Amar chand नई दिल्ली। देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद यानी उपराष्ट्रपति के चुनाव को लेकर अब तस्वीर साफ होने की ओर बढ़ रही है। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन की ओर से उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनाने के लिए आज17 अगस्त की शाम भाजपा संसदीय बोर्ड की अहम बैठक बुलाई गई है। माना जा रहा है कि इस बैठक में उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर अंतिम मुहर लग जाएगी।
भाजपा की रणनीति साफ है कि वह ऐसा चेहरा सामने लाए, जो संगठन, विचारधारा और प्रशासन—तीनों में संतुलन बनाने में सक्षम हो। 15 अगस्त को भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के आवास पर हुई बैठक में भी वरिष्ठ नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के साथ इस मुद्दे पर गहन चर्चा हुई थी।
जहाँ कांग्रेस गठबंधन अपने संभावित उम्मीदवार को लेकर मंथन में जुटा है, वहीं भाजपा गठबंधन ने यह संकेत दिए हैं कि उम्मीदवार का नाम सहयोगियों की सहमति से ही तय होगा। सूत्रों का कहना है कि भाजपा अपने मौजूदा राज्यपालों या वरिष्ठ विचारकों में से किसी को उम्मीदवार बना सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स और राजनीतिक हलकों में जिन नामों की चर्चा सबसे अधिक है, वे इस प्रकार हैं—थावरचंद गहलोत, कर्नाटक के राज्यपाल, संगठन और प्रशासन दोनों में गहरी पकड़ है।वी.के. सक्सेना दिल्ली के उपराज्यपाल, प्रशासनिक सख्ती और कार्यशैली के लिए जाने जाते हैंओम माथुर सिक्किम के राज्यपाल, भाजपा संगठन से लंबे समय से जुड़े।
मनोज सिन्हा जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री और जमीनी नेता
हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा के मौजूदा उपसभापति, संसदीय अनुभव और सहयोगी दलों में स्वीकृति
सूत्रों के अनुसार, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत इस दौड़ में सबसे आगे बताए जा रहे हैं।उनका संगठनात्मक अनुभव भाजपा के लिए बड़ी पूँजी है।वे सरकार और प्रशासन दोनों की गहरी समझ रखते हैं।कार्यकर्ताओं और सहयोगी दलों के बीच उनका सरल और सहज व्यक्तित्व स्वीकार्य माना जाता है।
अंतिम फैसला अब कुछ ही घंटों में
एनडीए की बैठक के बाद यह तय हो जाएगा कि उपराष्ट्रपति चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन किस नाम को आगे करेगा। कांग्रेस गठबंधन भी अपने पत्ते खोलने की तैयारी में है। आने वाले कुछ घंटे भारतीय राजनीति के लिए बेहद अहम साबित हो सकते हैं।