एसजेवीएन द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 के 5000 करोड़ रुपए के वार्षिक कैपेक्स लक्ष्य को एक माह पूर्व हासिल किया गया
शिमला: वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 5000 करोड़ रुपए के महत्वाकांक्षी पूंजीगत व्यय उपयोग (कैपेक्स) लक्ष्य को एसजेवीएन ने एक माह पूर्व ही हासिल कर लिया है। श्री नन्द लाल शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने आज बताया कि दिनांक 28 फरवरी, 2022 तक 5007.89 करोड़ रुपए का कैपेक्स हासिल कर एसजेवीएन ने वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए 5000 करोड़ रुपए के लक्षित कैपेक्स के 100.16 प्रतिशत को पार कर लिया है।
श्री नन्द लाल शर्मा ने कहा कि “वर्तमान वित्तीय वर्ष के 11 माह में 100 प्रतिशत से अधिक कैपेक्स उपयोग दर्ज करके, एसजेवीएन ने सर्वोत्कृष्ट निष्पादनकर्त्ता विद्युत क्षेत्र सीपीएसयू होने की प्रतिष्ठा को बनाए रखा है। कार्य की वर्तमान गति पर, चालू वित्तीय वर्ष के दौरान 5500 करोड़ रुपए के कैपेक्स तक पहुंचने की संभावना है, जो कि लक्ष्य से 10 प्रतिशत अधिक रहेगा। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए, एसजेवीएन ने 8000 करोड़ रुपए के कैपेक्स उपयोग का लक्ष्य रखा है और विकास के तहत कई परियोजनाओं के साथ, कंपनी इस लक्ष्य को भी पूरा करने के लिए तैयार है।‘’
श्री नन्द लाल शर्मा ने अवगत कराया कि माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और केंद्रीय विद्युत मंत्री श्री आर. के. सिंह के मार्गदर्शन से एसजेवीएन ने इस लक्ष्य को हासिल किया है। भारत सरकार तथा विद्युत मंत्रालय द्वारा कंपनी को यह कैपेक्स लक्ष्य देश को महामारी के कारण उत्पन्न मंदी से उबारने तथा आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए निर्धारित किए गए है।
श्री शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन का पूंजीगत व्यय 3500 मेगावाट से अधिक क्षमता की दस निर्माणाधीन परियोजनाओं में व्याप्त है। कैपेक्स उपयोग का अभिप्राय है कि एसजेवीएन में कार्यों की गति और मात्रा प्रगतिशील है। बिहार में 1320 मेगावाट की बक्सर ताप विद्युत परियोजना, नेपाल में 900 मेगावाट अरुण -3 जल विद्युत परियोजना और 217 कि.मी. अरुण-3 ट्रांसमिशन लाइन, भूटान में 600 मेगावाट खोलोंग्चू जल विद्युत परियोजना, हिमाचल प्रदेश में 210 मेगावाट लुहरी-1 जल विद्युत परियोजना और 66 मेगावाट धौलासिद्ध जलविद्युत परियोजना, उत्तराखंड में 60 मेगावाट की नैटवाड़ मोरी जल विद्युत परियोजना और 37 किलोमीटर की नैटवाड़ मोरी ट्रांसमिशन लाइन और दो सौर परियोजनाएं बगोदरा और परासन सौर परियोजनाएं निर्माण के अग्रिम चरणों में हैं और इनमें पूंजीगत व्यय का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा हैं। “33 वर्षों के हमारे इतिहास में, किसी भी समय निर्माण चरण में हमारे पास इतनी सारी परियोजनाएं कभी नहीं थीं। कंपनी के लिए नए आयाम और व्यावसायिक अवसर सृजित हो रहे हैं, जो यह प्रमाणित करता है कि हमारा हाल ही में पुनर्निर्मित बिजनेस मॉडल बेहतरीन कार्य कर रहा है।”
एसजेवीएन के जनरेटिंग पावर स्टेशनों के सर्वोत्कृष्ट निष्पादन के बारे में बताते हुए श्री नन्द लाल शर्मा ने अवगत कराया कि नवीनतम उपलब्धि में फरवरी 2022 के लिए, सभी पावर स्टेशनों से संचयी विद्युत उत्पादन 239 मि.यू. है जो फरवरी 2021 की तुलना में 11 मि.यू. से अधिक है। एसजेवीएन ने वर्ष 1988 में एकल जलविद्युत परियोजना के साथ शुरुआत की। आज इसके पास 16800 मेगावाट से अधिक का पोर्टफोलियो है, जिसमें से 2016.5 मेगावाट प्रचालनाधीन है और शेष विकास के विभिन्न चरणों में है। भारत के नौ राज्यों और दो पड़ोसी देशों अर्थात् नेपाल और भूटान में अपनी उपस्थिति के साथ, एसजेवीएन के पास अब हाइड्रो, थर्मल, पवन और सौर ऊर्जा परियोजनाओं का एक विविधीकृत पोर्टफोलियो है। कंपनी ने पावर ट्रांसमिशन में भी विविधता लाई है और पावर ट्रेडिंग के लिए लाइसेंस प्राप्त किया है। एसजेवीएन ने हाल ही में वर्ष 2023 तक 5000 मेगावाट, 2030 तक 25000 मेगावाट और वर्ष 2040 तक 50000 मेगावाट की स्थापित क्षमता हासिल करने के नए साझा विजन के साथ अपने क्षमतागत लक्ष्यों को संशोधित किया है।