उत्तराखंड के जनसरोकारों से जुड़ी प्रमुख संस्थाओं व व्यक्तियों का सम्मान
सी एम पपनैं
नई दिल्ली। उत्तराखंड की लोकसंस्कृति व समाज को समर्पित दिल्ली प्रवास मे कार्यरत संस्था कलश कलाश्री अपने स्थापना वर्ष 1913 से क्रमशः उत्तराखंड की लोकसंस्कृति, शिक्षा, साहित्य, व्यवसाय, रंगमंच व अभिनय तथा पत्रकारिता के क्षेत्र मे उच्च आयाम स्थापित करने वाली संस्थाओं व व्यक्तियों को सम्मानित करती आ रही है। इस वर्ष आईटीओ स्थित प्यारेलाल भवन के सभागार मे कलश कलाश्री संस्था ने अपने 7वे स्थापना वर्ष मे उत्तराखंड के विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक व अन्य विभिन्न क्षेत्रो मे उत्कृष्ट कार्यो हेतु उत्तराखंड की अनेकों प्रमुख संस्थाओं व व्यक्तियों को सम्मानित किया व नाटक ‘सातों आठों’ का सफल मंचन किया। मुख्य अतिथि प्रख्यात लोकगायक हीरा सिंह राणा व समाजसेवी के एम पांडे तथा प्रेम प्रकाश के द्वारा द्वीप प्रज्वलन की रस्म पूर्ण कर लोकगायक स्व.पप्पू कार्की के चित्र पर फूल चढ़ा श्रद्धाजंलि अर्पित की गई। संस्था के अध्यक्ष के एन पांडे ‘खिमदा’ ने कलश कलाश्री संस्था द्वारा विगत पांच वर्षों मे किए गए क्रिया-कलापो, संस्था के उद्देश्यों व भविष्य की भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला। अवगत कराया कि आज की यह सांझ उत्तराखंड के लोकप्रिय गायक रहे स्व.पप्पु कार्की को समर्पित है। व्यवसाय व रोजगार उपलब्ध कराने के क्षेत्र मे ‘कलाश्री’ सम्मान पाने वालों मे नरेंद्र सिंह लड़वाल। शिक्षा के क्षेत्र मे अल्मोड़ा जिले के धौलादेवी रा. प्रा. विद्यालय बजेला के सहायक अध्यापक भाष्कर जोशी। सामाजिक क्षेत्र मे पौड़ी गढ़वाल जड़ी बूटियों के ज्ञानी प्रख्यात वैघ राज कृष्ण पोखरियाल। रंगमंच के क्षेत्र मे नैनीताल के प्रख्यात रंगकर्मी व नाट्य निर्देशक जहूर आलम। मीडिया के क्षेत्र मे हिमालयन न्यूज (अनिल पंत)। सामाजिक क्षेत्र, शराब विरोधी आंदोलन व शोषित स्त्रियों की सेवा मे तत्पर रही श्रीमती विद्या महतोलिया को सादर सम्मानित किया गया। उत्तराखंड की उत्कृष्ट व प्रभावी कार्यरत संस्थाओं मे सम्मान पाने वालों मे ‘उत्तरांचल भ्रात सेवा संस्थान’, हरदा उत्तरांचली की टीम जो दिल्ली निगम बोध घाट की साफ-सफाई मे तत्पर रहती है।
बसुन्धरा गाजियाबाद व चौखुटिया उत्तराखंड मे बच्चों की शिक्षा व सांस्कृतिक गतिविधियों के उत्थान व संवर्धन मे जुटी संस्था ‘सार्थक प्रयास’।
उत्तराखंड की लोक संस्कृति के उत्थान हेतु सेमिनार आयोजित करने व बालिकाओं के स्वास्थ क्षेत्र मे विगत तीन वर्षों से अजय बिष्ट के नेतृत्व मे जुटी संस्था ‘सार्व भौमिक’ तथा प्रख्यात गायक स्व.पप्पू कार्की द्वारा स्थापित संस्था ‘पी के इंटरटेंमेंट ग्रुप’ के बाल कलाकार स्व.पप्पू कार्की (परवेन्द्र कार्की) के नवोदित गायक पुत्र दक्ष कार्की को ‘कलाश्री’ सम्मान से नवाजा गया। सभी सम्मानितों को पुष्प गुच्छ व स्मृति चिन्ह भेट किए गए।दर्शको की अपार चाह पर नवोदित गायक दक्ष कार्की ने अपने पिता के गाए मशहूर गीत सुण ले दगड़िया बात सुणी जा….। तथा, उत्तरैणी कौतिक…ओ मेरी परुली…। गाकर न सिर्फ सभागार को श्रोताओं की तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान करवाया, दर्शकों के मन मस्तिष्क मे भविष्य की आश भी जगाई, एक होनहार उभरते नवोदित गायक के रूप मे। इस अवसर पर संस्था की ‘कलश’ स्मारिका 2019 का लोकार्पण डॉ विनोद बछेती, ख्याली राम पांडे, नवीन चंद्र पांडे, नंदन सिंह रावत, गोपाल उप्रेती, सुरेन्द्र, भुवन लोहनी, के एन सुयाल, आर पी तोलिया व नीरज बवाड़ी के हाथों सम्पन्न किया गया।सम्मान व स्मारिका लोकार्पण समारोह का मंच संचालन जीवन चंद्र पांडे ने बखूबी संचालित किया।
कलश कलाश्री संस्था द्वारा उत्तराखंड के पूर्वी अंचल मे भादो माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी से अष्टमी तक महिलाओं द्वारा बड़ी सिद्धत्त से मनाए जाने वाले पारंपरिक लोक त्यौहार ‘गौरा-महेश’ की स्तुति आधारित ‘सातों-आठों’ (गंवरा) नाम से विख्यात त्यौहार पर के एन पांडे ‘खिमदा’ आलेखित नाटक ‘सातों आठों’ का मंचन किया गया। अखिलेश भट्ट द्वारा निर्देशित इस नाटक का भव्य मंचन संस्था के करीब 25 महिला व पुरुष कलाकारों के अभिनय सहयोग से किया गया। नाटक मे पिरोये गए उत्तराखंड के लोकगीत व संगीत की धुनों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। नाटक मे उत्तराखंड के पारम्परिक परिधानों मे घाघरा, पिछोड़ा, जेवरों मे गुलबंद व पहाड़ी रूपसज्जा तथा हुड़का वादक भुवन रावत के ठेठ पहाड़ी गायन के साथ-साथ उत्तराखंडी ढ़ोल, दमाऊं, रणसिंह व झांझ की कर्तब ध्वनी ने दर्शको के मध्य मंचित नाटक मे पहाड़ी परिवेश का अहसास कराया। नाटक मे मंचित उत्तराखंड के पारम्परिक लोक रिवाजो की शैली व संस्कृति की ओर भी दर्शको का ध्यान इंगित हुआ।नाटकीय दृश्य कैलाश पर्वत मे गौरा-महेश व ग्रामीण अंचल मे पात्रो के वार्तालाप नाटक की पृष्ठभूमि के अनुरूप ठीक-ठाक थे।अभिनय की दृष्टि से बीणभाट के पात्र की भूमिका मे के एन पांडे, महेश्वर, गौरा व बहुओं की भूमिका मे क्रमशः हिमांशू जोशी, अंजलि नेगी, लक्ष्मी पटेल, वंदना भट्ट, पुष्पा सिद्धकी व सुनैना बिष्ट ने अपने अभिनय, हाव-भाव व व्यक्त डायलोगो से श्रोताओं को प्रभावित किया।मंचित नाटक के प्रमुख किरदार पागल की भूमिका मे भूपाल सिंह बिष्ट ने अपने शांत हाव-भाव व सूझ- बूझ भरे अभिनय से न सिर्फ दर्शको मे अपने अभिनय की गहरी छाप छोड़ी बल्कि नाटक के अंत मे बहुओं द्वारा लगाए गए आरोप पर डर व अति कांप कर बोले गए डायलोग- मै पागल नही हूं … पागल नही हूं… शब्दो की गूंज ने न सिर्फ सभागार मे बैठै दर्शको के मन मस्तिष्क को झकझोरा, नाटक को सफलता की सीढ़ी भी प्रदान की। उत्तराखंड पहाड़ी अंचल की पृष्ठभूमि पर के एन पांडे ‘खिमदा’ आलेखित नवीन हिंदी नाटक ‘सातों आठो’ दिल्ली प्रवास मे उत्तराखंड के लोगो के मध्य नए आयाम प्रस्तुत करता है, जो दिल्ली प्रवास मे उत्तराखंड आंचलिक रंगमंच की दृष्टि से सराहनी है। मंचित नाटक की सफलता मे नाटक के निर्देशक अखिलेश भट्ट की जी तोड़ मेहनत भी सफल निर्देशन की दृष्टि से कुछ कम नही आंकी जा सकती ।