भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य में बिजली क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका —मनोहर लाल
दिल्ली।विद्युत क्षेत्र की क्षेत्रीय बैठक 20 फरवरी 2025 को नई दिल्ली में आयोजित की गई। केंद्रीय विद्युत और आवासन और शहरी मामलों के मंत्री श्री मनोहर लाल ने केंद्रीय विद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री श्रीपाद येसो नाइक के साथ बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में केंद्रीय विद्युत सचिव, भाग लेने वाले राज्यों के अपर मुख्य सचिव/सचिव/प्रधान सचिव (विद्युत/ऊर्जा), केंद्रीय और राज्य विद्युत उपयोगिताओं के सीएमडी शामिल हुए। बैठक में विद्युत मंत्रालय के अधिकारियों ने भी भाग लिया।
विद्युत सचिव श्री पंकज अग्रवाल ने अपने संबोधन में सार्वजनिक क्षेत्र की वितरण उपयोगिताओं की वित्तीय स्थिति के बारे में प्रमुख चिंताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने आरडीएसएस के तहत कार्यों की धीमी प्रगति के बारे में चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि आरडीएसएस के तहत कार्यों का समय पर कार्यान्वयन वितरण क्षेत्र के परिचालन को कुशल बनाने में मदद करेगा। इसके अलावा, उन्होंने राज्यों से संसाधन पर्याप्तता योजना को रणनीतिक तरीके से लागू करने और उत्पादन और पारेषण परियोजनाओं में चल रही परियोजनाओं में लंबित मुद्दों को हल करने का भी आग्रह किया।
केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपाद नाइकने अपने उद्घाटन भाषण में हितधारकों को संबोधित करते हुए देश को विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए भविष्य के लिए तैयार, आधुनिक और वित्तीय रूप से व्यवहार्य बिजली क्षेत्र के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया किया कि बिजली की बढ़ती मांग के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहन, डेटा सेंटर जैसे उपभोग के नए तरीके और नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण, बैटरी स्टोरेज, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की साइबर सुरक्षा और पंप स्टोरेज आदि जैसे नए प्रतिमान सभी सम्बंधित पक्षों से सामूहिक प्रयासों की मांग करते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देश में बिजली क्षेत्र के समग्र विकास के लिए वितरण क्षेत्र की वित्तीय व्यवहार्यता महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि वितरण उपयोगिताओं को आरडीएसएस के तहत स्वीकृत कार्यों के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है और उपयोगिताओं को प्रभावी उपभोक्ता जुड़ाव के माध्यम से स्मार्ट मीटर को बढ़ावा देने के लिए कहा। उन्होंने महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता का भी उल्लेख किया।
केंद्रीय विद्युत और आवास और शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल ने अपने समापन भाषण में बताया कि बिजली क्षेत्र का विशाल डोमेन है और इसके कई पहलू हैं। विभिन्न हितधारकों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा करने और संभावित समाधानों का पता लगाने के लिए, मंत्रालय ने उत्तरी राज्यों की भागीदारी के साथ क्षेत्रीय स्तर पर यह बैठक आयोजित की है। 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य में बिजली क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है और इसके लिए अक्षय और परमाणु ऊर्जा स्रोतों के और एकीकरण की आवश्यकता है। विश्व शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ रहा है और जल्द ही हम देखेंगे कि केवल हरित ऊर्जा के माध्यम से निर्मित उत्पादों की मांग होगी। इसके अलावा, उन्होंने अक्षय ऊर्जा स्रोतों को बीईएसएस और पीएसपी जैसी भंडारण प्रणालियों को निवेश के साथ जोड़े जाने का भी उल्लेख किया।
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खटृर ने बताया कि आज की चर्चाएं सार्थक रहीं और इसमें डीआईएससीओएम की वित्तीय व्यवहार्यता, आरडीएसएस के तहत स्वीकृत कार्यों का शीघ्र कार्यान्वयन, ट्रांसमिशन बाधाएं, संसाधनों की पर्याप्तता आदि जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। डिस्कॉम को अपनी वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार करने और लागत-प्रतिबिंबित टैरिफ़ रखने की सलाह दी गई। राज्यों को अपने बिजली क्षेत्र की उपयोगिताओं को सूचीबद्ध करने की दिशा में भी काम करना चाहिए, जिससे उन्हें लोड वृद्धि को पूरा करने के लिए भविष्य के निवेश के लिए धन आकर्षित करने में मदद मिलेगी। डिस्कॉम को अपनी बेहतर ऋण योग्यता के लिए अपनी रैंकिंग में सुधार करने की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि ऊर्जा दक्षता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि उपयोगिता कार्यकर्ताओं की क्षमता निर्माण की दिशा में भी प्रयास किए जाने चाहिए। राज्यों को भी अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप सर्वोत्तम तौर तरीकों को लागू करना चाहिए। उन्होंने बिजली क्षेत्र को मजबूत करने के लिए राज्यों को केंद्र सरकार की ओर से पूर्ण समर्थन का आश्वासन भी दिया।
विद्युत मंत्रालय अंतर-राज्यीय सहयोग को सुविधाजनक बनाने और इस तरह के क्षेत्रीय परामर्शों के माध्यम से क्षेत्र में उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए समर्पित है। इस बैठक के परिणाम भारत के विद्युत क्षेत्र के सतत विकास के लिए रणनीतिक नीतियों के निर्माण में योगदान देंगे