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गांव से ग्लोबल तक’ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री धामी ने किया होम स्टे संचालकों से संवाद

Amar sandesh देहरादून।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए “मुख्य सेवक संवाद” कार्यक्रम की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य राज्य में संचालित विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से सीधा संवाद कर उनकी समस्याओं, सुझावों और अनुभवों को सुनना तथा इनसे प्रेरित होकर नीतिगत सुधारों को लागू करना है।

इस क्रम में आयोजित पहले संवाद कार्यक्रम “गांव से ग्लोबल तक: होम स्टे संवाद” में प्रदेश के कोने-कोने से आए होम स्टे संचालकों ने भाग लिया। मुख्यमंत्री ने गहरी संवेदनशीलता और गंभीरता के साथ संचालकों के विचार सुने और यह आश्वासन दिया कि उनके सुझाव भविष्य की नीतियों का आधार बनेंगे। यह संवाद महज एक औपचारिक बैठक नहीं, बल्कि जनसहभागिता आधारित शासन की एक प्रेरणादायक मिसाल बना।

मुख्यमंत्री ने कहा, “हर माह मुख्य सेवक सदन में इस तरह के संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि योजनाएं केवल कागज़ों पर नहीं, जमीनी सच्चाई के साथ आगे बढ़ें। यह मंच नीतियों और जन-आवश्यकताओं को जोड़ने की दिशा में एक सशक्त माध्यम बनेगा।”

होम स्टे योजना पर विशेष रूप से केंद्रित इस संवाद में संचालकों ने बताया कि कैसे यह योजना पर्वतीय और सीमांत क्षेत्रों में रोज़गार के नए अवसर लेकर आई है और स्थानीय समुदायों को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक सिद्ध हो रही है। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री की सक्रियता, स्पष्ट दृष्टि और ग्रामीण विकास के प्रति समर्पण ने इस योजना को एक क्रांतिकारी बदलाव में बदल दिया है।आज उत्तराखंड का होम स्टे मॉडल न केवल देश में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर भी अपनी विशिष्ट पहचान बना रहा है। ये होम स्टे अब अनुभव आधारित पर्यटन का आकर्षण बन चुके हैं, जहां पर्यटक स्थानीय संस्कृति, खानपान और जीवनशैली को निकट से अनुभव कर रहे हैं।

 

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री धामी ने यह भी स्पष्ट किया कि उत्तराखंड अब केवल पारंपरिक पर्यटन स्थलों तक सीमित नहीं, बल्कि हर गांव संभावनाओं से भरपूर है। “हमारा लक्ष्य उत्तराखंड को पर्यटन, महिला सशक्तिकरण, ग्राम विकास और सांस्कृतिक संरक्षण में देश का आदर्श राज्य बनाना है,” उन्होंने कहा।

“मुख्य सेवक संवाद” कार्यक्रम राज्य में पारदर्शिता, सहभागिता और उत्तरदायित्व आधारित शासन की दिशा में एक प्रभावशाली कदम है। मुख्यमंत्री की यह पहल यह सिद्ध करती है कि यदि नेतृत्व संवेदनशील, दूरदर्शी और प्रतिबद्ध हो, तो एक राज्य अपनी सीमाओं को पार कर वैश्विक पहचान हासिल कर सकता है।

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