नीति आयोग की रिपोर्ट: वैश्विक ऑटोमोटिव मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की भागीदारी को मिलेगी नई गति
नई दिल्ली, 12 अप्रैल 2025 – नीति आयोग ने “ऑटोमोटिव उद्योग: वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारत की भागीदारी का सशक्तिकरण” शीर्षक से एक महत्वाकांक्षी और दूरदर्शी रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट भारत के ऑटोमोटिव क्षेत्र को वैश्विक नेतृत्व दिलाने की दिशा में एक रणनीतिक कदम के रूप में देखी जा रही है।
रिपोर्ट का विमोचन नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री सुमन बेरी, सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत और डॉ. अरविंद विरमानी तथा सीईओ श्री बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम द्वारा किया गया। इसमें भारत की वर्तमान स्थिति, वैश्विक प्रतिस्पर्धा में चुनौतियां, और 2030 तक के लिए एक स्पष्ट विजन प्रस्तुत किया गया है।
🌍 वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति
2023 में विश्व स्तर पर लगभग 94 मिलियन ऑटोमोबाइल का उत्पादन हुआ, जिसमें भारत ने लगभग 6 मिलियन यूनिट का योगदान दिया और चीन, अमेरिका व जापान के बाद चौथे सबसे बड़े उत्पादक के रूप में अपनी जगह बनाई। भारत की विशेष पकड़ छोटी कारों और उपयोगिता वाहनों के क्षेत्र में है, जो ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलों से सशक्त हुआ है।
🔋 टेक्नोलॉजी और नवाचार की दिशा में अग्रसर
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ऑटोमोटिव क्षेत्र अब इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। इसके साथ-साथ AI, IoT, रोबोटिक्स और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों का समावेश उद्योग 4.0 के तहत हो रहा है, जो भारत को स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग और कनेक्टेड व्हीकल्स के क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर देता है।
⚙️ चुनौतियाँ: अवसरों में बदलने की आवश्यकता
हालांकि भारत वैश्विक उत्पादन में अग्रणी है, लेकिन ऑटोमोटिव घटक व्यापार में इसकी हिस्सेदारी अभी केवल 3% है। उच्च परिशुद्धता वाले क्षेत्रों जैसे इंजन और ट्रांसमिशन सिस्टम में प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने के कारण भारत को R&D, बुनियादी ढांचे और मूल्य श्रृंखला में एकीकरण के क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है।
📈 नीति आयोग के सुझाव: विकास की ओर रोडमैप
रिपोर्ट में राजकोषीय एवं गैर-राजकोषीय हस्तक्षेपों का एक विस्तृत खाका प्रस्तुत किया गया है:
- ऑपेक्स और कैपेक्स सहायता से विनिर्माण क्षमता में वृद्धि
- कौशल विकास और R&D में निवेश
- डिजिटल तकनीकों का उपयोग कर उद्योग 4.0 को अपनाना
- वैश्विक साझेदारी और FTA के माध्यम से निर्यात क्षमता को सुदृढ़ करना
🎯 2030 का विजन: आत्मनिर्भर और वैश्विक नेता भारत
रिपोर्ट 2030 तक भारत के ऑटोमोटिव कंपोनेंट उत्पादन को 145 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने की परिकल्पना करती है। निर्यात को 20 से बढ़ाकर 60 बिलियन डॉलर और 2-2.5 मिलियन नए रोजगार सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे भारत की हिस्सेदारी वैश्विक मूल्य श्रृंखला में 8% तक पहुँच सकती है।
✅ निष्कर्ष: भारत का समय आ गया है
यह रिपोर्ट सिर्फ एक दस्तावेज़ नहीं बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मजबूत कदम है। यदि केंद्र और राज्य सरकारें, उद्योग जगत और निवेशक मिलकर कार्य करें, तो भारत निश्चित ही वैश्विक ऑटोमोटिव मानचित्र पर अग्रणी भूमिका निभाने को तैयार है।