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कोरोना संक्रमण से भारत सहित विश्व की बड़ी शक्तियों पर उठते सवाल

सी एम पपनै

कोरोना वायरस ने दुनिया भर में इकॉनमी को बर्बाद कर दिया है। हजारों की जान जा चुकी है। लाखों मे ये संक्रमण फैल चुका है। लाकडाउन से विश्व के बहुसंख्य देशों की आबादी घरों की चार दिवारी तक सिमटी हुई है। पाबंदियों के बुरे असर सामने आने लगे हैं। इटली में खाने-पीने के सामानों पर लूटपाट व आस्ट्रेलिया में घरेलू हिंसा की खबरे सामने आने से प्रशासन के सम्मुख चुनोतिया खड़ी होनी आरंभ हो गई हैं।

भारत भी भुक्तभोगियो मे खड़ा है। पूर्ण बंदी ने देश के उद्योग कारोबार को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। साढ़े सात करोड़ छोटे उद्योगों में अठारह करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं। जिस कारण पूर्ण बंदी के इस माहौल में महानगरो से अपने गावो की तरफ लौटते बेबस श्रमिकों का हुजूम कई तरह की चिंता पैदा कर रहा है। सरकार को शायद इस स्थिति का पूर्वानुमान न था। हालात देख अब सरकार का ध्यान वापस लौटते लोगों को रोकने पर अधिक है। यथास्थान रोकने हेतु कड़े कदम उठाए जा चुके हैं।

हालांकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इतवार को अपनी ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लागू की गई देशव्यापी बंदी से लोगो, खासकर श्रमिक वर्ग के लोगों को हुई परेशानी के लिए क्षमा मांगते हुए देशवासियों से कोरोना को परास्त करने के लिए चिकित्सको की सलाह मानने और लाकडाउन का पालन करने की अपील की है।

प्रधानमंत्री मोदी ने जी२० की वीडियो कनफ्रेंसिंग में भी विश्व स्वास्थ्य संगठन को स्वायत्त बनाने का मुद्दा उठाया है। यह भी माना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोराना संकट को महामारी घोषित करने में देर की है। संक्रमण को रोकने के वैश्विक प्रयास देर से शुरू किए गए।

कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर से निकल दुनिया के कोने-कोने में पसर चुका है। ताज्जुब यह वायरस वुहान के ही पास चीन की राजधानी बीजिंग और आर्थिक राजधानी शंघाई तक नहीं पहुंचा। चीन और दक्षिण कोरिया ने अपने प्रभावित इलाकों में ही लाकडाउन किया। ज्यादा से ज्यादा लोगो की जांच का मॉडल अपनाया। चीन ने संक्रमण फैलने पर पहले उसे छिपाया, उसे हल्के अंदाज में लिया। फिर संक्रमण से लड़ने के लिए कमर कस, विषाणुओं की संरचना को समझने व इस विषाणु की पहचान हेतु अपने वैज्ञानिकों को मुस्तैद कर दिया। दक्षिण कोरिया द्वारा वैज्ञानिक बायोकिट कंपनियों को मेडिकल किट बनाने का आदेश दिया गया, जो कम्पनियों द्वारा निष्ठा पूर्वक पूर्ण किया गया। फलस्वरूप कोरिया को प्रतिदिन हजारों की संख्या की आबादी का कोरोना वायरस टेस्ट क्षमता विकसित करने में सफलता हासिल हुई। जनमानस का फ्री कोरोना संक्रमण टेस्ट आरंभ किया गया, प्रति टेस्ट प्रति दस मिनट मे रिजल्ट हासिल कर, कोरोना संक्रमण से बिगड़ते हालातों को काबू कर डाला।

कोरोना संक्रमण से टोक्यो, पेरिस, न्यूयॉर्क, बर्लिन, रोम तथा दुनिया के अनेक प्रमुख शहरो के साथ-साथ हमारे देश भारत के आर्थिक और राजनैतिक केंद्र के रूप मे प्रमुख दिल्ली व मुंबई तक बंद हैं। ताज्जुब बीजिंग और शंघाई खुले हुए हैं। चीन के सभी प्रमुख शहर खुले हुए है और तो और अब आठ अप्रैल से चीन कोरोना संक्रमण उत्पत्ति दाता वुहान को भी खोलने जा रहा है। पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण के आतंक से जहा त्रस्त हो चुकी है, वही चीन संक्रमण मुक्ति की ओर बढ़, अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की ओर कदम बढ़ा चुका है।

चीन, इटली और स्पेन के बाद अब कोरोना वायरस का एपिसेंटर अमेरिका हो गया है, जहां संक्रमितो की संख्या एक लाख चौबीस हजार छह सौ छियासी हो गई है और मरने वाले दो हजार एक सौ इकानब्बे हो गए हैं। दो हजार छह सौ बारह ठीक भी हुए हैं। विश्व के सबसे बड़े अमीर राष्ट्र अमेरिका मे भी स्वास्थ सेवाओं की पोल खुलती नजर आ रही है, जहां वेन्टीलेटर जैसे जीवन रक्षक उपकरणों की भारी कमी नजर आ रही है। कोरोना संक्रमण की महामारी से जूझते हुए भी अमेरिका ने इतिहास का सबसे बड़ा राहत पैकेज 2.2 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए जारी किया है, जिसकी सराहना की जा रही है।

स्वास्थ सेवाओं के बारे में ज्यादातर देशों ने अपने आप को परमाणु युद्ध से बचने के उपाय तो खोज लिए हैं, परन्तु कोरोना महामारी से बचने और इलाज के तरीके किसी के भी पास नही हैं।

दुनिया के 183 देशों मे करीब 6,67,090 कोरोना संक्रमित लोगों मे ताजा आकड़ो के मुताबिक 1,34,700 ठीक हुए हैं तथा 31हजार लोगों की मौत हो चुकी है। जिनमें यूरोप में तीन लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमितो की संख्या है। इटली में मौत की संख्या 10,023, स्पेन 6,528, ईरान 2,640, फ्रांस 2,314, चीन में 3,300 तथा भारत मे यह संख्या 25 तक पहुच चुकी है। आंकड़े बता रहे हैं, इटली और स्पेन में रोज 900 कोरोना संक्रमित प्राण त्याग रहे हैं।

भारत में कल इतवार तक कोरोना संक्रमितो की संख्या बढ़ कर 1024 तक पहुच चुकी थी, जिनमे 151 पॉजिटिव केश एक दिन मे सामने आए। 95 लोग ठीक होकर अपने घरो को लौट चुके हैं। 34,931 लोगों के सैम्पल लिए जा चुके थे। केंद्र सरकार के प्रवक्ता के अनुसार कोरोना संक्रमण से जूझने के लिए 11.47 लाख एन 95 मास्क, 3.17 लाख किट, 1,26,720 आईसोलेशन बैड पूरे देश में मौजूद हैं। जिनमे 17,631 केंद्र सरकार व 1,09,089 राज्य सरकारों के पास हैं। आईसीयू बैडो की कुल संख्या 25,743 है।

आश्चर्य चकित कर देने वाली सूचना के अनुसार चीन के वुहान शहर में फैले वायरस व बड़ी तादात मे हुई मौतों के कारण विदेशी निवेशक और उद्यमी अपनी पूंजी छोड़ कर भाग गये हैं, भागते इन्वेस्टर्स के शेयरों को कौडी के भाव खरीद चीन ने वैश्विक अर्थव्यवस्था मे अपने आप को मजबूत कर लिया है। कोरोना संक्रमण के प्रभाव से आज पूरा विश्व कुदरत से युद्ध करते-करते रोज अपने जान माल को गंवा रहा है, साथ ही हर रोज अपनी अर्थव्यवस्था को ध्वस्त होते देख रहा है। ताज्जुब चीन की अर्थव्यवस्था 17 मार्च से मजबूत दिशा की ओर बढ़ चली है।

भले ही चीन की इस आर्थिक मजबूती को दुनिया भर के देश तिरछी नजर से देख रहे हो, परन्तु इस आर्थिक युद्ध में चीन जिसका अमेरिका के साथ लम्बे समय से व्यापार युद्ध चल रहा था, तथा चीन भारत के साथ दूसरा बड़ा व्यापारिक सांझेदार था, कोरोना संक्रमण से बने हालातों के बाद अमेरिका सहित देश दुनिया के अन्य देशों के बीच चीन आर्थिक मजबूती के तौर पर जीत हासिल कर आगे बढ़ चुका है, यह देश दुनिया के सभी देशों को मानना होगा, चाहे अमेरिका चीन पर कोरोना वायरस फैलाने का आरोप बरबस लगाता रहे।

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष तथा आईएमएफ ने भी व्यक्त किया है, कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनिया विनाशकारी प्रभाव का सामना कर रही है। और स्पष्ट रूप से आर्थिक मंदी की चपेट में आ गई है। अमेरिका सहित दुनिया के सभी विकसित अर्थव्यवस्थाओं मे ऐसा ही है। और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक बड़ा हिस्सा इसकी चपेट में है। आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टलीना जाजोबा के अनुसार विश्व अर्थव्यवस्था के अचानक बंद होने के दीर्घकालीन प्रस्ताओ मे एक महत्वपूर्ण चिंता दिवालिया होने और छटनी के जोखिम को लेकर है।

इन सब जानकारियों व हालातों का अवलोकन कर ज्ञात होता है, हमारा देश भी अपनी अर्थव्यवस्था गवाने से अछूता नहीं रहेगा। 130 करोड़ भारतीयों के लॉक डाउन होने से देश की अर्थव्यवस्था को डामाडोल होना ही है, क्यों कि भारत में 50 फीसद श्रमबल स्वरोजगार मे लगा है। 95 फीसद असंगठित क्षेत्रो मे काम करते हैं। तत्काल प्रभाव अनोपचारिक क्षेत्र के कामगारों पर ही पड़ेगा।

भारत की अर्थव्यवस्था पहले से ही डगमगाई हुई है। निवेश हो नही रहा था। बेरोजगारी दर ऊंचाई की ओर बढ़ रही थी। ग्रामीण मजदूरी और उपभोग मे ठहराव पहले से ही था। वर्तमान त्रासदी के बाद बड़ी कम्पनिया अगले छह माह तक भारी घाटा झेल सकती हैं। परन्तु छोटे और सूक्ष्म उद्योगो के लिए ऐसा करना शायद मुमकीन न जान पड़े।

कोरोना संक्रमण से देश में बिगड़ते हालातों के बीच भारतीय वैज्ञानिकों ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। भारतीय वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस (कोविड-19) बीमारी के वाहक बने कोरोना वायरस की तस्वीर खींचने में कामयाबी हासिल की है। पुणे स्थित भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिक पहली बार कोरोना वायरस की तस्वीरें सामने लाए हैं। वैज्ञानिकों ने ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप इमेजिंग का इस्तेमाल करके यह तस्वीर खींची। इन्हें इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च के लेटेस्ट एडिशन में दिखाया गया है। यह तस्वीर भारत के पहले कोरोना पॉजिटिव मरीज के गले से लिए गए सैंपल से ली गई है।

साथ ही एक और कामयाबी भारत की विषाणु विज्ञानी नीतल दरवावे भोंसले ने अपने दस सदस्यीय दल के प्रयासों से हासिल की है। इस दल ने पहली कोरोना जांच किट तैयार करने में सफलता की है, जिसके द्वारा ढाई घंटे में पीड़ित की जांच रिपोर्ट प्राप्त की जा सकेगी।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने भी शनिवार नई दिल्ली एम्स परिसर में कोविड-19 के बारे में देश के विभिन्न मेडिकल कालेजो के डॉक्टरों और विशेषज्ञयो को जानकारी देने के लिए कोविड-19 नेशनल टेली कन्सल्टेशन सेंटर की शुरुआत की है, जिसमे देश के चिकित्सको के सवालों के जवाब व शंकाओं का निराकरण होगा। यह एक टेली मैडिशन हब है, जिसकी स्थापना एम्स ने की है, मूर्तरूप केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने दिया है।

जर्मनी की एक दिग्गज कंपनी बॉश के प्रमुख फोल्कर डेनर द्वारा भी चिकित्सा तकनीक के क्षेत्र मे कोरोना वायरस टेस्ट करने का एक तेज तरीका निकालने की सूचना जारी की है। इस तकनीक की मदद से मामूली खर्च मे कोरोना पीड़ित का ढाई घंटे के अंदर टेस्ट रिपोर्ट मालूम किया जा सकेगा, उक्त व्यक्ति वायरस से संक्रमित है या नही, उसे आइसोलेट किया जाय या नहीं, जाना जा सकेगा। इस तकनीक मे वायरस टेस्ट की विधि इतनी आसान बताई गई है, जिसमे किसी प्रशिक्षित कर्मचारी की जरूरत नही पड़ेगी।

जर्मनी के एसोसिएशन आफ रिसर्च वेस्ट फार्मास्युटिकल कम्पनीज के अनुसार कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने के लिए दुनिया भर में कम से कम सैंतालीस प्रोजेक्ट चल रहे हैं। वैज्ञानिक दवाब मे हैं, फिर भी इस महामारी पर अंकुश लगाने में एक वर्ष लगेगा।

कोरोना वायरस से 21 दिन का लाकआउट झेल रहे देश के लोगो के मध्य घरों मे कैद होकर स्वयं के दिलो दिमाग में कुछ सवाल भी उठ रहे हैं। उनके सवाल हैं, भारत एक संप्रभु राष्ट्र होने के बावजूद उसे विश्व स्वास्थय संगठन की घोषणा का इंतजार करने की जरूरत क्यों पड़ी? अपनी सीमाओं पर कोराना पॉजिटिव को रोकने के चौक-चौबंद बंदोबस्त सरकार व प्रशासन द्वारा क्यों नहीं किए गए? पिछले दो माह में पन्द्रह लाख लोग विदेश से भारत आए, जिनके कारण यह सब भुगतना पड़ रहा है, उनकी जांच क्यों नहीं की गई? केंद्र व राज्यो के बीच कोरोना से सम्बंधित दिशानिर्देशो मे तालमेल की कमी क्यों द्रष्टिगत हो रही है?

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