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स्मरणीय और गरिमामय समारोह…

देहरादून।पर्वतीय लोक विकास समिति ने अपनी 18वीं वर्षगांठ को स्मरणीय बनाने के लिए देहरादून में एक विचार गोष्ठी और सम्मान समारोह आयोजित किया।

उत्तरांचल उत्थान परिषद के सभागार में संपन्न इस कार्यक्रम में पूर्व डीजी और त्रिपुरा सरकार में प्रधान सचिव रहे डा. वीके बहुगुणा ने एक गंभीर चिन्ता की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के सीमावर्ती जिलों में बहुत तेजी से बाहरी लोग बस रहे हैं। इससे वहां जनसांख्यिकी संतुलन गड़बड़ा रहा है।

परिणामस्वरूप पहाड़ की पारंपरिक धरोहरों पर संकट मंडराने लगा है। ये लोग कौन हैं, सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए और बाकायदा उनका रिकार्ड रखना चाहिए। डॉ. बहुगुणा ने इस कड़ी में उत्तराखंड के भूमि कानूनों में सुधार का भी सुझाव दिया।

समारोह के विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि यह विचारणीय है कि यदि उत्तराखंड के लोग बाहर जाकर यदि अपनी प्रतिभा और प्रगति का लोहा मनवा सकते हैं तो यहीं पहाड़ों में रहकर वैसी उपलब्धि हासिल क्यों नहीं कर सकते! उन्होंने कहा कि केदारखंड और मानस खंड का अध्ययन किए बिना देवभूमि को नहीं समझा जा सकता।

भारत सरकार के पूर्व सचिव प्रो. कमल टावरी आईएएस ने कहा कि गंगा-यमुना, जमीन, दादी और गाय हमारी धरोहर हैं। हमें अपने घर में खड़ा होना होगा। पीछे मुड़कर देखो और सबक लो कि कहां हमसे चूक हुई और कहां हमने बढ़िया किया!

सुप्रसिद्ध लोकगायिका और संस्कृति कर्मी पद्मश्री डॉ. माधुरी बड़थ्वाल, उत्तराखंड की पर्यटन निदेशक श्रीमती पूनम चांद, मैती वन के प्रणेता पद्मश्री कल्याण सिंह रावत और उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री मोहन सिंह रावत गांववासी ने अपने-अपने ढंग से पर्यावरण, लोक संस्कृति और लोक उत्सवों के संरक्षण पर जोर दिया।

इन विद्वतजनों ने कहा कि हमें अपनी लोक भाषाओं को बचाना होगा और नई पीढ़ी को लोक संस्कार सौंपने होंगे। यह बात भी आई कि पर्वतों की विशिष्ट पारंपरिक संस्कृति और धार्मिक अनुष्ठानों का प्रचार-प्रचार हो और पर्यटन को महज शाब्दिक अर्थ में न लेकर एक नजरिए के तौर पर नीतियों में उतारा जाए।

पर्वतीय लोक विकास समिति के अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र दत्त सेमवाल ने ‘अंतिम गांव में दस्तक’ का सिद्धान्त प्रतिपादित करते हुए स्थानीय उत्पादकता और व्यावसायिकता को आगे बढ़ाने की बातें की। इस गरिमामय समारोह का कुशल संचालन पर्वतीय लोक विकास के समिति के संस्थापक वरिष्ठ पत्रकार व संस्कृत भाषा के विद्वान श्री सूर्य प्रकाश सेमवाल ने किया।

इस अवसर पर श्री गांववासी, भाषाविद डॉ. महावीर रंवाल्टा, प्रो.दीप्ति बगवाड़ी, डॉ शशि भूषण बडोनी, डॉ.यशोदा प्रसाद सेमल्टी, डॉ.पवन कुमार मैठाणी, डॉ. राजकुमारी भंडारी, वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रदीप वेदवाल और इंजीनियर राजेंद्र प्रसाद को उत्तराखंड गौरव सम्मान प्रदान किए गए।नन्हीं प्रतिभा कथक नृत्यांगना सौम्या वेदवाल और धरोहर संस्था के कलाकारों को भी अवार्ड दिए गए जिन्होंने मांगल गीत गाकर समारोह को सरस बनाया।

मौके की शोभा बढ़ाने वालों में प्रमुख उद्यमी और धर्म-संस्कृति के ज्ञाता श्री विनोद नौटियाल, जाने-माने पत्रकार श्री सुनील नेगी, वरिष्ठ अधिवक्ता संजय दरमोड़ा, पर्वतीय लोक विकास समिति के वरिष्ठ पदाधिकारी श्री रमेश मुमुक्षु, दीवान सिंह रावत, महावीर नैनवाल, उदय बड़थ्वाल, गंभीर सिंह नेगी और अनिल उनियाल सहित सामाजिक-सांस्कृतिक सरोकारों से जुड़े अनेक स्थानीय प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

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