गढ़वाल हितैषिणी सभा गौरवमयी शताब्दी वर्ष का समापन ऐतिहासिक व भव्य होगा
सी एम पपनैं
नई दिल्ली। उत्तराखंड के प्रवासियों की प्रतिष्ठित सामाजिक संस्था ‘गढ़वाल हितैषिणी सभा’
29 अक्टूबर रविवार व माह नवम्बर 25 तारीख शनिवार के दिन गौरवमयी शताब्दी वर्ष के अंतिम चरण के भव्य कार्यक्रमो का आयोजन कर सभा के सौ वर्षो (1923-2023) की ऐतिहासिक यात्रा का इतिहास रचने जा रही है।
गढ़वाल हितैषिणी सभा पदाधिकारियों महासचिव मंगल सिंह नेगी, कोषाध्यक्ष गुलाब सिंह जयाडा तथा अनिल पंत व संयोगिता ध्यानी की उपस्थिति मे सभा अध्यक्ष अजय सिंह बिष्ट द्वारा 27 अक्टूबर को गढ़वाल भवन मे आयोजित प्रेस वार्ता मे अवगत कराया गया, 29 अक्टूबर रविवार को प्रात: 10.30 बजे दीप प्रज्ज्वलन व गणेश वंदना से सभा मुख्यालय ‘गढ़वाल भवन’ मे शताब्दी वर्ष समापन कार्यक्रमो का शुभारंभ किया जायेगा। सांय तक आयोजित होने वाले कार्यक्रमो मे उत्तराखंडी पारंपरिक परिधान एवं आभूषण प्रतियोगिता, उत्तराखंडी व्यंजन प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सभा की 100 वर्ष पर बनी डाॅक्युमैंटरी का लोकार्पण तथा वरिष्ठ सदस्य एवं सौभाग्यवती सम्मान प्रदान किए जायैगे।
आगामी माह 25 नवम्बर शनिवार को शताब्दी वर्ष का भव्य समापन तालकटोरा इंडोर स्टेडियम मे प्रात: 11 बजे दीप प्रज्ज्वलन एवं गणेश वंदना, गढ़वाल हितैषिणी सभा की 100 वर्ष की यात्रा पर वृतचित्र का प्रस्तुतिकरण, सभा द्वारा प्रकाशित स्मारिका का लोकार्पण, मुख्य एवं विशिष्ट अतिथियों का सम्मान, उत्तराखंडी सांस्कृतिक कार्यक्रम, उत्तराखंड की प्रतिष्ठित संस्थाओ जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र मे राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय क्षितिज पर उत्कृष्ट कार्य कर उत्तराखंड का मान- सम्मान बढ़ाया हो, ऐसी संस्थाओ को गढ़वाल हितैषिणी शताब्दी ‘स्वरोजगार’ सम्मान, आचार्य जोध सिंह रावत स्मृति ‘स्वास्थ एवं शिक्षा’ सम्मान, गढ़वाल हितैषिणी शताब्दी ‘कला एवं संस्कृति’ सम्मान, गढ़वाल हितैषिणी शताब्दी ‘पर्यावरण’ सम्मान तथा गढ़वाल हितैषिणी शताब्दी ‘खेल’ सम्मान 2023 तथा उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में अद्वितीय कार्य करने वाली विभूतियों को पर्यावरण के क्षेत्र मे वृक्षमित्र गौरा देवी ‘पर्यावरण प्रहरी’ सम्मान, खेल के क्षेत्र मे पद्मश्री बछेन्द्री पाल ‘खेल’ सम्मान, कला एवं संस्कृति के क्षेत्र मे विश्व मोहन बडोला ‘कला एवं संस्कृति’ सम्मान, कृषि एवं बागवान के क्षेत्र मे गोबिंद चंदोला स्मृति सम्मान, स्वरोजगार के क्षेत्र मे वीर सिंह कंडारी ‘कर्मवीर’ सम्मान 2023 प्रदान करने के साथ ही ऐतिहासिक शताब्दी वर्ष के समापन की घोषणा की जायेगी।
गढ़वाल हितैषिणी सभा पदाधिकारियों द्वारा अवगत कराया गया उनकी वर्तमान कार्यकारिणी का प्रयास अतीत को छूने का प्रयास है। सभा के साथ जुडे उन समर्पित सदस्यों जिन्होंने वैवाहिक जीवन के पचास वर्ष पूर्ण कर लिए हैं उन सभी सदस्यों को सपत्नीक शताब्दी वर्ष पर सभा द्वारा सम्मानित किया जायेगा। अवगत कराया गया ऐसे सम्मानित होने वाले सदस्यों की संख्या 45 है। वरिष्ठ अग्रजो का आशीर्वाद हेतु 52 सदस्यों को जिनकी उम्र 65 वर्ष से अधिक है उक्त सदस्यों को वरिष्ठ नागरिक सम्मान प्रदान किया जायेगा।
उत्तराखंड की लोक संस्कृति की समग्र झलक को सामने रखने के प्रयास के तहत, पारंपरिक उत्तराखंडी व्यंजन मेले मे व्यंजनो के दस स्टालो मे प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतियोगी स्टालो को सम्मानित किया जायेगा व अन्य सात स्टालो को प्रशस्तिपत्र प्रदान किए जायैगे। पारंपरिक उत्तराखंडी व्यंजनो मे अंचल के मोटे अनाजो से निर्मित स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जायैगे। विभिन्न आयु वर्गो मे आभूषण प्रतियोगिता तथा अन्य अनेको अन्य प्रतियोगिता के बावत भी अवगत कराया गया। प्रतियोगिता विजेताओ को दो दिन तीन रात टिहरी झील लेक व्यू रिज़ॉर्ट मे स्टे करने हेतु फ्री पास प्रदान किए जायैगे। उत्तराखंड अंचल की तीनों बोली-भाषाओं के कलाकारों के लोकगीतों व नृत्यों का मंचन संगीतकार राजेन्द्र चौहान व नृत्यकार लक्ष्मी पटेल के निर्देशन मे मंचित किए जायैगे। डाॅ सतीश कालेश्वरी द्वारा रचित थीम पर भी कार्यक्रम मंचित किया जायेगा।
अवगत कराया गया 29 अक्टूबर शताब्दी वर्ष कार्यक्रम के मुख्य अतिथियों मे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरबिंद केजरीवाल, केन्द्रीय रक्षा व पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट, केन्द्रीय पर्यटन व संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी, उत्तराखंड के अनेको विधायक इत्यादि इत्यादि मुख्य व विशिष्ट अतिथि होंगे।
आयोजित प्रेस वार्ता मे लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी द्वारा गाया व संगीतबद्ध शताब्दी वर्ष पर रचित शीर्षक गीत पत्रकारों को सुना कर जारी किया गया। शताब्दी वर्ष पर शताब्दी शुभंकर वाली टी-शर्ट का विमोचन सभा पदाधिकारियों द्वारा किया गया।
सभा के शताब्दी वर्ष पर सभा अध्यक्ष अजय सिंह बिष्ट द्वारा उन पूर्वजो व नीति निर्माताओ को याद किया गया जिन्होंने, अपार लगन, मेहनत व निष्ठा से उत्तराखंड के प्रवासियो के सामाजिक मेल-मिलाप के साथ-साथ, सांस्कृतिक उत्थान तथा अंचल की लोककला, लोकसंस्कृति व बोली-भाषा के संरक्षण व संवर्धन के लिए वर्ष 1923 मे ‘गढ़वाल हितैषिणी सभा’ की स्थापना शिमला मे कर, प्रवासियों के भावी हित मे एक नेक व दूरदर्शी कार्य किया गया था। जिस सोच व कार्य के प्रतिफल दिल्ली प्रवास मे आज ‘गढ़वाल हितैषिणी सभा’ न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि देश के अन्य प्रवासी समाजों व संस्थाओ के मध्य, रचनात्मक कार्यो के क्षेत्र में एक मुख्य प्रतिनिधि संस्था के रूप मे विगत दस दशकों से नामचीन संस्थाओ मे सुमार रही है।
सभा अध्यक्ष द्वारा अवगत कराया गया, निरंतर वर्षभर सभा सदस्यों द्वारा जन सरोकारों से जुडे कार्यक्रम न सिर्फ दिल्ली महानगर मे उत्तराखंड के गांव देहात मे भी आयोजित किए जाते रहे हैं। चाहे वह कार्यक्रम नोनिहालो की शिक्षा से जुड़ा हुआ रहा हो या जन की स्वास्थ सुविधाओ से या प्राकृतिक आपदा के समय राहत कार्यो से ही क्यों न हो।
‘गढ़वाल भवन’ जिसका संचालन ‘गढ़वाल हितैषिणी सभा’ पदाधिकारियों द्वारा किया जाता रहा है, दिल्ली मे प्रवासरत प्रवासियो द्वारा गठित सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थाओ की मुख्य प्रतिनिधि संस्था के रूप मे ख्यातिरत सामाजिक संस्था है। दिल्ली उत्तराखंड प्रवास मे अंचल की प्रवासी संस्थाओ के लिए सदैव बहुत मददगार रही है। विभिन्न सांस्कृतिक, सामाजिक व शैक्षिक आयोजनो हेतु ‘गढ़वाल भवन’ का किराया मामूली दर पर रखा गया है, जिस निर्णय के बल, उत्तराखंड की सामाजिक व सांस्कृतिक संस्थाओ को बडी राहत व मदद मिलती रही है।गढ़वाल भवन वर्तमान मे उत्तराखंड के प्रवासियों के एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र के रूप मे जाना जाता है। ‘गढ़वाल हितैषिणी सभा’ सदस्यों द्वारा शताब्दी वर्ष समाज के सभी प्रबुद्ध जनों के सहयोग से अति उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। उत्तराखंडी समाज के लोगों का रचनात्मक सहयोग व योगदन सभा को निरंतर मिलता रहा है, शताब्दी वर्ष मे बढ़चढ़ कर मिल रहा है जो सराहनीय है
दिल्ली प्रवास मे उत्तराखंड के प्रवासी बन्धुओ की अनेकों सुविख्यात गठित संस्थाए हैं जो दशकों से जनसरोकारों के बल न सिर्फ अपनी पहचान बनाए हुई हैं, बल्कि दिल्ली प्रवास मे जीविकोपार्जन कर रहे प्रवासियों को जनसरोकारों के आदर्श पथ पर चलने का मार्ग भी प्रशस्त कर रही हैं। यह सब देश के प्रत्येक नगरों व महानगरो मे उत्तराखंड के प्रवासियों की एका बनाऐ रखने व उनके क्रियाकलापो के संरक्षण व संवर्धन का मार्ग प्रसस्त करने का भी माध्यम है, जिसके बल प्रवास मे गठित संस्थाओं की भूमिका का महत्व जनसरोकारी की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण जान पड़ता है। ‘गढ़वाल हितैषिणी सभा’ के शताब्दी वर्ष पर दिल्ली एनसीआर मे निवासरत लाखों प्रवासियो सहित अंचल के लोगों व देश- विदेश मे निवासरत उत्तराखंडी जन समुदायों मे हर्ष व्याप्त है, प्रतिष्ठित ‘गढ़वाल हितैषिणी सभा’ के 100 वर्ष पूर्ण होने पर, शताब्दी वर्ष धूमधाम से मनाऐ जाने पर।
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