नौसेना कमांडरों का सम्मेलन 2025: आत्मनिर्भर, सशक्त और समन्वित भारत की ओर एक मज़बूत कदम
Amar sandesh:
भारतीय नौसेना के रणनीतिक नेतृत्व और राष्ट्रीय सुरक्षा में इसकी अग्रणी भूमिका को सुदृढ़ करने हेतु नौसेना कमांडरों का सम्मेलन 2025 दो चरणों में आयोजित किया जा रहा है। पहला चरण 5 अप्रैल को कारवार में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में आरंभ हुआ, जबकि दूसरा चरण 7 से 10 अप्रैल तक नई दिल्ली में संपन्न होगा।
यह सम्मेलन सिर्फ एक औपचारिक चर्चा नहीं, बल्कि देश की समुद्री शक्ति, रणनीतिक तैयारियों और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सशक्त प्रयास है। इसमें नौसेना के शीर्ष कमांडरों, त्रि-सेना प्रमुखों और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ गहन विचार-विमर्श किया जा रहा है।
हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की भूमिका
सम्मेलन की शुरुआत एक ऐतिहासिक पहल – हिंद महासागर जहाज सागर (IOS SAGAR) को हरी झंडी दिखाकर की गई। यह पहल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रस्तुत “Security and Growth for All in the Region” के दृष्टिकोण को मूर्त रूप देती है। यह भारत की उन मित्र देशों के साथ साझा समुद्री सुरक्षा सहयोग को मजबूत करेगा, जो हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में स्थित हैं – जैसे कि मालदीव, श्रीलंका, केन्या, सेशेल्स, तंजानिया, मेडागास्कर और मॉरीशस।
इस मिशन के अंतर्गत आईएनएस सुनयना को इन देशों के साझा चालक दल के साथ तैनात किया गया है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा, समुद्री डकैती, मानवीय सहायता और आपदा राहत जैसे अभियानों में समर्पित योगदान देगा।
प्रोजेक्ट सीबर्ड और अवसंरचना विकास
सम्मेलन के दौरान माननीय रक्षा मंत्री द्वारा प्रोजेक्ट सीबर्ड के तहत समुद्री अवसंरचना, उन्नत लॉजिस्टिक केंद्रों और सहायता सुविधाओं का उद्घाटन भी किया गया। यह कदम भारतीय नौसेना की लॉजिस्टिक क्षमता को मजबूत करेगा और कारवार को एशिया के प्रमुख नौसेना अड्डों में शामिल करने की दिशा में आगे बढ़ाएगा।
नई दिल्ली चरण: रणनीति, तालमेल और आत्मनिर्भरता पर फोकस
सम्मेलन का दूसरा चरण नई दिल्ली में आयोजित होगा, जहाँ नौसेना की रणनीतिक, लॉजिस्टिक, प्रशिक्षण, मानव संसाधन और प्रशासनिक क्षमताओं की समग्र समीक्षा की जाएगी। इस दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, थलसेना और वायुसेना प्रमुखों के साथ बैठकें भी होंगी, जिससे त्रि-सेना समन्वय और अभिसरण (jointness and synergy) को बढ़ावा मिलेगा।
श्री विक्रम मिस्री (विदेश सचिव) और श्री अमिताभ कांत के साथ चर्चा भारत की विदेश नीति, इंडो-पैसिफिक रणनीति और वैश्विक समुद्री सहयोग को और मजबूती देगी।
आत्मनिर्भर नौसेना की ओर
यह सम्मेलन आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत नौसेना के आधुनिकीकरण, स्वदेशीकरण और रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता को गति देने के लिए एक बड़ा मंच बनकर उभरा है। यह भारतीय नौसेना को “युद्ध के लिए तैयार, विश्वसनीय, एकजुट और भविष्य के लिए तैयार बल” बनाने की दिशा में एक निर्णायक पहल है।
निष्कर्ष
नौसेना कमांडरों का यह सम्मेलन भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा, रणनीतिक तैयारियों, सहयोगी देशों के साथ रिश्तों और आत्मनिर्भरता के साझा लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक मजबूत कदम है। यह आयोजन न केवल भारतीय नौसेना की शक्ति को उजागर करता है, बल्कि भारत की वैश्विक समुद्री नेतृत्व की ओर बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है।