उत्तराखण्ड सरकार द्वारा गठित समान नागरिक संहिता विशेषज्ञ समिति द्वारा दिल्ली मे जनसंवाद कार्यक्रम का सफल आयोजन
सी एम पपनैं
नई दिल्ली। उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति अध्यक्षा रंजना प्रकाश देसाई (सेवानिवृत्त न्यायाधीश) तथा अन्य सदस्यगणो मे प्रमुख प्रमोद कोहली (सेवानिवृत्त न्यायाधीश), शत्रुघन सिंह (आईएएस सेवानिवृत्त), सुरेखा डंगवाल, (कुलपति दून विश्वविद्यालय), मनु गौड (सामाजिक कार्यकर्ता) तथा अजय मिश्रा (सचिव) की उपस्थिति में 14 जून को कांस्टीट्यूशन क्लब नई दिल्ली मे उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता के परीक्षण एवं क्रियान्वयन हेतु उत्तराखण्ड एनसीआर मे प्रवासरत प्रबुद्ध प्रवासियो, समाजसेवियों एवं पत्रकारों की बडी संख्या मे प्रभावशाली उपस्थिति के मध्य जनसंवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जनसंवाद कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए समिति सचिव अजय मिश्रा द्वारा आयोजित कार्यक्रम की रूप रेखा से अवगत कराया गया व सूचित किया गया सम्बंधित विषय पर कोई भी अपने विचार व्यक्त कर सुझाव दे सकता है।
समिति सदस्य मनु गौड द्वारा व्यक्तिगत कानूनों में सुधार हेतु विस्तारपूर्वक अवगत कराया गया। व्यक्त किया गया उक्त विषय पर उत्तराखंड के जनमानस से सुझाव लेने के लिए पहली बार इतने बडे पब्लिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। अवगत कराया गया जितना जनमानस उत्तराखंड राज्य में स्थायी रूप से निवासरत है उतने ही लोग उत्तराखंड के बाहर प्रवासरत हैं। सभी की राय व सुझाव इस महत्वपूर्ण विषय पर जरूरी हैं। इसीलिए गठित समिति की चाहत पर उत्तराखंड से बाहर दिल्ली में जनसंवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
मनु गौड द्वारा अवगत कराया गया, जनमानस से लिखित सुझाव ईमेल, वेबसाइड, बाई पोस्ट इत्यादि द्वारा गठित समिति के देहरादून कार्यालय में जमा करने का आग्रह किया गया था। आठ से दस फीसद उत्तराखंड के परिवारो ने इस जनसंवाद मे भाग लिया। 23 हजार लोगों द्वारा ईमेल से, 35 हजार द्वारा डाक से, 61 हजार द्वारा वेबसाइड व एक लाख बारह हजार लोगों द्वारा बाई हैंड लिखित सुझाव दिए गए। समिति प्राप्त इन सुझावो का गहन अध्धयन करेगी। समिति द्वारा जनमानस से अधिक से अधिक सुझाव चाहने हेतु समय सीमा भी बढाई गई है।
अवगत कराया गया, 1 अक्टुबर 2022 से जनसंवाद कार्यक्रम हेतु उत्तराखंड के दूरदराज व सीमांत क्षेत्रों मे समिति सदस्य गए। सीमांत गांव मांणा से जनसंवाद कार्यक्रम शुरू किया। नाभीडांग, चकराता, खटीमा इत्यादि इत्यादि के साथ-साथ धार्मिक महत्वपूर्ण स्थलो पर भी समिति सदस्य गए। धार्मिक गुरुओ से जानकारी ली गई। विशेषज्ञ समिति द्वारा अभी तक कुल 51 बैठकै राज्य के 13 जनपदों के 37 जिला स्तरीय स्तर पर तथा दो अति प्रभावशाली जनसंवाद कार्यक्रम नैनीताल व देहरादून में आयोजित किये जा चुके थे। करीब 2 लाख से अधिक सुझाव आयोजित आयोजनों व कार्यक्रमो से प्राप्त हो चुके थे। राज्य में गठित विभिन्न आयोगों से भी समिति विचार विमर्श करेगी। 2022 मे राज्य विधानसभा चुनाव में प्रतिभाग करने वाले दस राजनैतिक दलों से सम्पर्क किया गया। सात दलो द्वारा सुझाव दिए गए। राष्ट्रीय विधि आयोग द्वारा भी समिति से चर्चा की गई। अवगत कराया गया, समान नागरिक संहिता मे बहुत से ऐतिहासिक महत्व के पहलू हैं।
समिति सदस्य प्रो. सुरेखा डंगवाल द्वारा व्यक्त किया गया समिति द्वारा जो बैठकै आयोजित की गई, लोगों ने जो विचार व्यक्त किए, सुझाव दिए ज्ञानवर्धक थे। उक्त विचारो व सुझाओ से बहुत कुछ सीखने को मिला। मूल अधिकारों व निवास की बात, भूतिया गांवो, सीमांत के बुजुर्गो के अनुभव, जनजातीय इलाको के खूबसूरत संस्कार इत्यादि के बावत गहन जानकारी मिली। जो भी गठित समिति सुझाव देगी, कानून बनेगा, यह सब भविष्य की पीढी के उत्थान के लिए हो रहा है। व्यक्त किया गया, लीविंग रिलेशनशिप पर लोगों की राय महत्वपूर्ण है, इस बावत क्या कानून बनेगा, समिति सोच समझ कर सिफारिश देगी।
व्यक्त किया गया, महिलाओ को आगे बढ़ाना, प्रोत्साहन देना उत्तराखंड की संस्कृति रही है। जो भी आंदोलन हुए मां-बहनो की महत्वपूर्ण भूमिका बनी रही। सोच-समझ समिति अपनी सिफारिश देगी। जो उपयोगी होगा सुझाव मे समाहित करैगे।
गठित समिति अध्यक्षा रंजना प्रकाश देसाई द्वारा मीडिया कर्मियो को मुख्य वक्तव्य देते हुए व्यक्त किया गया, सुप्रीम कोर्ट की चाहत है समिति अपनी सिफारिश जल्द सम्मिट करे। हमारी भी चाहत है वह कानून बने जो सबको स्वीकार्य हो। असमानता दूर करने का प्रयास होगा। महिलाओ, बच्चों व विकलांगों को इस सिफारिश के बाद बने कानून से लाभ होगा। बडे स्तर पर जनमानस ने समिति को सुझाव भेजे हैं। राजनैतिक दलों ने भी। जो सिफारिश समिति देगी आशा है सबको स्वीकार्य होगी।
समिति सदस्य शत्रुघन सिंह द्वारा समान नागरिक संहिता विषय वस्तु के बावत संक्षिप्त तौर पर विचार व्यक्त किए गए। ऐतिहासिक परिपेक्ष पर विभिन्न स्थानों पर आयोजित चर्चाओ मे निकले निष्कर्ष पर तथा विवाह, तलाक़, गोद लेना, रखरखाव, जायजाद इत्यादि पर बने सभी कानूनों का अद्धयन करने के बाद खामियों को दूर करने के प्रयास के बावत अवगत कराया गया। व्यक्त किया, समिति अपनी सिफारिश देने से पूर्व लोगों के विचार जानना चाहती है।
कांस्टीट्यूशन क्लब मे उपस्थित प्रबुद्ध प्रवासीजनो, समाज सेवियो व पत्रकारो द्वारा समिति द्वारा आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम के विषय पर मांगे गए सुझावों मे, लड़के लड़कियों की विवाह की न्यूनतम आयु, आपसी समाज के लोगों के मध्य विवाह की अनिवार्यता, बहु पत्नी व बहु पति विवाह, विवाह पंजीकरण की अनिवार्यता, जायदाद, गोद व्यवस्था, मृतक सैनिको की पत्नियों द्वारा आर्थिक लाभ लेकर सास-ससुर को त्याग दूसरा विवाह, लिविंग रिलेशनशिप, आबादी नियंत्रण कानून इत्यादि चर्चित विषयों पर हरीश लखेडा, प्रोफेसर कविता, अनुराधा वर्थवाल, निधि अरोडा सिंह, चंदन सिंह गुसाई, प्रोफेसर मुकेश जोशी, अजय सिंह बिष्ट, सतीश चंद्र भट्ट, भुवन चंद्र जोशी, शोभना जैन, चंद्र मोहन पपनैं, राजेश्वर पैन्युली, सुबोध रावत, सी पी पोखरियाल, रतन सिंह रावत, बी एस बिष्ट, गोपाल उप्रेती, सुनील चमोला, सुशील बुड़ाकोटी, पी आर आर्या, केशव भट्ट इत्यादि इत्यादि द्वारा बेबाक महत्वपूर्ण विचार व्यक्त कर सुझाव दर्ज कराऐ गए।
उक्त वक्ताओ द्वारा सुझावो मे व्यक्त किया गया, लीविंग रिलेशन मे रहने के लिए कुछ कानून बनने चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है। दो बच्चों का कानून बनाया जाए। बच्चे शादी के बाद देश-विदेश कही भी पलायन करे बुजुर्ग माता-पिता का ध्यान रखे। उत्तराखंड के लोग कही भी रहैं, मूल निवास प्रमाण पत्र उत्तराखंड अंकित हो। उत्तराखंड के लोगों के हितों को सुरक्षित रखना होगा। महिलाओ की संख्या कम हो रही है, बहु पति व बहु पत्नी प्रथा समाप्त होनी चाहिए। भौगोलिक रचना (चकबंदी) का भी ख्याल रखा जाए जिससे विभक्त हो रहे परिवारों मे भूमि वितरण ठीक रहेगा। जो भी सुझाव समिति दे, कानून बने, सभी वर्गो को स्वीकार्य हों।
उत्तराखण्ड देश का पहला ऐसा राज्य है जो समान नागरिक संहिता का लागू करने के लिए प्रतिबद्ध होकर कार्य कर रहा है। अभी तक लगभग राज्य में समान नागरिक संहिता के सभी हितधारकों से गठित समिति द्वारा चर्चा की जा चुकी है। विचार विमर्श कर बहुमूल्य सुझाव प्राप्त किये जा चुके हैं। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा गठित समान नागरिक संहिता विशेषज्ञ समिति द्वारा जनसंवाद कार्यक्रमो के आयोजनों के द्वारा विभिन्न समुदायों के लिए लागू अलग-अलग कानूनों को जो आज के दौर में असंगत लगते हैं को व्यवस्थित करने का समझदारी युक्त व दूरदर्शी सोच कही जा सकती है, यह सब दिल्ली में आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम को देख-परक सिद्ध भी हो रहा था।
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