भारत की धड़कन है भारतीय रेल
अमर चंद्र दिल्ली।भारतीय रेलवे सिर्फ़ एक परिवहन प्रणाली नहीं, बल्कि भारत की धड़कन है। यह दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है और प्रतिदिन लाखों लोगों को उनकी मंज़िल तक पहुँचाती है। भारतीय रेल में जीवन जीवंत करता नजर आता है और यह आम जनमानस के जीवन में बहुत बड़ी भूमिका भी निभाते हैं हम सब के जीवन में भारतीय लेवल का बहुत बड़ा महत्व देखने को मिलता है हमारी सरकारी हर समय रेल पर कुछ ना कुछ नया करती रहती है वर्तमान सरकार ने कई नई गाड़ियां पटरी पर उतरी है जो आम जन के जीवन में बहुत ही उत्साह भर रही है।आइए भारतीय रेल से जुड़ी कुछ दिलचस्प कहानियाँ जानते हैं।
16 अप्रैल 1853 को भारत की पहली ट्रेन मुंबई के बोरीबंदर (अब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस) से ठाणे के बीच चली। यह ट्रेन 34 किलोमीटर की दूरी तय करने में 57 मिनट का समय लिया और इसमें 400 यात्री सवार थे। यह भारतीय रेलवे के गौरवशाली इतिहास की शुरुआत थी। भारतीय रेल हम सबकी जीवन की धड़कन है।
15 अगस्त 1947 की सुबह, जब पूरा भारत स्वतंत्रता का जश्न मना रहा था, उस दिन भारतीय रेलवे की गाड़ियों ने भी अपनी भूमिका निभाई। दिल्ली से एक ट्रेन निकली, जिस पर तिरंगा लहरा रहा था, और उसमें सवार लोग “वंदे मातरम्” के नारे लगा रहे थे। यह ट्रेन आज़ादी के उत्सव का प्रतीक बन गई थी।
नीलगिरि की पहाड़ियों में चलने वाली यह ट्रेन भारतीय रेलवे की सबसे धीमी ट्रेन मानी जाती है। इसकी अधिकतम गति 10-15 किमी प्रति घंटा होती है, क्योंकि यह कठिन पहाड़ी रास्तों से गुजरती है। लेकिन इसकी धीमी गति ही इसे खास बनाती है, क्योंकि यात्री पहाड़ियों और हरियाली कुदरत के द्वारा बनाई गई खूबसूरती का भी आनंद ले सकते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि हिमालय की पहाड़ियों में चलने वाली “कालका-शिमला हेरिटेज ट्रेन” अपने कुछ हिस्सों में बिना इंजन के ही चलती है। ढलानों पर यह ट्रेन सिर्फ़ ग्रेविटी के सहारे आगे बढ़ती है, जिससे ऊर्जा की बचत होती है।
16 अप्रैल 1853 को भारत की पहली ट्रेन मुंबई के बोरीबंदर (अब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस) से ठाणे के बीच चली। यह ट्रेन 34 किलोमीटर की दूरी तय करने में 57 मिनट का समय लिया और इसमें 400 यात्री सवार थे। यह भारतीय रेलवे के गौरवशाली इतिहास की शुरुआत थी। भारतीय रेल हम सबकी जीवन की धड़कन है।
भारत का एक अनोखा रेलवे स्टेशन है “नवापुर रेलवे स्टेशन”, जो महाराष्ट्र और गुजरात की सीमा पर स्थित है। इस स्टेशन का आधा हिस्सा महाराष्ट्र में और आधा गुजरात में आता है। प्लेटफॉर्म पर खड़े होकर एक राज्य से दूसरे राज्य में कदम बढ़ाना आसान है!
अगर आप सबसे लंबी दूरी तय करने वाली ट्रेन में सफर करना चाहते हैं, तो “विवेक एक्सप्रेस” से यात्रा करें। यह ट्रेन असम के डिब्रूगढ़ से कन्याकुमारी तक लगभग 4,273 किमी का सफर तय करती है, जो भारतीय रेलवे की सबसे लंबी दूरी की ट्रेन यात्रा है। वैसे तो भारतीय रेल की कई उपलब्धियां है। जो हमारे और आप सबके जीवन में नए-नए अनुभव और नए-नए आयाम लिखता रहता है। भारतीय रेल वह मंजिल है जो हर इंसान को उसकी मंजिल का सफर तय करती है।