दंदरौआ धाम में स्थापित होगी प्रदेश की प्रथम रामायण वाटिका
मध्यप्रदेश। डॉ. हनुमान मंदिर दंदरौआ धाम मेहगांव जिला भिंड मध्यप्रदेश में महामंडलेश्वर संत श्री रामदास जी महाराज के पावन सान्निध्य में स्वदेशी समाज सेवा समिति फिरोजाबाद उत्तर प्रदेश के सौजन्य से प्रदेश की प्रथम रामायण वाटिका बनकर तैयार होगी यह जानकारी डॉ. हनुमान वाणी मासिक पत्रिका के संपादक एवम समिति के सरंक्षक सदस्य कुलदीप सिंह सेंगर एवम समिति के संस्थापक सचिव विवेक यादव ‘ रुद्राक्ष मेन ‘ ने दी हैं।
ज्ञात हो देश विदेश में पाई जाने वाली वनस्पतियों को अनूठे ढंग से सरंक्षित करने वाली स्वदेशी समाज सेवा समिति ने अब एक और अभिनव प्रयोग करते हुए यह रामायण वाटिका तैयार करेगी, इस वाटिका में वाल्मीकि रामायण में वर्णित उत्तराखंड की संजीवनी वूटी से लेकर श्रीलंका में पाई जाने वाली नागकेशर सहित 126 वनस्पतियों को सरंक्षित किया जायेगा।
, उल्लेखनीय है कि वाल्मीकि रचित रामायण के अरण्य कांड नामक खण्ड में श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास का विवरण हैं, अयोध्या से श्रीलंका तक की यात्रा में श्रीराम भारतीय उपमहाद्वीप के छः वनों से होकर गुजरे इसमें चित्रकूट, दंडकारनय, पंचवटी, किष्किंधा, अशोक वाटिका और द्रोणागिरी वन शामिल है , इन वनों को उष्ण कटिबंधीय पर्ण पाती वन , सदाबहार वन और एल्पाइन वन भी कहा जाता हैं, इन वनों के भी चार गुण हैं जिन्हें शांत, मधुर, रौद्र और वीभत्स वनों की संज्ञा दी गई हैं , इसी के आधार पर इन वनों में वनस्पतियां भी पाई जाती हैं , रामायण वाटिका में इस कालखंड की वनस्पतियों के साथ ही रामायण की भी विस्तृत जानकारी मिलेगी।
चित्रकूट का अर्थ है अनेक आश्चर्यों वाली पहाड़ी यह उत्तर प्रदेश के चित्रकूट से मध्यप्रदेश तक स्थिति हैं. वनवास के बाद भगवान श्रीराम ने पहला निवास यही किया था, दंडकारण्य वन यहाँ दण्डकरण्य नामक दांनव निवास करता था, जिसका श्रीराम ने संहार किया था, यह छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले से तेलंगाना तक फैला है, पंचवटी – महाराष्ट्र के नासिक जिले में गोदावरी नदी के किनारे हैं, यहाँ से लंका नरेश रावण ने सीता माता का हरण किया था, अशोक वाटिका यह श्रीलंका के नुवारा एलिया शहर स्थित हकगला वनस्पति उद्यान में है, यहाँ रावण ने सीता माता को बंदी बनाकर रखा था , रामायण कालखंड में भगवान श्री राम के वनवास के समय की ऐसी सैकड़ों वनस्पतियों का वर्णन वाल्मीकि रामायण में किया गया हैं, इनमें से कई वनस्पतिया वेहद दुर्लभ और उपयोगी है , समय के साथ इनमें किसी तरह का बदलाव भी नही हुआ , इनको सरंक्षित करने एवं भगवान श्रीराम की गाथा को अक्षुण्य बनाये रखने हेतु यह रामायण वाटिका तैयार की जायेगी।