सावित्री बाई फूले की याद में ‘भारतीय महिला शक्ति सम्मान-2024’ से नवाजी गई विभिन्न विधाओं में ख्यातिरत तीस महिलाएं
सी एम पपनैं
नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के सुअवसर पर सावित्री बाई फूले की याद में 11 मार्च को गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली में
सावित्री बाई सेवा फाउंडेशन पुणे, अंग जन गण और मेरा गांव मेरा देश फाउंडेशन द्वारा लेखक व कवि अतुल प्रभाकर की अध्यक्षता में देश के अनेक राज्यों से विभिन्न विधाओं में ख्यातिरत तीस महिलाओ को ‘भारतीय महिला शक्ति सम्मान-2024’ से नवाजा गया। लेखिका समाज सेविका डॉक्टर सविता चड्ढा का सार्वजनिक अभिनन्दन किया गया। उक्त प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित होने वालों में उत्तराखण्ड की सु-विख्यात शास्त्रीय गायिका मधु बेरिया साह व सुप्रसिद्ध साहित्यकारा डॉक्टर पुष्पा जोशी को भी उक्त राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया।
अयोजित सम्मान समारोह का श्रीगणेश मंचासीन सविता चड्ढा (साहित्यकार), स्वतंत्र पत्रकार बरखा लकड़ा, प्रसिद्ध पत्रकार अजीज सिद्दीकी, शिक्षाविद डॉ.बाबूलाल मीना व वरिष्ठ लेखक, पत्रकार व अध्यक्ष पर्वतीय कला केन्द्र दिल्ली चन्द्र मोहन पपनै के कर कमलों दीप प्रज्ज्वलित कर व उत्तराखंड की शास्त्रीय गायिका मधु बेरिया साह द्वारा प्रस्तुत कुमाउनी बोली-भाषा में मांगल गीत व वैष्णव जन को…प्रार्थना से शुभारंभ किया गया।
सावित्री बाई सेवा फाउंडेशन सचिव हेमलता म्हस्के, संस्था ‘अंग जन गण’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.सुधीर मंडल तथा मेरा गांव मेरा देश फाउंडेशन अध्यक्ष प्रसून लतांत द्वारा उपस्थित सभी मंचासीनों, सम्मानित होने वाली महिलाओं व सभागार में उपस्थित सभी प्रबुद्ध जनों का स्वागत अभिनंदन कर फाउंडेशन के क्रियाकलापो, भावी योजनाओं व फाउंडेशन को मिल रही सफ़लता के बावत अवगत कराया गया। अवगत कराया गया फाउंडेशन द्वारा उन प्रतिभावान महिलाओं का सम्मान किया जा रहा है जो वर्तमान में समाज की प्रेरणाशील बनी हुई हैं। अवगत कराया गया, सम्मानित हो रही महिलाओं के बल ही फाउंडेशन का भी उद्देश्य पूर्ण हो रहा है।
अवगत कराया गया, सावित्री बाई फुले की स्मृति में यह सम्मान इसलिए दिया जाता है, वे भारतीय महिलाओं के लिए एक उज्ज्वल आदर्श रही हैं। सावित्री बाई फुले द्वारा उस कालखंड में लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला गया था जब बालिकाओं को पढ़ाना पाप समझा जाता था। व्यक्त किया गया, अब महिलाएं पढ़ लिख कर आगे तरक्की की राह पर हैं, लेकिन बहुत से मामलों में महिलाओं के साथ भेदभाव बरता जाता है। आज समाज को बार-बार यह अहसास दिलाने की जरूरत है कि महिलाएं भी कम नहीं हैं, फाउंडेशन इसी पर निरंतर कार्य कर रहा है।
प्रतिष्ठित सम्मान समारोह के इस अवसर पर वरिष्ठ लेखिका व समाज सेविका डॉ.सविता चड्ढा का सार्वजनिक अभिनन्दन किया गया, सम्मान समारोह की अध्यक्षता कर रहे अतुल प्रभाकर के सानिध्य में प्रदान किए गए अभिनंदन पत्र को ज्योति मिश्रा द्वारा पढ़ कर सुनाया गया, तालियों की गड़गड़ाहट के मध्य सविता चड्ढा को आयोजक फाउंडेशन पदाधिकारियों द्वारा अतुल प्रभाकर के कर कमलों शाल ओढ़ा कर, पुष्प गुच्छ व सम्मान पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।
डॉ.सविता चड्ढा द्वारा प्रतिष्ठित सम्मान मिलने पर हर्ष व्यक्त कर कहा गया, यह सम्मान उनके लिए बडा सम्मान है, क्योंकि सम्मान के साथ जो नाम जुड़ा हुआ होता है वह महत्व रखता है। डॉ. सविता चड्ढा ने कहा, अहिल्या बाई व सावित्री बाई फुले ने जो कार्य किया प्रेरणा श्रोत रहा है। अतुल प्रभाकर के कर कमलों व अन्य मंचासीन प्रबुद्घ जनों के सानिध्य में सम्मान मिलना अच्छा लगा। जीवन में सुखद पलों का मिलना मूल्यवान होता है। आज मिले सम्मान से अच्छा पल मिला। संस्था के प्रति आभार व्यक्त कर सम्मानित लेखिका द्वारा अपने विचारों पर विराम लगाया गया।
आयोजन के इस अवसर पर हेमलता म्हस्के द्वारा रचित पुस्तक ‘सावित्रीबाई फातिमा शेख’ का लोकार्पण मंचासीन अतिथियों के कर कमलों किया गया।
प्रतिष्ठित सम्मान समारोह के इस अवसर पर मंचासीन विशिष्ठ अतिथियों द्वारा कहा गया, सावित्री बाई फुले ने जो कार्य किया प्रेरणादाई रहा है। उसी तर्ज पर महिलाओं की मानवीय गरिमा को उठाना है। बालिकाओं के लिए शिक्षा जरूरी है। शिक्षा से ही रोजगार मिलता है। महिलाओं की शिक्षा से सशक्तिकरण समाज का होगा। महिला की शक्ति के बावत महिला ही लिख सकती है। कालांतर से ही महिलाओं में धैर्य, साहस, वीरता इत्यादि का समावेश रहा है।
वक्ताओं द्वारा कहा गया, सबसे बडी आकाश गंगा की नाव है, जो मन से बनती है। अवमानना का दंश स्त्रियों को जोड़ता है, भाषा को जोड़ता है। आज कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां स्त्री न हो। उन पुरुषों की तारीफ करनी होगी जो महिलाओं को आगे बढ़ना देखना चाहते हैं। स्त्री जो भी हो, दूरदर्षिता दिखाऐ। महिलाओं को स्वरोजगार व रोजगार की ओर बढ़ना चाहिए। अगर महिला के पास धन बल है, तो वह पुरुषों के आगे याचक नहीं बनेगी।
विभिन्न विधाओं में ‘भारतीय महिला शक्ति सम्मान-2024’ से नवाजी गई महिलाओं में डॉ. सांत्वना श्रीकांत, कल्पना झा, रत्ना भदौरिया, मनग्रह, वसुधा कनुप्रिया और बाल कीर्ति तथा झारखंड से दीपिका तिर्की को शिक्षा, मध्य प्रदेश से मनीषा धुर्वे को शराबबंदी, नूतन पांडेय को पूर्वोत्तर साहित्य, गुजरात से शारदा बेन मगेरा को शिक्षा के लिए, बिहार से डॉ. स्वेता जोशी को शिक्षा, छत्तीसगढ़ से सिनीवाली गोयल को समाज कल्याण, उत्तर प्रदेश से डॉ. जूही बिरला को शिक्षा और दिल्ली से पुष्पा राय को समाज सेवा के लिए, दमयंती बेन गमेती को लोक गायन के लिए, अमेरिका से डॉ.अनीता कपूर को साहित्य के लिए, श्रीलंका से डी.एम.एस.मधुभाषिणी कुलसिंह (सुगंधि) को हिंदी साहित्य के लिए, उत्तराखंड से मधु बेरिया साह को लोक गायन के लिए, बिहार की प्रतिभा चौहान, मुंबई से संध्या यादव को साहित्य, उत्तराखंड से डॉ. पुष्पा जोशी को साहित्य व महिला सशक्तीकरण, पंजाब से स्मिता जिंदल को बाल शिक्षण और मध्य प्रदेश से मिलन धुर्वे को समाज सेवा, अमृता चौरसिया को पत्रकारिता, मीनू त्रिपाठी, मीनू मित्तल, स्मिता जिंदल, कल्पना झा, नेहा, अनीता तिवारी, नृमता कुमारी, नाजनीन अंसारी, पूनम जौहरी, डॉ. जावेद कल्याणी, प्रतिभा चौहान, नंदिनी जाधव, दिव्या गोयल, रत्ना भदौरिया, शांतवना श्रीकांत, दीपिका तृप्ति, मनीषा धुर्वे, वसुधा, तनुप्रिय, दमयंती, अनीता कपूर, वीना सक्सेना, डॉ. कल्पना पांडे, अंजू खरवंदा, शाखावन, नूतन पांडे, इत्यादि को नवाजा गया। सम्मान स्वरूप सम्मानित महिलाओं को अंगवस्त्र, पुष्पगुच्छ व सम्मान पत्र प्रदान किया गया।
सम्मान समारोह के इस अवसर पर सम्मानित हुई महिलाओं के सम्मान में सम्मान समारोह की अध्यक्षता कर रहे साहित्यकार अतुल प्रभाकर द्वारा व्यक्त किया गया, आज हाशिये खत्म होते जा रहे हैं। प्रत्येक महिला किसी भी प्रकार का जटिल से जटिल कार्य कर सकती है। महिला शक्ति बहु विधा में काम करती है। महिला जानती है, उसे कितना अपने आप को बांटना है, कितनी शक्ति लगानी है। हर महिला सिपाही की तरह हर मोर्चे पर खडी रहती है। चाहे वह घर की काम करने वाली हो या अंतरिक्ष में जाने वाली।
अतुल प्रभाकर द्वारा कहा गया, यह सम्मान औपचारिक सम्मान है। स्त्री को सदा सम्मान देना है। स्त्री में संतुलन बनाने की क्षमता है। प्रकृति को भी संतुलन चाहिए। संतुलन शक्ति पुरुष में नहीं, स्त्री में होती है। स्त्री के सहयोग से पुरूष संतुलन बनाता है। हमारी संस्कृति में स्त्री शक्ति को बहुत महत्व दिया गया है। स्त्री धन, शिक्षा की सरस्वती व शक्ति की काली के पीछे स्त्री रूप ही है। स्त्री शक्ति को पहचान लिया तो देश, समाज तरक्की करेगा। मन को मरने मत दीजिए, मन को रमने दीजिए। समर्पण नहीं देश के लिए समर्पित होना है। सभी सम्मानित महिलाओ को सम्मान प्राप्ति की बधाई व आयोजकों को सफल आयोजन की शुभकामना देने के साथ ही अतुल प्रभाकर द्धारा संबोधन समाप्त किया गया।
सावित्री बाई फूले फाउंडेशन सचिव हेमलता म्हस्के द्वारा सभी अतिथियों, वक्ताओ, सम्मानित महिलाओ व सभागार में बैठे सभी प्रबुद्ध जनों का आभार व्यक्त कर, दो सत्रों तक चले आयोजन समाप्ति की घोषणा की गई। राष्ट्रीय फलक पर ख्यातिरत सम्मान समारोह का मंच संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रसून लतांत द्वारा बखूबी प्रभावशाली अंदाज में किया गया।