गरीबों के दर्द की बन गए है दवा, वी. थिलई कुमार
संवाददाता अर्जुन सिंह। तमिलनाडु के नामक्कल जिले मे एक छोटे से गाँव वेलूर है।इस गाँव के रहने वाले प्रोफेसर डॉ वेलियांगिरी और श्रीमती आवै का बड़े बेटे डॉ वी. थिलई कुमार हैं, के पिता का दो साल पहले देहांत हो गया। अब थिलई कुमार ने अपने मां के साथ, अपने पारिवारिक और सामाजिक जीवन के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया है। थिलई कुमार बचपन से ही समाज मे कुछ कर गुजरने का जज्बा लिए, क्रिकेट और फुटबाल मे एक अच्छे खिलाड़ी के तौर पर प्रदेश में अपनी पहचान बनाई। साथ ही मद्रास हाई कोर्ट मे एक उत्कृष्ट अधिवक्ता के तौर पर जाने जाने लगे। वह वकालत के साथ साथ, उन्होंने समाज के वंचित और गरीबों को निशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध करवाना का कार्य किया। अपने इस सेवा भाव के लिए वह पूरे तमिलनाडु मे जाने जाते है। थिलई कुमार की सेवा भाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि वे अबतक 32 बार रक्तदान, और लगभग 200 लोगों से नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए नेत्रदान करवा चुके है। इसके साथ ही वह गरीबों को भोजन, शिक्षा और खेल कूद इत्यादि के क्षेत्र मे, हमेशा मदद करने में आगे रहते है। अगर सरकारी अस्पताल मे किसी अनाथ शव की खबर उनके संज्ञान में आई, तो वे बिना किसी भेदभाव के अपने निजी खर्चे से उसका अंतिम संस्कार करवाने से पीछे नहीं हटे। पर्यावरण के क्षेत्र मे भी उनकी सराहनीय पहल देखने को मिलती है, वे लंबे समय से अपने जन्म दिवस पर सैकड़ो की संख्या वृक्षारोपण करते रहे है। अमूमन समाजसेवा का ऐसा जुनून सहज रूप से देखने को कम दिखने को मिलता है। प्राकृतिक आपदा में उनके प्रयास सराहनीय रहे है। वी. थिलई कुमार जरूरतमंदों के सहायता के लिए हमेशा उपलब्ध देखे गए है। कारगिल युद्ध के दौरान इनके द्वारा लाखों रुपये सरकार के खजाने में दान दान किए गए। फिर चाहे गुजरात भूकंप के दौरान 31 लाख मित्रों के सहयोग से एकठ्ठा कर, भूकंप पीड़ितों के सहयोग के लिए दिया हो। या जो युवा सेना में जाकर देश की सेवा का भाव रखते है, ऐसे युवाओ के लिए वी. थिलई कुमार ने बीस साल पहले, मद्रास के डी.जी.पी.सी. शैलेन्द्र बाबू के नाम से, स्पोर्ट्स अकादमी की शुरुआत की हो। जिसमे आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निशुल्क रोटी कपड़ा और स्थान के साथ उनकी कोचिंग उपलब्ध करवाकर उन्हे सैन्य सेवा मे भेजने का काम हो। बताया जाता है कि, इनकी अकेडमी के बदौलत हजारों युवा आज पूरे तमिलनाडु मे सब इंस्पेक्टर, कांस्टेबल बने है। थिलई कुमार के इस पहल की बदौलत, कई युवा आज आरपीएफ, सीआरपीएफ, बीएसएफ, एनडीआरएफ आदि माध्यमों से देश में सेवाएं दे रहे है। थिलाई के इन्ही जज़्बों को देखते हुए इन्हे तमिलनाडु के बेस्ट यूथ, फुटबॉल मे बेस्ट खिलाड़ी, बेस्ट क्रिकेट प्लेयर, एनसीसी मे बेस्ट कैडर से नवाजा भी गया है। समाजसेवा के प्रति इनके समर्पण भाव को देखते हुए, डॉ. एम जी आर, डॉ. जयललिता, इंदिरा गांधी जैसे व्यक्तियों द्वारा सम्मान देकर सम्मानित किया गया। तो वही भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ऐ. पी. जे. अब्दुल कलाम, वेकेन्ट रमन, तमिलनाडु के गवर्नर रोसैया जैसे विभूतियों द्वारा भी, सम्मानित किया गया। वी. थिलाई कुमार का मानना है, की नर सेवा ही नारायण सेवा, इसलिए वे 24 घंटे समाज सेवा के लिए तैयार नजर आते है। उनका मानना है, कि भविष्य में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कार्य करना चाहते है। जिनका साथ देने वाले कम ही व्यक्ति देखने को मिलते है। वे वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक आश्रम की व्यवस्था जल्द से जल्द करने की योजना बना रहे है। इसकी शुरुआत उन्होंने अपनी मां की सेवा द्वारा की है। वे अपनी मां का विशेष ध्यान रखते है। और मानते है कि सभी वृद्ध उनके माता पिता के समान है।