कानून मंत्री ने टेली-लॉ 2.0 का अनावरण किया
नई दिल्ली। एक बेहद महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम में आज टेली-लॉ 2.0 पहल का शुभारंभ किया गया, जो कानून और न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग के टेली-लॉ कार्यक्रम के विकास में एक अहम अध्याय चिह्नित करता है। दिशा योजना के अंतर्गत संचालित इस अभूतपूर्व कार्यक्रम ने 50 लाख लोगों को कानूनी परामर्श प्रदान करके एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। यह देश के हर कोने तक न्याय सुनिश्चित करने के अपने अटूट समर्पण को पुष्ट करता है। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कानून और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अर्जुन राम मेघवाल उपस्थित रहे, जिन्होंने टेली-लॉ 2.0 का उद्घाटन करके एक ऐतिहासिक घोषणा की। इस संस्करण में न्याय बंधु निःशुल्क कानूनी सेवाओं के साथ टेली-लॉ सेवाओं को मिलाया गया है, जिससे कानूनी सहायता तक नागरिकों की पहुंच को और बढ़ाया जा सकेगा। उन्होंने पूरे भारत में कानूनी सेवाओं तक लोगों की पहुंच को लोकतांत्रिक बनाने में इस उपलब्धि की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया। अपने मुख्य भाषण में श्री मेघवाल ने टेली-लॉ 2.0 के शुभारंभ का हिस्सा बनने पर प्रसन्नता व्यक्त की और इसे डिजिटल रूप से प्रदान की जाने वाली नागरिक-केंद्रित कानूनी सेवाओं (सीईसी) में एक नए युग की शुरुआत बताया। उन्होंने नागरिकों के जीवन में प्रौद्योगिकी की अपरिहार्य भूमिका का उल्लेख करते हुए न्याय वितरण को तकनीकी प्रगति से संबद्ध करने की ज़रूरत बताई। उन्होंने यह भी ज़िक्र किया कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में टेली-लॉ योजना के लाभार्थियों की संख्या 50 लाख तक पहुंच गई है। एकल पंजीकरण प्रक्रिया के माध्यम से कानूनी मार्गदर्शन, मदद और प्रतिनिधित्व का यह एकीकरण, डिजिटल रूप से साक्षर और सशक्त आबादी को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। श्री मेघवाल ने कानूनी पेशेवरों का आह्वान किया कि वे प्रो बोनो यानी नि:शुल्क सेवाओं में योगदान करें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी नागरिक ज़रूरी कानूनी सहायता से वंचित न रहे। कार्यक्रम के दौरान राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा लाभार्थियों की आवाज पुस्तिका के चौथे संस्करण का विमोचन किया गया। इस कार्यक्रम में राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा टेली-लॉ और न्याय बंधु प्रो बोनो कानूनी सेवाओं के बीच एकीकरण का औपचारिक अनावरण किया गया। इसके साथ ही टेली-लॉ की अब तक की यात्रा के बारे में बताने वाली एक शॉर्ट फिल्म और इस एकीकरण प्रक्रिया को दिखाने वाले ई-ट्यूटोरियल को भी प्रस्तुत किया गया। यह सहज मेल कानूनी सहायता चाहने वालों और प्रो बोनो अधिवक्ताओं के बीच सीधा संबंध स्थापित करने जा रहा है, जो एक ऐसे बदलते इकोसिस्टम को बढ़ावा देगा जो सभी नागरिकों के लिए सुलभ न्याय की गारंटी देता है।कार्यक्रम के दौरान, राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने उत्साहपूर्ण ढंग से कानूनी पेशेवरों से प्रो बोनो सेवाओं में योगदान करने का आह्वान किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी नागरिक आवश्यक कानूनी सहायता के बिना न रहे। उन्होंने प्रो-बोनो के दर्शन पर विस्तार से प्रकाश डाला और कानून के छात्रों और कानूनी बिरादरी से इस अवधारणा की जड़ों को समझने के लिए भारत की सांस्कृतिक विरासत में गहराई तक जाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “यह भारतीय ज्ञान परंपरा है कि मुसीबत में कोई भी व्यक्ति हो तो हम उसकी मदद करते हैं, यही प्रो बोनो है।” उन्होंने कहा, “दीये में भीगी बाती है और तेल है, अब टेली लॉ के माध्यम से चिंगारी आपको लगानी है। आंधी आएगी, बारिश आएगी, लेकिन ये बाती आपको जलानी है।” इस इकोसिस्टम में प्रत्येक हितधारक के अथक प्रयासों की अनिवार्यता का उल्लेख करते हुए उन्होंने न्याय विभाग से अपने लक्ष्यों को पार करने और पूरे भारत में न्याय तक सार्वभौमिक पहुंच के लिए प्रयास करने का आग्रह किया। कानून मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि करुणा और सकारात्मक इरादा प्रो-बोनो के मूल में होना चाहिए, क्योंकि भारत में प्रो-बोनो की संस्कृति को बढ़ावा देने में न्याय बंधु कार्यक्रम की सफलता के लिए यह बहुत ज़रूरी हैं। राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल विचारों और अंतर्दृष्टि के सीधे आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए ग्राम स्तरीय उद्यमियों (वीएलई), लाभार्थियों और पैनल वकीलों के साथ एक बातचीत सत्र में शामिल हुए। माननीय राज्य मंत्री ने कार्यक्रम के दौरान अग्रिम पंक्ति के पदाधिकारियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया और टेली-लॉ कार्यक्रम में प्रौद्योगिकी और नागरिकों के बीच अंतर को दूर करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। उन्होंने शीघ्र विवाद समाधान के महत्व और छोटे-मोटे विवादों को पूर्ण मुकदमेबाजी में बदलने से रोकने में पैरा लीगल वॉलंटियर और ग्राम-स्तरीय उद्यमियों की भूमिका को रेखांकित किया। इस कार्यक्रम में लाभार्थियों की आवाज़ (वॉयस ऑफ बेनिफिशियरीज़) का विमोचन भी हुआ, जिसमें उन व्यक्तियों के जीवन की कहानियां बताई गईं जिनके जीवन पर टेली-लॉ का सकारात्मक प्रभाव पड़ा था। श्री मेघवाल ने आगे टेली-लॉ को और अधिक मजबूत मंच के रूप में विकसित करने का आग्रह किया। उन्होंने घोषणा की कि टेली-लॉ सेवाओं को जल्द ही सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से सभी 2.65 लाख ग्राम पंचायतों तक बढ़ाया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि देश के सबसे दूरदराज के कोनों में भी न्याय तक पहुंच हो। टेली-लॉ कार्यक्रम का व्यापक लक्ष्य 2026 से पहले एक करोड़ लाभार्थियों के जीवन को छूना है। इस कार्यक्रम के दौरान, अपने संबोधन में न्याय विभाग के विशेष सचिव, श्री राजिंदर कुमार कश्यप ने इस बात पर बल दिया कि न्यायपालिका तक पहुंच का अधिकार ही हमारे समाज की आधारशिला है, और इसकी पहुंच का विस्तार करने में टेली-लॉ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो न्यायपालिका को अंतिम मील तक पहुंचाता है। अपने संबोधन में, न्याय सचिव श्री एस. के. जी. रहाटे ने संचार और सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से कानूनी सलाह देने में टेली-लॉ कार्यक्रम के अभिनव दृष्टिकोण का संक्षिप्त परिचय दिया। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में इस कार्यक्रम की उपलब्धियों के बारे में बताया, कि कैसे 1800 सीएससी केंद्रों से 2.5 लाख ग्राम पंचायतों तक इसका विस्तार उल्लेखनीय विकास को दर्शाता है, और इसका लक्ष्य 2026 तक 1 करोड़ लाभार्थियों को कानूनी सहायता प्रदान करना है। न्याय सचिव ने एक परिवर्तनकारी और रणनीतिक कदम के रूप में टेली-लॉ और न्याय बंधु प्रो बोनो कानूनी सेवाओं के एकीकरण की सराहना की। यह एकीकृत मार्ग सुनिश्चित करता है कि नागरिकों को कानूनी मार्गदर्शन और निःशुल्क प्रतिनिधित्व सरलतापूर्वक उपलब्ध हो। इस कार्यक्रम में न्याय सचिव श्री एस. के. जी. रहाटे; न्याय विभाग के विशेष सचिव श्री राजिंदर कुमार कश्यप; जेएस (ए2जे, डीओजे) श्री नीरज कुमार गयागी; और सीओओ, सीएससी श्री अक्षय कुमार झा ने मंच साझा किया।