काव्य कौशल पर परिचर्चा हुई दिल्ली में
नई दिल्ली।
अंग्रेजी संचार कौशल के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्थान ब्रिटिश लिंगुआ के तत्वावधान में आयोजित काव्य कौशल और सार्वजनिक प्रसार पर एक परिचर्चा को संबोधित करते हुए कविवर प्रोफेसर अरुण कुमार झा ने कहा कि रामायण, महाभारत, गीता, बाइबिल, कुरान, उपनिषद, और इसी तरह के आध्यात्मिक और बौद्धिक ग्रंथ अद्वितीय काव्य कौशल के उत्कृष्ट उदाहरण हैं और इनका योगदान मानव सभ्यता के सबसे बड़े रक्षक के रूप रहा है।
कविवर प्रोफेसर अरुण झा जिन्हें हाल ही में ‘वर्ल्ड पोएट्री अवार्ड-22’ से नमाजा गया है ने आगे कहा कि सरकार, शैक्षणिक संस्थानों, मीडिया और प्रकाशकों को गीतात्मक कौशल एवं काव्य लिपि के प्रचार- प्रसार पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि पूरी दुनिया में खासकर भारतीय समाज में बौद्धिक विकास एवं सामाजिक परिवर्तन के लिए मानवीय मूल्यों के लेखन को बढ़ावा मिले।
बौद्धिक काव्य प्रवचन की अध्यक्षता करते हुए कविवर झा ने आगे कहा कि मानव जाति के सबसे स्वाभाविक और मौलिक प्रवृत्ति के अंतरतम विचारों व भावनाओं को व्यक्त करने की कला है कविता। कवि अपनी कविताओं से जान मानस पर स्थाई प्रभाव छोड़ता है ।
इस अवसर पर प्रसिद्ध लेखक और मिथिला के यंगेस्ट लिविंग लीजेंड के रूप में ख्याति प्राप्त डॉ बीरबल झा ने कहा कि काव्यात्मक अभिव्यक्ति एक ऐसी चीज है जो दिल को दिल से जोड़ती है। कविता पाठकों या श्रोताओं के दिलों दिमागों में स्थायी प्रभाव के साथ अपनी जगह बनाती है। कविता में वो ताकत है जो जन मानस को गहरी नींद से जगाती है। इसमें उपचार शक्ति है जो गहरी घाव को भी भर देती है। ये प्रकृति और सुंदरता से प्यार करने की सीख देती है। समाजिक – सांस्कृतिक आंदोलन में कविता की भूमिका अहम् रही है।
भारत में अंग्रेजी शिक्षण व प्रशिक्षण में क्रांति लाने वाले डॉ बीरबल ने प्रो अरुण कुमार झा के प्रयासों की भूरी भरी प्रशंसा करते हुए कहा कि कविवर झा ने भारतीय संविधान पर पहला काव्य ग्रंथ लिखा जो उल्लेखनीय है। आज के युवाओं को काव्यात्मक मूल्यों एवं लयबद्ध पुराने शास्त्रों के लेखन को समझना एवं इसके सरंक्षण हेतु आगे आना चाहिए।
एके झा जो कवि, प्रोफेसर और अधिवक्ता हैं की अध्यक्षता में इस अवसर पर एक प्रस्ताव पारित किया गया कि कवियों, काव्य मूल्यों और काव्य कौशल के प्रचार-प्रसार के लिए सामाजिक जागरूकता अभियान चलाया जाए। साथ ही केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों को भी ज्ञापन भेजा जाए।
उस संध्या प्रवचन में शामिल होने वालों में एसएन ठाकुर, सामाजिक कार्यकर्ता बिश्व नाथ झा, राजेश सेन और अन्य शामिल थे।