हिंदी ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई क्योंकि हिंदी को पूरे देश में समझा जाता है—-शैलेन्द्र सिंह
दिल्ली।राजभाषा कार्यान्वयन समिति, हरिद्वार की 38वीं अर्धवार्षिक बैठक में श्री आर. के. विश्नोई, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ने अवगत कराया कि नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, हरिद्वार की 38वीं अर्धवार्षिक बैठक राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की में आयोजित की गई। राजभाषा हिंदी के व्यापक प्रचार-प्रसार एवं कार्यान्वयन में टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड की महति भूमिका पर प्रकाश डालते हुए श्री विश्नोई ने कहा कि टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड पिछले लगभग 07 वर्षों से नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, हरिद्वार का संचालन कर रही है।
इस समिति के माध्यम से टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड न केवल अपने संस्थान में बल्कि अपने सदस्य संस्थानों में भी राजभाषा कार्यान्वयन को सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आगे कहा कि हम भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग के राजभाषा के प्रचार-प्रसार के लक्ष्य को पूरा करने में हर संभव सहयोग कर रहे हैं।
नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों के गठन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि सरकारी कामकाज में हिंदी को पूरी तरह स्थापित करने के लिए भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग के द्वारा नगर में 10 या उससे अधिक केंद्र सरकार के संस्थान होने की दशा में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति का गठन किया जाता है। इस समय देश भर में लगभग 531 समितियां इस दिशा में कार्य कर रही हैं। ये समितियां नगर में स्थित अपने सदस्य संस्थानों को अपनी परेशानियों/कठिनाईयों के बारे में चर्चा करने के लिए एक खुला मंच प्रदान करती है। राजभाषा हिंदी का विकास देश को एक सूत्र में तो बांधता ही है, साथ ही यह राष्ट्र की संस्कृति, जीवनशैली और समग्र आर्थिक विकास में भी मदद करता है।
समिति की 38वीं बैठक आज राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की के सौजन्य से जल तरंग सभागार में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष एवं टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के निदेशक (कार्मिक), श्री शैलेन्द्र सिंह ने की। बैठक में हरिद्वार, रूड़की, ऋषिकेश एवं पर्वतीय क्षेत्र में स्थित केंद्र सरकार के प्रतिष्ठित सदस्य संस्थानों के प्रमुखों एवं प्रतिनिधियों एवं राजभाषा अधिकारियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया ।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम समिति के अध्यक्ष, श्री शैलेन्द्र सिंह, भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग के उप निदेशक, श्री छबिल कुमार मेहेर, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के निदेशक, श्री मनमोहन कुमार गोयल, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की के निदेशक, प्रो. कमल किशोर पंत, सीबीआरआई रुड़की के निदेशक, श्री आर. प्रदीप कुमार, बीएचईएल हरिद्वार के कार्यपालक निदेशक, श्री टी. एस. मुरली एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मंचासीन अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के अधिकारियों के द्वारा जल स्तुति गायन प्रस्तुत किया गया तथा हिंदी भारत मां की बिंदी-गीत की वीडियो प्रस्तुति दी गई। राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के निदेशक, श्री मनमोहन कुमार गोयल ने स्वागत संबोधन प्रस्तुत किया।
बैठक में समिति के सचिव, श्री पंकज कुमार शर्मा ने अध्यक्ष महोदय की अनुमति से बैठक की कार्यवाही प्रारंभ की। उन्होंने छमाही के दौरान समिति के तत्वावधान में आयोजित किए गए विभिन्न कार्यक्रमों एवं गतिविधियों के बारे में जानकारी दी तथा राजभाषा से संबंधित नवीनतम जानकारियों से अवगत कराया। इस अवसर पर नराकास के तत्वावधान में केनरा बैंक एवं भारतीय स्टेट बैंक के सौजन्य से सदस्य संस्थानों के कर्मचारियों के लिए आयोजित की गई प्रतियोगिताओं में विजेता रहे कर्मचारियों को पुरस्कृत किया गया। माननीय अध्यक्ष, श्री शैलेन्द्र सिंह के साथ मंचासीन अतिथिगणों ने अपने कर-कमलों से प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया।
मंचासीन अतथिगणों के द्वारा छमाही के दौरान प्रकाशित की गई समिति की वार्षिक पत्रिका ‘’ज्ञान प्रकाश’’ के विमोचन के साथ ही राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान की पत्रिका ‘’जल चेतना’’ के जुलाई, 2024 अंक एवं टीएचडीसी की छमाही राजभाषा पत्रिका ‘’पहल’’ के जून, 2024 अंक का विमोचन भी किया गया। राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के अधिकारियों के द्वारा संस्थान में राजभाषा कार्यान्वयन पर एक प्रस्तुतीकरण दिया गया। बैठक में चर्चा सत्र का आयोजन किया गया जिसमें सदस्य संस्थानों के प्रमुख एवं प्रतिनिधियों ने अपने बहुमूल्य सुझाव दिए।
भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग के उप निदेशक, श्री छबिल कुमार मेहेर ने सदस्य संस्थानों से प्राप्त अर्धवार्षिक रिपोर्टों की समीक्षा की तथा संस्थानों से रिपोर्टों में तथ्यपरक आंकड़े भरने का अनुरोध किया। उन्होंने अपने संबोधन में राजभाषा हिंदी के प्रयोग से संबंधित अनेक नवीनतम जानकारियों से भी अवगत कराया।
बैठक में बीएचईएल, हरिद्वार के कार्यपालक निदेशक, श्री टी. एस. मुरली, सीबीआरआई रुड़की के निदेशक, प्रो. आर. प्रदीप कुमार एवं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक, कमल किशोर पंत ने सभा को संबोधित करते हुए संस्थानों में राजभाषा कार्यान्वयन सुदृढ़ करने पर जोर दिया।
इस मौके पर शैलेन्द्र सिंह, निदेशक(कार्मिक), टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड ने अपने संबोधन में नराकास के संचालन में सहयोग करने वाले सभी संस्थानों के सहयोग के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने प्रतियोगिताओं के विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि अगली छमाही में आयोजित की जाने वाली प्रतियोगिताओं में अपने अधिकाधिक साथियों को भी भाग लेने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि हम स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने उन साथियों को हमेशा याद करते हैं जिन्होंने देश के लिए अपना सब कुछ निछावर कर दिया। उनके साथ-साथ हमें ऐसे साहित्यकारों, रचनाकारों को भी नहीं भूलना चाहिए जिन्होंने अपने साहित्य एवं काव्य के माध्यम से देश के युवा लोगों के ह्रदय में स्वतंत्रता की चाह का बीज अंकुरित किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने में हिंदी ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई क्योंकि हिंदी को पूरे देश में समझा जाता था। इसी को ध्यान में रखते हुए संविधान सभा ने 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। इसकी याद में प्रत्येक वर्ष हिंदी दिवस मनाया जाता है। उन्होंने सभी संस्थानों से अनुरोध किया कि अगले माह यानि सितंबर में अपने-अपने कार्यालय में इस दिन को धूमधाम से मनाएं। उन्होंने हिंदी भाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हिंदी का विस्तार 130 देशों में हो चुका है। यह फिजी की राजभाषा भी है तथा मारीशस, त्रिनिदाद, गुयाना और सूरीनाम में यह क्षेत्रीय भाषा के रूप में स्थापित हो रही है। इसलिए हमें इस पर गर्व करना चाहिए तथा अपना सरकारी कामकाज हिंदी में ही करने पर जोर देना चाहिए।