दीवान सिंह बजेली की प्रकाशित पुस्तक ‘उत्तराखंड कल्चर इन दिल्ली’ तथा ‘मीरियड ह्युज आफ द हिमालयन आर्ट’ समीक्षा
सी एम पपनैं
नई दिल्ली। दिल्ली महानगर मे प्रवासरत रहे उत्तराखंड मूल के अनेको प्रवासी बंधुओ द्वारा विभिन्न क्षेत्रों व विधाओ में दिन-रात लगन, मेहनत तथा निष्ठा पूर्वक कार्य कर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर ख्याति अर्जित कर स्वयं के साथ-साथ उत्तराखंड का नाम भी रोशन किया है। इन्ही ख्यातिरत प्रवासियो मे एक नाम आता है
वर्ष 2018 मे देश का सबसे प्रतिष्ठित ‘संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप’ सम्मान प्राप्त दीवान सिंह बजेली का।
मूल रूप से उत्तराखंड जिला अल्मोडा, पोस्ट मनान, कालिट गांव निवासी दीवान सिंह बजेली
विगत पांच दशकों से देश के ख्याति प्राप्त रंगमंच समीक्षको मे अपना स्थान रखते हैं। विगत माह 25 फरवरी से 5 मार्च तक प्रगति मैदान दिल्ली मे आयोजित विश्व पुस्तक मेले मे दीवान सिंह बजेली की अंग्रेजी पुस्तक ‘उत्तराखंड कल्चर इन दिल्ली’ तथा ‘मीरियड ह्युज आफ द हिमालयन आर्ट’ का भव्य लोकार्पण देश के प्रतिष्ठित साहित्यकारों व पत्रकारों के कर कमलो किया गया था। 345 पृष्ठों व 499 रुपये मूल्य की यह अंग्रेजी मे प्रकाशित पुस्तक ‘प्रलेक’ प्रकाशन मुंबई द्वारा प्रकाशित की गई है।
उक्त प्रकाशित पुस्तक मे उत्तराखंड के रंगमंच, लोकसंगीत, लोकगीत लेखन व गायन, अभिनय तथा फिल्म निर्माण के क्षेत्र से जुडे रहे शीर्ष प्रेरणाश्रोत लोगों मे प्रमुख स्व.मोहन उप्रेती, स्व.जीत सिंह नेगी, स्व.बी एम शाह, स्व.चंद्रसिंह राही, स्व.बृजेन्द्र लाल साह, स्व.गोपाल बाबू गोस्वामी, स्व.हीरासिंह राणा, नरेन्द्र सिंह नेगी, स्व.नईमा खान उप्रेती, स्व.अलख नाथ उप्रेती, पाराशर गौड़ व आशा नेगी के कृतित्व व व्यक्तित्व पर सारगर्भित प्रकाश डाला गया है।
साथ ही प्रकाशित पुस्तक में दीवान सिंह बजेली द्वारा दिल्ली से प्रकाशित अंग्रेजी के सांध्य अखबारो के साथ-साथ टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, नेशनल हैराल्ड, हिंदुस्तान टाइम्स, स्टेट्समैन, पायनियर, पैट्रियट, इकोनोमिक टाइम्स, फाईनैंनशियल एक्सप्रेस तथा हिंदू जैसे देश के अग्रणी अंग्रेजी अखबारों मे विगत पांच दशकों के कालखंड मे मध्य हिमालय उत्तराखंड के रंगमंच, फिल्म, पैंटिंग तथा अन्य सांस्कृतिक गतिविधियो इत्यादि इत्यादि विधाओ से जुडी रही प्रकाशित समीक्षाओ को पुस्तक मे प्रभावशाली भाषा-शैली का प्रयोग कर पिरोया है, जो आज के व भविष्य के सुधी पुस्तक पाठकों के लिए दीवान सिंह बजेली की एक नायाब पहल कही जा सकती है।
इस प्रकाशित पुस्तक से पूर्व दीवान सिंह बजेली की प्रकाशित व चर्चित अंग्रेजी पुस्तकों में ‘मोहन उप्रेती द मैन एंड हिज आर्ट’, ‘कुमांऊनी पीपुल एंड फोल्कलोर’, ‘द थियेटर ऑफ भानु भारती एंड पर्सपैक्टिभ’ तथा ‘यात्रिक: ए जर्नी इंटू थियेट्रीकल आर्ट’ मुख्य रही हैं।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सहयोग से प्रकाशित अंग्रेजी पुस्तक ‘मोहन उप्रेती द मैन एंड हिज आर्ट’ नामक 207 पेज की पुस्तक देश-विदेशो मे काफी चर्चित रही है। प्रकाशित उक्त पुस्तक की उपयोगिता, महत्ता व मांग को देखते हुए 2021 मे उक्त पुस्तक का पुनरप्रकाशन किया गया था।
उक्त पुस्तक भारतीय रंगमंच के सु-विख्यात संगीत निर्देशक, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सांस्कृतिक संस्था ‘पर्वतीय कला केन्द्र’ दिल्ली के संस्थापक व उत्तराखंड लोकगीत-संगीत के पुरोधा व लोकगायक रहे, स्व.मोहन उप्रेती के द्वारा आधुनिक रंगमंच पटल पर संगीत के क्षेत्र मे दिए गए योगदान पर विस्तार पूर्वक लिखी गई थी। साथ ही उक्त प्रकाशित पुस्तक से उत्तराखंड की लोकसंस्कृति, लोकसंगीत, लोकगाथाओ व लोकबोली के महत्व को भी उजागर करने की पहल की गई थी जो पाठकों द्वारा बडे स्तर पर सराही गई।
दीवान सिंह बजेली की इस नई पुस्तक ‘उत्तराखंड कल्चर इन दिल्ली’ तथा ‘मीरियड ह्युज आफ द हिमालयन आर्ट’ का पढ़न-पाठन कर व्यक्त किया जा सकता है, निरंतर उत्तराखंड के गीत-संगीत, रंगमंच, आंचलिक फिल्मों तथा सांस्कृतिक गतिविधियो के आयोजनों से गहराई से जुडे रहे प्रेरणाशील लोगों के कार्यो पर जो समीक्षाऐं विगत पांच दशकों के कालखंड मे प्रकाशित हुई थी, उत्तराखंड के परिपेक्ष मे उक्त महत्वपूर्ण समीक्षाओं को एक स्थान पर इकठ्ठा कर, नई प्रकाशित पुस्तक मे नए कलेवर के साथ प्रकाशित कर, वर्तमान व भविष्य की पीढी के पठन-पाठन व शोध कार्यो हेतु अति प्रभावशाली व महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कार्य पुस्तक रचयिता द्वारा किया गया है।
गीत व नृत्य नाटिकाओ मे लोकसंगीत के महत्व की गहरी पहचान पुस्तक रचयिता को रही है, जिसकी पुष्टि प्रकाशित समीक्षाओं से होती है। साथ ही दिल्ली महानगर मे प्रवासरत प्रवासी बंधुओ सहित उत्तराखंड पर्वतीय अंचल के कस्बो व शहरो मे सांस्कृतिक गतिविधियों से जुडे रहे अग्रणी जनो का विगत पांच दशकों के कालखंड की गतिविधियों का विवरण जो प्रकाशित समीक्षाओं के माध्यम प्रमुखता से उजागर हुआ, उक्त समीक्षाओं को पुस्तक मे स्थान देकर उत्तराखंडी समाज के प्रति अपना दायित्व अदा करने की कोशिश की गई है। पुस्तक रचनाकार की उक्त पहल सराहनीय व प्रेरणाशील कही जा सकती है।
दीवान सिंह बजेली के मतानुसार उत्तराखंड के लोकगीत गायन के वर्तमान परिपेक्ष मे 2018 संगीत नाटक अकादमी सम्मान प्राप्त नरेन्द्र सिंह नेगी तथा लोकगायिका आशा नेगी अंचल के सबसे अव्वल श्रेणी के लोकगायन कलाकारों मे स्थानरत हैं। ख्याति प्राप्त लोकगायिका आशा नेगी भी देश के प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी सम्मान की हकदारो मे स्थान रखती हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए पोलिटिकल साइंस व पत्रकारिता मे डिप्लोमा प्राप्त दीवान सिंह बजेली उत्तराखंड की सु-विख्यात संस्था ‘पर्वतीय कला केंद्र दिल्ली’ से भी विगत चार दशकों से जुडे रहे हैं, वर्तमान मे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर ख्याति प्राप्त उक्त सांस्कृतिक संस्था के, संरक्षक तथा साहित्य कला परिषद दिल्ली सहित विभिन्न गठित सरकारी समितियों मे नामित सदस्य हैं। उत्तराखंड सरकार संस्कृति विभाग द्वारा 2019 सम्मान पत्र से सम्मानित तथा समय-समय पर देश की विभिन्न ख्याति प्राप्त संस्थाओ द्वारा अनेको सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं। पांच दशकों से राष्ट्रीय फलक पर रंगमंच की विभिन्न नाट्य विधाओ पर देश के अंग्रेजी अखबारों के लिए नियमित तौर पर समीक्षा करते रहे हैं। उत्तराखंड के लोकसंगीत व नृत्यो पर इण्डिया वीकली लन्दन व द चिल्ड्रन वर्ड मे भी आपकी ज्ञानवर्धक समीक्षाऐ प्रकाशित होती रही हैं।
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