुआत में लग रहा था कि ये वसूली गिरोह लेनदेन नहीं होने से चिढ़ा हुआ है। लेकिन अब जो जानकारी मिल रही है। उससे पता चल रहा है कि ये गिरोह पोषित है। और ये पोषण उसे बिजरानी कैप हासिल नहीं कर पाये आवेदकों द्वारा मिला हुआ हैं। जिन लोगों पर संजय रावत को पोषित करने का आरोप लग रहा है। उनमें दीवान मनकोटी पुत्र श्री स्व0 प्रेम सिंह मनकोटी और सत्यपाल सिहं पुत्र श्री दलीप सिंह का नाम शामिल है। असल में बिजरानी कैंप के संचालकों के खिलाफ खबर प्लांट करना और उन्हें मानसिक रुप से परेशान करने के पीछे पोषित पत्रकार सोची समझी रणनीति के तहत कर रहा है।

असल में वसूली करने वाला ये सोशल मीडिया का पत्रकार जब पोषित हुआ तो उसने पुराने पैतरे को आजमाया और पोषित खबर लिखी। लेकिन अब ये पोषित पत्रकार अपनी ही खबरों की जाल में फंसते नजर आ रहा है। जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक बिजरानी कैंप को लेकर वन निगम का भले ही अनुबंध सागीर खान के साथ हुआ हो। लेकिन असल में इसका संचालन दीवान मनकोटी और सत्यपाल सिंह ही कर रहे थे। आरोप है कि इन लोगों ने बिजरानी कैंप का इस्तेमाल अपने हित में तो खूब किया। लेकिन उनका कारोबार नहीं बढ़ने दिया। जिससे सागीर खान परेशान थे। जिसके बाद उन्होंने साल 2023 में बिजरानी कैंप छोड़ने का फैसला किया और वन विभाग को पत्र लिखकर बिजरानी कैंप चलाने में असमर्थता जताई। तब तत्कालीन डीएसएम ने उक्त पत्र को संस्तुति कर क्षेत्रीय प्रबंधक के पास भेजा। तब दीवान मनकोटी और सत्यपाल सिंह को लगा कि जो वो चाहते थे। वो हो गया है। यानि अब वे सांठ-गांठ कर कैंप को हथियाना चाहते थे। उन्होंने कैंप हथियाने के लिए कोशिश भी की। लेकिन निगम के इमानदार अधिकारियों ने उनके मनसूबों को पूरा नहीं होने दिया। वे निगम की आय बढ़ाना चाहते थे। लिहाजा उन्होंने नोटिस चस्पा कर आवेदन मांगे। यहां ये समझना जरूरी है कि कैंप ने कभी भी 5 लाख रुपये सालाना से ज्यादा का कारोबार नहीं किया था। लिहाजा टेंडर प्रक्रिया की जगह नोटिस चस्पा कर आवेदन मांगे गये थे। जिसके बाद निगम को पांच आवेदन प्राप्त हुए। जिनमें-

दीवान मनकोटी, सत्यपाल रावत और चेतन बल्यूटिया ने कैंप के संचालन के लिए आवेदन किया था। वहीं

 

इस विज्ञापन के चस्पा होने के बाद रिद्धिमा बेकर्स एंड हॉस्पिटलिटी और बलवंत सिंह नेगी ने भी कैंप संचालन के लिए अपना आवेदन किया।

 

तब दीवान मनकोटी और सत्यपाल सिंह को लग रहा था कि कैंप उन्हें ही मिलेगा। वे बरसों से सागीर खान के अनुबंध की आड़ में बिजरानी कैंप का संचालन कर रहे थे। लिहाजा तब सभी आवेदन करने वालों ने जिसमें दीवान मनकोटी, सत्यपाल रावत, चेतन बल्यूटिया और बलवंत सिंह का नाम शामिल है। किसी ने भी निगम की प्रक्रिया पर सवाल नहीं उठाये। लेकिन जब निगम के इमानदार अधिकारियों की कमेटी ने रिद्धिमा बेकर्स एंड हॉस्पिटलिटी को बिजरानी कैंप के संचालन के लिए उपयुक्त पाया तो इन लोगों ने पोषित पत्रकार के माध्यम से निगम की पूरी प्रक्रिया को ही गलत ठहरा दिया। ये पोषित पत्रकार यहीं नहीं रुका। इसने निगम के इमानदार अधिकारियों के कामकाज पर भी सवाल उठाये और पत्रकारिता का डर दिखाया। लेकिन कहते हैं सांच को आंच नहीं आती है। भले ही इस वसूली करने वाले पोषित पत्रकार के पीछे दीवान मनकोटी और सत्यपाल सिंह रावत जैसे लोग हों। लेकिन सच्चाई और इमानदारी से काम करने वालों के साथ ईश्वर देता है।

आपको बता दें कि जिस वक्त रिद्धिमा बेकर्स एंड हॉस्पिटलिटी को बिजरानी कैंप आवंटित किया गया था। तब ये जीर्णशीर्ण हालत में था। जिसकी फोटोग्राफी भी कराई गई। जो कि निगम के दफ्तर में जमा है। लेकिन अब जब बिजरानी कैंप का कायाकल्प कर दिया गया है। तो वसूली करने वाले इस पत्रकार संजय रावत को पोषित कर कुछ लोग रिद्धिमा बेकर्स एंड हॉस्पिटलिटी के प्रोपराइटर्स को परेशान कर रहे हैं।

रिद्धिमा बेकर्स एंड हॉस्पिटलिटी के प्रोपराइटर हरीश सती ने तथाकथित और वसूली करने वाले इन पोषित पत्रकारों के खिलाफ रामनगर थाने में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने पुलिस प्रशासन से इन तथाकथित पत्रकारों के जरिये खबरें प्लांट करवा रहे लोगो के खिलाफ सख्त कारवाही की मांग की है। हरीश सती ने पत्रकारों और उनकी संस्थाओं से भी अपील की है कि वे ऐसे तथाकथित पत्रकारों जो वसूली में लिप्त हों, उनके खिलाफ खड़ें होने की अपील की है। ताकि जनतंत्र के चौथे खंभे के प्रति लोगों की आस्था बनी रहे।

खबर के मुख्य बिंदू—-

1- वन निगम के इमानदार अधिकारियों ने पूरी इमानदारी से किया कार्य

2- किसी के भी दबाव में आने से किया इंकार

3- बिजरानी कैंप के संचालन के लिए नियमानुसार मांगे आवेदन, योग्य व्यक्ति के साथ किया अनुबंध

4- पहले वन निगम ने बिजरानी कैंप का अनुबंध सागीर खान के साथ किया था ।

5- बिजरानी कैंप का अनुबंध भले ही सागीर खान के साथ था। लेकिन उसका असल संचालन दीवान मनकोटी और सत्यपाल सिंह रावत ही कर रहे थे।

6- बिजरानी कैंप का इस्तेमाल दीवान मनकोटी और सत्यपास सिंह ने अपने हित में खूब किया। लेकिन कारोबार नहीं बढ़ने दिया।

7- सागीर खान को बिजरानी कैंप से कोई लाभ नहीं हो रहा था। लिहाजा उन्होंने साल 2023 में वन निगम को पत्र लिखकर कैंप के संचालन में असमर्थता जताई।

8- सागीर खान के कैंप के संचालन में असमर्थता जताने के बाद तत्कालीन डीएसएम ने उक्त पत्र को संस्तुति करते हुए क्षेत्रीय प्रबंधक के पास भेजा।

9- सागीर खान के पत्र के बाद निगम ने बिजरानी कैंप के संचालन के लिए नोटिस बोर्ड पर एक विज्ञापन चस्पा किया।

10- उस वक्त दीवान मनकोटी, सतपाल रावत और चेतन बल्यूटिया ने भी कैंप के संचालन के लिए आवेदन किया था।

11- विज्ञापन के चस्पा होने के बाद रिद्धिमा बेकर्स एंड हॉस्पिटलिटी और बलवंत सिंह नेगी ने भी कैंप संचालन के लिए अपना आवेदन किया।

12- तब सभी ने निगम की प्रक्रिया का समर्थन किया था।

13- विरोधियों के द्वारा पोषित ये तथाकथित वसूली पत्रकार केवल बिजरानी कैंप की बात कर रहा है। जबकि वहां दो कैंप संचालित हैं। जिसमें से एक यूपी के जमाने से चल रहा है।

14- विरोधियों द्वारा पोषित तथाकथित वसूली पत्रकार निगम की प्रक्रिया पर सवाल उठाकर इमानदार अधिकारियों के कार्य पर सवाल उठा रहा है। और उन्हें दबाव में लेने की कोशिश कर रहा है। लेकिन इमानदार अधिकारी उससे डरने वाले नहीं हैं।

 

 

 

एक नजर पूरे प्रकरण पर…

 

1- यूपी के जमाने में ईको टूरिज्म को लेकर वन निगम और सागीर खान के बीच अनुबंध हुआ था।

2- तब रामनगर के आमडंडा में जंगल लोर और विजरानी कैंप सागीर खान को दिये गये थे।

3- 2023 में सागीर खान ने बिजरानी कैंप को चलाने में असमर्थता जताई, निगम को लिखित पत्र दिया

4- सागीर खान, कभी भी ईको टूरिज्म कैंप के कारोबार की वार्षिक आय को 5 लाख से अधिक का नहीं कर सके।

5- सागीर खान के लिखित असमर्थता जताने के बाद तत्कालीन डीएसएम ने उनके पत्र को क्षेत्रीय प्रबंधक (आरएम) के पास भेज दिया।

6- क्षेत्रीय प्रबंधन ने ईको टूरिज्म के बिजरानी कैंप के 15 कॉटेज के संचालन के लिए नये आवेदन मांगे। क्योंकि इसकी सालाना आय 5 लाख से कम थी, लिहाजा निगम ने अपने नोटिस बोर्ड पर इसका विज्ञापन चस्पा किया।

7- निगम ने आवेदनों की जांच लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित की।

8- कमेटी ने आवेदनकर्ताओं के आवेदन को जांचने के बाद रिद्धिमा बेकर्स एंड हॉस्पिटलिटी को उपयुक्त पाया। जिसके बाद मार्च 2024 से बिजरानी कैंप के संचालन का जिम्मा रिद्धिमा बेकर्स को दे दिया गया।

9- चूकिं बिजरानी कैंप जीर्णशीर्ण हालत में था। जिसकी विडियो ग्राफी निगम के कर्मचारियों के सामने की गई। उस विडियोग्राफी को डीएसएम दफ्तर में जमा किया गया है।

10- रिद्धिमा बेकर्स के संचालकों ने इस कैंप का कायाकल्प कर दिया है। जिसके बाद कई विरोधियों की नजर इस पर लग गई है। जो कि अब खबरें प्लांट करवा रहे हैं।

11- विगत दिनों दो शख्स बिजरानी कैंप पहुंचे। जो कि अपने आप को पत्रकार बता रहे थे। विरोधियों के हाथ में खेल रहे इन कथित पत्रकारों ने निशुल्क सेवा की मांग की। जिसकी पूर्ती नहीं करने पर ये तथाकथित पत्रकार निगम द्वारा की गई प्रक्रिया को गलत ठहराने की कोशिश कर रहे हैं।

12- इन तथाकथित पत्रकारों के खिलाफ रिद्धिमा बेकर्स एंड हॉस्पिटलिटी के संचालकों द्वारा एक शिकायत रामनगर थाने में भी की गई है।

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