सरकार का क्रांतिकारी कदम — अब सिर्फ एक दिन में मिल सकेगा ऋण*
Amar sandesh नई दिल्ली, 28 जुलाई ।भारत सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को वित्तीय सहायता प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने आज लोकसभा में जानकारी दी कि केंद्रीय बजट 2024-25 में घोषित डिजिटल क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल को लागू करते हुए 6 मार्च 2025 को वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा इसका शुभारंभ किया गया था।
यह नया मॉडल भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को डिजिटल डेटा के आधार पर एमएसएमई को ऋण प्रदान करने के लिए सक्षम बनाता है, जिससे पारंपरिक कागजी और मैनुअल प्रक्रिया की आवश्यकता समाप्त हो गई है।
इस मॉडल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह डिजिटल रूप से उपलब्ध और सत्यापन योग्य डेटा के माध्यम से ऋण प्रक्रिया को पूरी तरह स्वचालित और पारदर्शी बनाता है। अब ऋण स्वीकृति सिर्फ एक दिन में संभव है।
इस प्रक्रिया में निम्नलिखित डिजिटल स्रोतों का उपयोग किया जा रहा है:
पैन प्रमाणीकरण: एनएसडीएल के माध्यम से,मोबाइल व ईमेल सत्यापन: ओटीपी आधारित
जीएसटी डेटा प्राप्ति: एपीआई के माध्यम से
बैंक स्टेटमेंट विश्लेषण: अकाउंट एग्रीगेटर नेटवर्क के ज़रिए
आईटीआर सत्यापन: आयकर विभाग की वेबसाइट से
क्रेडिट स्कोरिंग: वाणिज्यिक व उपभोक्ता क्रेडिट ब्यूरो की मदद से
फ्रॉड डिटेक्शन: उन्नत एपीआई के ज़रिए
पारंपरिक प्रक्रिया से डिजिटल प्रक्रिया की ओर बदलाव
पूर्व में ऋण के लिए बैंकों में भौतिक दस्तावेज प्रस्तुत करने पड़ते थे, प्रक्रिया धीमी और जटिल थी। परंतु अब, डिजिटल मॉडल के तहत ऋण अनुरोध से लेकर मूल्यांकन तक की पूरी यात्रा ऑनलाइन हो गई है, जिससे न केवल प्रक्रिया तेज हुई है, बल्कि बैंकिंग निर्णय भी अधिक निष्पक्ष और डेटा आधारित हो गए हैं।
छोटे उद्योगों को होगा सीधा लाभ,कहीं से भी ऋण के लिए आवेदन की सुविधा
दस्तावेजों की मैनुअल जांच की आवश्यकता समाप्त
तुरंत ई-स्वीकृति और डिजिटल मोड में ऋण वितरण
टर्नअराउंड टाइम (TAT) में भारी गिरावट,धोखाधड़ी की संभावनाएं कम
ऋण निर्णय उधारकर्ता के व्यवहार और क्रेडिट हिस्ट्री पर आधारित
वित्त राज्य मंत्री के अनुसार, 1 अप्रैल से 15 जुलाई 2025 के बीच 98,995 एमएसएमई ऋण आवेदन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा इस डिजिटल मॉडल के तहत मंजूर किए जा चुके हैं। यह स्पष्ट करता है कि डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से क्रियान्वित हो चुकी है और देशभर के छोटे उद्यमियों को इसका सीधा लाभ मिल रहा है।
यह मॉडल बैंकों के बिज़नेस रूल इंजन (BRE) के माध्यम से बैंक की ऋण जोखिम नीति के अनुरूप सभी जोखिमों का मूल्यांकन करता है। साथ ही, इसमें सिस्टम-जनरेटेड क्रेडिट लॉजिक और स्कोरकार्ड का उपयोग किया जाता है, जिससे निर्णय प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी, निष्पक्ष और तेज हो जाती है।
डिजिटल इंडिया की दिशा में यह एक और मील का पत्थर है। अब छोटे व्यवसायी बिना बैंक की लंबी कतारों में खड़े हुए, केवल मोबाइल या कंप्यूटर के माध्यम से कुछ ही मिनटों में ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं और एक दिन के भीतर ऋण स्वीकृति प्राप्त कर सकते हैं।
भारत सरकार का यह कदम एमएसएमई क्षेत्र को मजबूती देने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को भी साकार करेगा।