कठिन दौर से गुजरती दुनिया में मजबूती से आगे बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था
(महाबीर सिंह से – वरिष्ठ पत्रकार)
चुनाव आयोग ने आम चुनावों का पूरा कार्यक्रम घोषित कर दिया है। कुल सात चरणों में – 19 अप्रैल से एक जून 2024 तक – मतदान होना है। चार जून 2024 को परिणाम आयेंगे। इसके साथ ही चार राज्यों में विधानसभा और कुछ अन्य राज्यों में खाली पड़ी विधानसभा सीटों पर उपचुनाव भी होगा। राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। इस सबके बीच हम बात कर रहे हैं कि देश की अर्थव्यवस्था की। वित वर्ष 2023-24 समाप्त होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं।
रूस और यूक्रेन के बीच दो साल से अधिक समय से लड़ाई जारी है। अमेरिका सहित पूरा यूरोप रूस के खिलाफ लामबंद है। कोई भी झुकने को तैयार नहीं है। हालांकि, पिछले दिनों भारत ने दोनों देशों (रूस – यूक्रेन) को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से चीजों को सुलझाने का एक बार फिर सुझाव दिया है। एक दिन पहले ही मास्को के क्राकस सिटी हाल में बड़ा आतंकी हमला हुआ है जिसमें कई लोगों के मारे जाने की खबर है। यह घटना मामले को और उल्झायेगी। वहीं, इस्ररायल-हमास भी लड़ाई में उलझे हुये हैं। इससे खाड़ी क्षेत्र में तनाव है। हमास के कब्जे में अभी भी बंधक हैं, इसलिये इस्ररायल, लड़ाई रोकने को तैयार नहीं है। शांति प्रयास आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।
दुनिया में इस तनावपूर्ण स्थिति के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती से आगे बढ़ रही है। सबसे पहले हम बात करते हैं सरकार की वित्तीय स्थिति की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के एक फरवरी 2024 को पेश अंतरिम बजट के मुताबिक 2023- 24 में कुल राजस्व प्राप्ति 30.03 लाख करोड़ रूपये रहने के संशोधित अनुमान हैं। इसमें कुल कर प्राप्ति (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) 23.24 लाख करोड़ रूपये रहने का अनुमान है। बहरहाल, प्रत्यक्ष कर प्राप्ति के ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 17 मार्च 2024 तक शुद्ध कर प्राप्ति 18,90,259 करोड़ रूपये रही है। यह राशि एक साल पहले की इसी तिथि के मुकाबले 20 प्रतिशत अधिक है। शुद्ध कर प्राप्ति से तात्पर्य यह है कि इस तिथि तक सरकार 3,36,808 करोड़ रूपये का रिफंड भुगतान कर चुकी है। रिफंड जारी होने के बाद यह शुद्ध कर प्राप्ति है। इसके अलावा अप्रत्यक्ष कर प्राप्ति से भी सरकार को अच्छा राजस्व मिल रहा है। अप्रत्यक्ष करों में माल एवं सेवा कर यानि जीएसटी, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क से होने वाली प्राप्ति प्रमुख तौर पर शामिल होती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष की पहली छमाही में अप्रत्यक्ष कर प्राप्ति 7.03 लाख करोड़ रूपये रही है। इसके अलावा अन्य राजस्व प्राप्तियां — जैसे कि कर्ज पर मिलने वाला ब्याज, सार्वजनिक उपक्रमों से लाभांश, केन्द्रीय मंत्रालयों और विभागों द्वारा जनता को दी जाने वाली सेवाओं से मिलने वाला राजस्व — आदि शामिल हैं। विनिवेश से मिलने वाली कुछ गैर-रिण पूंजी प्राप्तियां भी सरकार की प्राप्तियों में शामिल होती है। प्रत्यक्ष कर प्राप्ति के तो पूरे साल के आंकड़े करीब करीब मिल गये हैं जो कि 19 लाख करोड़ रूपये है, वित्त वर्ष की समाप्ति तक यह आंकड़ा कुछ और बढ़ सकता है। वहीं अप्रत्यक्ष कर से पूरे साल में 15.37 लाख करोड़ रूपये मिलने का बजट अनुमान है। अब देखते हैं अप्रत्यक्ष कर के आंकड़े कहां तक पहुंचते हैं। वैसे वर्ष 2023-24 की कुल राजस्व प्राप्ति 30.03 लाख करोड़ रूपये हासिल करना सरकार के लिये मुश्किल नहीं दिखाई देता है। जीएसटी प्राप्तियां लगातार बेहतर बनी हुई है। जीएसटी में केन्द्र सरकार का 50 प्रतिशत हिस्सा होता है। सरकार को अपनी कुल कर प्राप्ति में से 30 प्रतिशत से कुछ अधिक हिस्सा राज्यों को देना होगा। इस प्रकार गैर-कर राजस्व प्राप्तियों और अन्य प्राप्तियों को मिलाकर कुल राजस्व प्राप्ति 30.03 लाख करोड़ रूपये के संशोधित बजट अनुमान के अनुरूप आसानी से पहुंच जायेगी।
यह तो रही प्राप्तियों की बात, दूसरी तरफ चालू वित्त वर्ष में खर्च भी तय अनुमान से कुछ कम हुआ है। बजट में कुल व्यय 45 लाख करोड़ रहने का अनुमान था इसके समक्ष यह 10 से 12 हजार करोड़ रूपये कम रहने का अनुमान है। कुल मिलाकर सरकार के बजट की तस्वीर ठीक ठाक है और संशोधित अनुमान हासिल कर लिये जायेंगे, बल्कि उनमें और सुधार भी आ सकता है। उसका राजकोषीय घाटा, कुल प्राप्ति और कुल खर्च के बीच का अंतर है, जीडीपी का 5.8 प्रतिशत रहने का जो नया अनुमान है उसे हासिल कर लिया जायेगा।
अप्रैल से नया वित्त वर्ष 2024- 25 शुरू होने वाला है। सरकार ने एक फरवरी 2024 को अंतरिम बजट पेश किया। यह बजट 47.66 लाख करोड़ रूपये का है, पूंजीगत खर्च चालू वित्त वर्ष के 10 लाख करोड़ से बढ़कर 11.11 लाख करोड़ रूपये रहने का अनुमान है। वहीं, राजकोषीय घाटा 5.8 प्रतिशत से कम होकर 5.1 प्रतिशत रहने का बजट अनुमान है। जून में नई सरकार बनने के बाद जुलाई अंत तक फिर से बजट पेश होगा, उसमें इन आंकड़ों में कितना फेरबदल होता है यह तो समय बतायेगा लेकिन मोटे तौर पर इसमें ज्यादा बदलाव की उम्मीद नहीं लगती, क्योंकि जब तक यह बजट आयेगा तब तक वित्त वर्ष की पहली तिमाही समाप्त हो चुकी होगी। जहां तक प्रत्यक्ष कर की बात है उसमें स्लैब अथवा दर में कोई बदलाव नहीं किया गया। अप्रत्यक्ष कर की दर में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है।
केन्द्रीय वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक दोनों ही अगले वित्त वर्ष के दौरान देश की आर्थिक गतिविधियों को लेकर काफी सकारात्मक हैं। समाप्त हो रहे 2023-24 में आर्थिक वृद्धि 8 प्रतिशत अथवा इससे भी अधिक रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में जीडीपी वृद्धि आठ प्रतिशत से अधिक रही है, ऐसे में चैथी तिमाही में यह यदि आठ प्रतिशत के आसपास भी रहती है तो पूरे साल की वृद्धि आठ प्रतिशत रह सकती है। इससे पहले 2021-22 में जीडीपी वृद्धि 8.7 प्रतिशत रही। जो कि 2020-21 के कोरोना काल की 6.6 प्रतिशत की गिरावट के बाद हासिल की गई। वहीं 2022-23 में यह 7.0 प्रतिशत रही।
रिजर्व बैंक ने खाद्य पदार्थों की उंची कीमतों को लेकर चिंता जताई है तो वित्त मंत्रालय की मासिक रिपोर्ट में खाड़ी क्षेत्र के लाल सागर में उत्पन्न व्यवधान की वजह से कच्चे तेल के दाम बढ़ने की आशंका जताई गई है। हालांकि, मंत्रालय ने पिछले कुछ महीनों से महंगाई दर के स्थिर रहने और रोजगार के अवसरों में हो रही वृद्धि को देखते हुये अगले वित्त वर्ष में भी आर्थिक स्थिति बेहतर रहने की उम्मीद व्यक्त की है। उधर, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि विश्व व्यापार में अनिश्चितताओं के बावजूद भारत का कुल निर्यात कारोबार इस वित्त वर्ष में भी पिछले वर्ष के आसपास रहने की उम्मीद है। 2022-23 में देश से वस्तु एवं सेवाओं का कुल निर्यात 776.03 अरब डालर रहा था।
वहीं, गत 15 मार्च को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 6.40 अरब डालर बढ़कर 642.49 अरब डालर पर पहुंच गया। इससे पहले देश का विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर 2021 को अब तक के सर्वोच्च स्तर 645 अरब डालर तक पहुंच गया था। शेयर बाजारों में तेजी का रूख बना हुआ है। फेडरल रिजर्व की ब्याज दर में कटौती योजना से वैश्विक बाजारों में तेजी का रूख है। शुक्रवार 22 मार्च को बीएसई सेंसेक्स 190.78 अंक बढ़कर 72,831.94 अंक पर पहुंच गया वहीं निफ्टी 84.80 अंक बढ़कर 22,096.75 अंक के नये उच्चस्तर पर पहुंच गया। हालांकि, डालर में मजबूती के चलते डालर के मुकाबले रूपया 48 पैसे टूटकर अब तक के सबसे निचले स्तर 83.61 रूपये प्रति डालर पर बंद हुआ। दरों में कटौती की संभावना से डालर में मजबूती का रूख बना हुआ है।