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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर ‘पॉलिटिकल ट्रस्ट पत्रिका’ द्वारा आयोजित सेमिनार व त्रिशक्ति सम्मान-2024 सम्पन्न

 

सी एम पपनैं

 

नई दिल्ली। सु-प्रसिद्ध ‘पॉलिटिकल ट्रस्ट पत्रिका’ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के सुअवसर पर 8 मार्च को तीसरे भव्य सेमिनार एवं त्रिशक्ति सम्मान-2024′ का आयोजन प्रेस क्लब आफ इंडिया सभागार में मंचासीन अतिथियों मदन मोहन सती (मीडिया सलाहकार मुख्यमंत्री उत्तराखंड), पूरन चन्द्र नैलवाल (पूर्व दर्जा राज्यमंत्री उत्तराखंड), सी एम पपनैं वरिष्ठ पत्रकार व अध्यक्ष पर्वतीय कला केंद्र दिल्ली तथा अन्य प्रबुद्घ महिलाओं में प्रमुख रोशनी चमोली, कुमकुम झा, यशोदा घिल्डीयाल तथा संयोगिता ध्यानी की गरिमामय उपस्थित में आयोजित किया गया। आयोजन के इस अवसर पर दिल्ली में विभिन्न कार्यो व विधाओं के क्षेत्र में अग्रणी होकर नि:स्वार्थ भाव जनसेवा कर रही नौ प्रेरक महिलाओं को ‘त्रिशक्ति सम्मान-2024’ से मंचासीन अतिथियों के कर कमलों सम्मानित किया गया।

आयोजित सेमिनार व सम्मान समारोह का श्रीगणेश मंचासीन अतिथियों के साथ-साथ आयोजक ‘पॉलिटिकल ट्रस्ट पत्रिका’ मुख्य संपादक निम्मी ठाकुर व ‘अमर संदेश’ अखबार के मुख्य संपादक अमर चंद के कर कमलों दीप प्रज्ज्वलित कर व सुमित्रा किशोर द्वारा प्रस्तुत मांगल गीत के साथ किया गया।

आयोजक ‘पॉलिटिकल ट्रस्ट पत्रिका’ टीम सदस्यों द्वारा मंचासीन मुख्य व विशिष्ट अतिथियों को शाल ओढ़ा कर तथा पुष्प गुच्छ प्रदान कर स्वागत अभिनंदन किया गया। सभागार में उपस्थित अन्य सभी गणमान्य महिला अतिथियों, पत्रकारों व प्रबुद्धजनों का अभिनंदन, स्वागत कर अवगत कराया गया, विगत कई वर्षो से प्रकाशित उनकी पत्रिका द्वारा आयोजित यह तीसरा सेमिनार है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के सुअवसर पर आयोजित सेमिनार में सभी मंचासीन वक्ताओं के साथ-साथ उपस्थित पत्रकारों में प्रमुख श्रीकांत भारती, सुदीप ठाकुर तथा अन्य प्रबुद्ध महिलाओं में रिद्धि ठाकुर, प्रेमा धोनी, संतोष बलोनी इत्यादि इत्यादि द्वारा महिला सशक्तिकरण पर ज्ञानवर्धक व प्रभावशाली विचार व्यक्त किए गए। वक्ताओं द्वारा महिलाओं के सम्मान में कर्ण प्रिय गीत गाकर व कविता वाचन कर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस को यादगार बनाया गया।

महिलाओं के जीवन व उनके प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए वक्ताओं द्वारा कहा गया, संवेदनशीलता ही वह परमगुण है जो महिलाओं में जागरुकता का संचार करती है। मां से ही महिलाओं को जाना जा सकता है। समाज का पूरा निर्माण महिलाओं द्वारा किया गया है। महिलाएं ही समाज का निर्माण कर सकती हैं। महिलाओं में करुणा है, वेदना है, धीरज है, सहन शक्ति का गुण है। प्रत्येक समाज में महिलाओं का सम्मान जरूरी है। पुरुष के सहयोग से ही महिला का सशक्तीकरण होता है। एक दूसरे के सहयोग से ही काम चलता है, समाज का उद्धार होता है।

वक्ताओं द्वारा कहा गया, पुरानी बेड़ियों को तोड़ कर महिलाओं को सशक्त करना समय की मांग है। महिला अब अबला नहीं रहेगी। पहचान बनाना जरूरी है। जो महिलाएं प्रेरणादाई रही हैं, उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।

 

वक्ताओं द्वारा कहा गया, पूरे विश्व में ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ अलग-अलग तौर-तरीकों से मनाया जाता रहा है। यह एक ऐसा दिन बन गया है जिसमें हर समाज में राजनीति, अर्थव्यवस्था व अन्य अनेकों क्षेत्रों में महिलाओं की तरक्की का जश्न मनाया जाता है। आधी आबादी के तौर पर महिलाएं हमारे समाज-जीवन का मजबूत आधार रही हैं। महिलाओं के बिना इस दुनिया की कल्पना करना ही असंभव है। इस दुनिया को खूबसूरत बनाने में महिलाओं का सर्वाधिक योगदान रहा है। देश की अनेकों महिलाओं द्वारा महिला सशक्तिकरण का परिचय विभिन्न काल खंडो में विभिन्न क्षेत्रों में दिया गया है। नारी ने सृष्टि का विकास किया है। ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ महिलाओं के अधिकारों के लिए आंदोलन का प्रतीक स्वरूप है।

 

वकताओं द्वारा कहा गया, वैश्विक फलक पर ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ का औपचारिक मान्यता वर्ष 1975 से माना जाता है, जब संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस को मनाना शुरू किया था। इस दिवस को जोश-ओ-खरोश के साथ मनाने की कवायद के पीछे मुख्य उद्देश्य महिलाओं के लिए लैंगिंग समानता के लिए आवाज उठाना तथा महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करना रहा है। साथ ही विश्व के विभिन्न देशों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए इस दिन को महिलाओं के आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष में उत्सव के तौर पर भी देखा जाता रहा है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से 1996 में ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ को एक थीम के साथ मनाया गया था।

 

व्यक्त किया गया, देश की जटिल मेहनतकश व निडर नारी का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। कुछ वर्तमान में भी इतिहास रच रही हैं। ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ आरंभ होने के बाद समय-समय पर महिलाओं को अनेकों अधिकार प्राप्त होते रहे हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ जैसे कदम सरकार द्वारा संकल्प लेकर उठाए गए हैं। तभी आज बेटीयां बच रही हैं। जब बेटी बचेगी ही नही तो संसार कैसे बढेगा? महिलाएं आज खुद को बचा रही हैं। जन को शिक्षित भी कर रही हैं। सबको सशक्त बना रही हैं। आज बेटे-बेटियों को बराबर माना जा रहा है। महिलाओं के हित में लाया गया आरक्षण बिल महिलाओं को और अधिक सशक्त बनाएगा सोचा जा सकता है। महिलाएं विकृतियों से बचे। पश्चिमी सभ्यता नहीं, भारत की सभ्य संस्कृति का पालन कर महिलाएं सशक्त बनें।

 

वक्ताओं द्वारा व्यक्त किया गया, अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन कर नारी शक्ति को सम्मान देना न सिर्फ सार्थक कदम है, महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में नेक व परोपकारी कार्य भी है। देश की जागरूक महिलाएं, आज किसी क्षेत्र से अछूती न रहकर अपना परचम लहरा रहीं हैं। विभिन्न क्षेत्रों व विधाओं में कार्य करने वाली सभी महिलाएं जो आज सम्मानित हो रही हैं सम्मान की पात्र हैं, असली हकदार हैं।

 

वक्ताओं द्वारा ‘पॉलिटिकल ट्रस्ट’ पत्रिका मुख्य संपादक निम्मी ठाकुर, सहयोगी अमरचंद मुख्य संपादक अमर संदेश तथा उनके टीम सदस्यों द्वारा समय-समय पर प्रेरक विषयों पर वार्ताए व सेमिनार आयोजित कर जनजागरण करने की सोच की प्रशंसा की गई। कामना की गई भविष्य में भी उनकी टीम विकसित व सशक्त भारत हेतु प्रेरक विषयों पर आयोजन आयोजित कर, जनजागरण कर अपना दायित्व निभाते रहे।

विभिन्न कार्यों व विधाओं के क्षेत्र में विगत अनेक वर्षो से दिल्ली महानगर में अमिट छाप छोड़ ‘त्रिशक्ति सम्मान-2024’ से सम्मानित होने वाली प्रेरक महिलाओं में प्रेमा धोनी, रोशनी बिष्ट, इंदु, शशि नेगी, सकलानी, कांति रावत, कल्पना, मोनी झा व संतोष बडोनी इत्यादि को खचाखच भरे प्रेस क्लब आफ इंडिया सभागार में तालियों की गड़गड़ाहट के मध्य मंचासीन प्रबुद्घ अतिथि वक्ताओं के कर कमलों स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।

 

आयोजन के इस अवसर पर भारत सरकार में पदस्थ उच्च अधिकारी रविंद्र झा तथा एएनआई की महिला पत्रकार सुचित्रा को शाल ओढ़ा कर व पुष्प गुच्छ प्रदान कर सम्मानित किया गया। आयोजित भव्य सम्मान समारोह का प्रभावशाली मंच संचालन सुमित्रा किशोर द्वारा बखूबी किया गया।

 

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