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‘हम आने वाली पीढि़यों के लिए बेशकीमती जीवनरेखा का संरक्षण करने के लिए प्रतिबद्ध : शेखावत

केन्‍द्रीय जल शक्ति मंत्री  गजेन्‍द्र सिंह शेखावत ने ‘भारत के लिए पर्यावरणीय प्रवाह का आकलन एवं कार्यान्‍वयन’ विषय पर नई दिल्‍ली में आयोजित अंतर्राष्‍ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने भारत-जर्मन सहयोग से अपनी परियोजना ‘गंगा संरक्षण के लिए समर्थन (एसजीआर)’ के जरिए भारतीय, यूरोपीय और अंतर्राष्‍ट्रीय अनुभवों के आदान-प्रदान को एक-दूसरे से जोड़ा। केन्‍द्रीय जल शक्ति मंत्री ने इसके साथ ही भारत में पर्यावरणीय प्रवाह के आकलन पर मार्ग निर्देशन दस्‍तावेज के प्रथम संस्‍करण का औपचारिक रूप से विमोचन भी किया। इस कार्यशाला में विचार-विमर्श के साथ-साथ भावी अनुसंधान कार्य से भविष्‍य में इस ई-फ्लो (पर्यावरणीय प्रवाह) मार्ग-निर्देशन दस्‍तावेज के उन्‍नत संस्‍करण को प्रस्‍तुत करने में मदद मिलेगी।

विश्‍व भर में यह पहले से ही स्‍वीकार किया जाता रहा है कि आबादी बढ़ने और तेजी से शहरीकरण एवं औद्योगीकरण होने के कारण जल की मांग बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही पूरी दुनिया में यह भी पहले से ही स्‍वीकार किया जाता रहा है कि नदियां महत्‍वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन हैं और इसके साथ ही ये मानव की खुशहाली के लिए भी अत्‍यंत आवश्‍यक हैं। उदाहरण के लिए, गंगा नदी तरह-तरह के घरेलू, कृषि, औद्योगिक और विद्युत उत्‍पादन उपयोगों में काम आकर 400 मिलियन से भी अधिक लोगों की आबादी की जरूरतों को पूरा करती है। यही नहीं, गंगा नदी मनोरंजन, आजीविका और आध्‍यात्मिक कार्यों में भी लोगों की आवश्‍यकताओं को पूरा करती है।

गंगा नदी एक अनूठा परिवेश सुलभ कराती है जिसमें भारत के राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन के साथ-साथ घड़ियाल, कछुए और कई पक्षी तथा अन्य जंगली जानवर भी वास करते हैं। अन्‍य नदियां जैसे कि गोदावरी, कृष्‍णा, महानदी इत्‍यादि की भी विशेष अहमियत है जो हमारे लिए पारिस्थितिकी सेवाओं के अहम स्रोत हैं। अत: इसे ध्‍यान में रखते हुए जल का सतत एवं समान उपयोग सुनिश्चित करने के लिए हमें इन सभी का संरक्षण करने की जरूरत है।

गजेन्‍द्र सिंह शेखावत ने वर्तमान परिदृश्‍य को ध्‍यान में रखते हुए कहा, ‘हम आने वाली पीढि़यों के लिए इन बेशकीमती जीवनरेखा (लाइफलाइन) का संरक्षण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने मां गंगे के प्रति अपनी श्रद्धा के लिए अविरल और निर्मल धारा का चिन्‍हि‍त लक्ष्‍य तय किया है।’ उन्‍होंने यह भी कहा, ‘नदियों में पर्यावरणीय प्रवाह को बनाए रखना न केवल देश, बल्कि पूरी दुनिया के लिए अत्‍यंत आवश्‍यक है क्‍योंकि जल ने एक वैश्विक चुनौती का रूप धारण कर लिया है। हमें इस वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए एकजुट होना होगा और इसके साथ ही मिल-जुलकर ठोस कदम उठाने होंगे।’

श्री शेखावत ने कहा, ‘हम नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा के अविरल प्रवाह को बनाए रखने को लेकर अत्‍यंत गंभीर हैं। पिछले वर्ष हमने उस न्‍यूनतम नदी प्रवाह को स्‍वीकार किया था जिसे निरंतर बनाए रखना है। इसके साथ ही हमने इसे अधिसूचित भी कर दिया था। हमने इसके कार्यान्‍वयन के लिए भी समुचित निगरानी शुरू कर दी है।’

एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने कहा, ‘हमने इस दिशा में शुरुआत कर दी है, लेकिन हमें उन देशों से बहुत कुछ सीखना होगा जहां समय के साथ यह काफी वि‍कसित हो चुका है।’ अंतर्राष्‍ट्रीय कार्यशाला का उद्देश्‍य निम्‍नलिखित प्रश्‍नों का जवाब देते हुए भारत में ई-फ्लो के कार्यान्‍वयन में सहयोग देना है।

भारत में जल क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से यूरोपीय संघ (ईयू) ने भारत-ईयू जल साझेदारी (आईईडब्‍ल्‍यूपी) के जरिए और अपनी परियोजना ‘गंगा संरक्षण के लिए समर्थन (एसजीआर)’ के जरिए भारत-जर्मन सहयोग ने विभिन्‍न हितधारकों जैसे कि सरकारी संस्‍थान, व्‍यवसायियों और सिविल सोसायटी को एकजुट किया है। वर्तमान में आईईडब्‍ल्‍यूपी कार्य योजना के तहत ‘भारत में पर्यावरणीय प्रवाह के आकलन’ विषय पर एक मार्ग-निर्देशन दस्‍तावेज तैयार किया जा रहा है। कार्यशाला के दौरान जल शक्ति मंत्री ने संबंधित मसौदा संस्‍करण जारी किया।

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