‘उत्तराखंड में: हमारे संसाधन हमारे रोजगार’ पुस्तक का लोकार्पण सम्पन्न
सी एम पपनैं
नई दिल्ली। उत्तराखंड के सु-प्रसिद्ध साहित्यकार डाॅ बिहारीलाल जलंधरी की पुस्तक ‘उत्तराखंड में: हमारे संसाधन हमारे रोजगार’ नामक पुस्तक का लोकार्पण, 19 दिसंबर, डीपीएमआई सभागार, न्यू-अशोक नगर दिल्ली में, ‘उत्तराखंडी प्रसार समिति’ तथा ‘भयात’ नामक एनजीओ के सौजन्य से, उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य व समाजसेवी पं. महिमानंद द्विवेदी की अध्यक्षता मे आयोजित किया गया।
लोकार्पण आयोजन के मुख्य अतिथि उद्योग जगत से जुडे, जी एस रावत तथा विशिष्ट अतिथियो मे डाॅ जीतराम भट्ट, सचिव हिंदी अकादमी तथा कुमांऊनी, गढ़वाली व जौनसारी अकादमी दिल्ली सरकार, डाॅ विनोद बछेती निर्देशक डीपीएमआई, बी एन शर्मा सेवानिर्वत पीएफ कमिश्नर भारत सरकार तथा प्रताप शाही अध्यक्ष अल्मोड़ा ग्राम कमेटी मुख्य थे। उक्त अतिथियों के कर कमलो पुस्तक का लोकार्पण सम्पन्न हुआ। आयोजित लोकार्पण समारोह मे उत्तराखंड के विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक समाजों, साहित्यकारों व पत्रकारों की उपस्थिति मुख्य रही।
लोकार्पण समारोह का श्रीगणेश अतिथियों के कर कमलो, दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। आयोजकों द्वारा, सभी अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ भैंट कर तथा शाल ओढा कर किया गया।
पुस्तक रचयिता, डाॅ बिहारीलाल जलंधरी द्वारा सभागार में उपस्थित सभी प्रबुद्ध जनो का आयोजन मे उपस्थित होने पर, आभार व्यक्त कर, अवगत कराया गया, पुस्तक का लोकार्पण कोरोना विषाणु संक्रमण की त्रासदी के कारण, विगत दो वर्षो के इंतजार के बाद सम्भव हो पाया है। सोचा था पुस्तक उत्तराखंड के परिवेश व परिपेक्ष मे लिखी गई है, लोकार्पण देहरादून मे हो, जो विभिन्न परिस्थितियों के कारणवश सम्भव नहीं हो पाया।
दिल्ली में पुस्तक लोकार्पण पर मिले सहयोग से प्रसन्न हूं। डाॅ बिहारीलाल जलंधरी द्वारा व्यक्त किया गया, न वे साहित्यकार हैं, न लेखक हैं। वे एक शोधार्थी हैं। प्रेरणा स्वरूप यह पुस्तक लिख पाए हैं, जिसकी भूमिका विगत वर्ष दिवंगत हुए देश के सु-विख्यात साहित्यकार स्व.गंगा प्रसाद विमल द्वारा लिखी गई है। उत्तराखंड के संसाधनों का सदुपयोग कैसे सम्भव हो सकता, उक्त तथ्यों व बिंदुओं पर पुस्तक मे प्रकाश डाला गया है।
पुस्तक लोकार्पण के इस अवसर पर प्रताप शाही, सूरज रावत, डाॅ विनोद बछेती, बी एन शर्मा, डाॅ अंजलि थपलियाल, डाॅ जीतराम भट्ट, जी एस रावत द्वारा, लोकार्पित पुस्तक की महत्ता व उपयोगिता पर स-विस्तार प्रकाश डाल, व्यक्त किया गया, पुस्तक के माध्यम से डाॅ बिहारीलाल जलन्धरी द्वारा स्पष्ट किया गया गया है, कैसे मध्य हिमालय की आर्थिकी को दूर करने के लिए, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों को विकसित कर, रोजगार सृजन किया जा सकता है। स-विस्तार संसाधनों की उपलब्धता का वर्णन कर, पुस्तक के माध्यम से एक दिशा देने का प्रयास किया है, जो पुस्तक की उपयोगिता सिद्ध करती नजर आती है।
वक्ताओ द्वारा व्यक्त किया गया, उक्त पुस्तक एक ऐसी कृति है, जो हिमालय के गौरव को बया करती नजर आती है। आज का हिमालय क्षेत्र प्राकृतिक आपदा और जनशक्ति के पलायन के कारण जैसे-जैसे असुरक्षित होता जा रहा है, तब हिमालय के सही अर्थ को डाॅ जलन्धरी द्वारा, उदघृत करने का कार्य, रचित पुस्तक के माध्यम से किया गया है। साथ ही पुस्तक के माध्यम से स्पष्ट किया गया है, कि पर्वतीय अंचल के लिए और मैदानी क्षेत्र के लिए दो भिन्न प्रकार के विकास एव निर्माण के दृष्टिकोण अपनाए जाने क्यों आवश्यक हैं? पुस्तक के माध्यम से अवगत कराया गया है, हिमालय पर्वत अन्य पहाडी पर्वतमालाओ से भिन्न है। भिन्नता के चलते बराबर यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि, क्षतिग्रस्त हो रहे हिमालय को कैसे बचाया जा सकता है।
वक्ताओ द्वारा व्यक्त किया गया, पर्वतीय अंचल के उद्योगो को दृष्टि में रख कर, जडी-बूटियों, घास, बागवानी का उल्लेख प्रमुख तौर पर पुस्तक मे किया गया है। जो एक महत्वपूर्ण क्षेत्र की ओर इंगित करती नजर आती है। सहज भाव से हिमालय क्षेत्र के संसाधनों का उल्लेख पुस्तक मे किया गया है। प्रेरणास्पद सामग्री से युक्त यह महत्वपूर्ण, स्वागत योग्य पुस्तक है।
पुस्तक लोकार्पण के इस अवसर पर, सभागार में उपस्थित उत्तराखंड के हिंदी व आंचलिक बोली-भाषा के साहित्यकारों द्वारा, दिल्ली सरकार हिंदी अकादमी व कुमांउनी, गढ़वाली व जौनसारी अकादमी सचिव डाॅ जीतराम भट्ट को उत्तराखंड के साहित्यकारों की हिंदी व आंचलिक बोली-भाषा की प्रकाशित पुस्तकों की खरीद व महत्ता देने हेतु प्रस्ताव प्रेषित किया गया।
लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता कर रहे पं.महिमानंद द्विवेदी द्वारा व्यक्त किया गया, पुस्तक लिखना, साहित्यिक व क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहन देना, विद्वान रचनाकारों का सम्मान करना हमारा सामाजिक उत्तरदायित्व है। पुस्तक का लोकार्पण करने मे हर्ष हो रहा है। उत्तराखंडी समाज मे कोई कमी नहीं रही है। प्रत्येक क्षेत्र मे हमारे समाज के प्रबुद्ध लोग अग्रणी रहे हैं, जो गागर मे सागर भर देते हैं। रचित पुस्तक बहुत उपयोगी है, जो जन्मसिद्ध अधिकार के तहत लिखी गई है। भविष्य मे प्रभावशाली मौलिक लेखन का क्रम बनाए रखे। अच्छे समागम मे, वेदो व अच्छे साहित्य की चर्चा होती रहनी चाहिए। डाॅ बिहारीलाल जलन्धरी द्वारा पुस्तक अच्छी लिखी गई है जो सामान्य नहीं, बुद्धिमता लिए हुए है। पुस्तक लोकार्पण का आयोजन दो सत्र तक चला। पहले सत्र का मंच संचालन डाॅ पृथ्वीसिंह केदारखंडी द्वारा विद्वतापूर्वक किया गया।
पुस्तक लोकार्पण के दूसरे सत्र में उत्तराखंड के साहित्यकारों गिरीशचंद्र बिष्ट ‘हंसमुख’, दीन दयाल बन्धुनी, भगवती प्रसाद जुयाल, जयपाल सिंह रावत, प्रदीप रावत, नीरज बवाडी, अनूप सिंह नेगी ‘खुदेड’, डाॅ पृथ्वीसिंह केदारखंडी तथा दिनेश ध्यानी द्वारा उत्तराखंड की त्रासदियो से जुडे मुद्दों, रोजगार, पलायन, पर्यावरण इत्यादि पर, कुमांऊनी, गढ़वाली व हिंदी बोली-भाषा मे प्रभावशाली कविता पाठ किया गया, जिसका मंच संचालन दिनेश ध्यानी द्वारा बखूबी किया गया।
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