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दुनियाभर में मानसिकस्वास्थ्यचिंताओं की बढ़ती प्रवृत्ति पर अपनी चिंता  व्यक्त की थावरचंद गहलोत ने

नई दिल्ली।केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत ने आज यहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से “मानसिक स्वास्थ्य: कोविड-19 से आगे एक दृष्टि” विषयपरआयोजितअंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। ऑस्ट्रेलिया-इंडियासंस्थानकेप्रोफेसरक्रेग जेफरी ने इस सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की।
उद्घाटन भाषण देते हुए, श्री थावरचंद गहलोत ने दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं की बढ़ती प्रवृत्ति पर अपनी चिंता व्यक्त की।  साथ ही उन्होंने भारत सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के समाधान के लिए की गई हालिया पहलों जैसे कि मध्यप्रदेशकेसीहोरमें मानसिकस्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान की स्थापना  और ‘किरण’ उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास हेल्पलाइन के बारे में भी जानकारी दी।
दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग- डीईपीडब्ल्यूडी की सचिव श्रीमती  शकुंतला डी गैमलिन ने सम्मेलन के  महत्व पर व्यापक दृष्टिकोण रखते हुए मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों की बढ़ती घटनाओं के समाधान के लिए चिंतन करनेकीआवश्यकतापरध्यानआकर्षित किया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी का एक बेहतर मनोसामाजिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ा है और इससे दुनिया भर में बीमारी का बोझ बढ़ने की संभावना है। दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के संयुक्त सचिव डॉ प्रबोधसेठने सम्मेलनका संचालन किया और देश में अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान की भूमिका पर प्रकाश डाला।
इस सम्मेलन में पाँच तकनीकी सत्र थे जिनमें कुछ प्रमुख मुद्दों पर भारत और ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञों ने विचार-विमर्श किया। इन प्रमुख मुद्दों में अग्रिम पंक्ति के गैर-स्वास्थ्य कर्मियों के तनाव प्रबंधन; बहुसांस्कृतिक मानसिक स्वास्थ्य; मानसिक स्वास्थ्य को बरकरार रखने: घर से काम करने; भारत में आत्महत्या और उससे संबद्ध मीडिया रिपोर्टिंग; भारत और ऑस्ट्रेलिया में मानसिक स्वास्थ्य तथा मानवाधिकार; दिव्यांगता आदि से पीड़ित लोगों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी लचीलापन बनाने के उपकरण और बाल विकास तथा शिक्षा के लिए नई शिक्षा नीति में सन्निहित दृष्टिकोण इत्यादि शामिल थे।
ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त श्री बैरी ओ’फ्रेल ने ऑस्ट्रेलिया में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति का व्यापक विवरण दिया। उन्होंने संबंधित संस्थानों के माध्यम से दोनों सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से पहल करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया ताकि मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों को मुख्यधारा में लाने सहित पुनर्वास क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा दिया जा सके।
सम्मेलन को कुछ अन्य प्रमुख वक्ताओं ने भी संबोधित किया। इनमें पूर्व गृह सचिव तथा मणिपुर और मिजोरम के भूतपूर्व राज्यपाल श्री वी.के. दुग्गल, शिक्षा विभाग भारत सरकार में सचिव श्रीमती अनिता करवाल, मेलबर्न विश्वविद्यालय के उप-कुलपति (अंतर्राष्ट्रीय) प्रो माइकल वेस्ले, मानसिक स्वास्थ्य संस्थान ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष श्री वासन श्रीनिवासन, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भारत के पूर्व महासचिव श्री जयदीप गोविंद, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग में अतिरिक्त सचिव श्री वी. श्रीनिवास, मेलबर्न विश्वविद्यालय के डॉ ग्रेग आर्मस्ट्रांग, एम्स नई दिल्ली के प्रोफ़ेसर डॉ राजेश सागर, मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो डॉ निमेष देसाई, राष्ट्रीय मानसिक जाँच एवं स्नायु विज्ञान संस्थान में मनोरोग विभाग की प्रमुख डॉ (प्रो) प्रतिमा मूर्ति, सर्वोच्च न्यायलय के अधिवक्ता श्री एस.के. रूंगटा, मेलबर्न विश्वविद्यालय के डॉ के. मथियास, नेशनल इंस्टिट्यूट फ़ॉर द एम्पावरमेंट ऑफ़ पर्सन्स विद विज़ुअल डिसबिलिटीज़-देहरादून के निदेशक डॉ.हिमांशु दास, और मेलबर्न विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफ़ेसर नथन ग्रिल्स शामिल थे।
सम्मेलन का आयोजन दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) द्वारा किया गया। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने मेलबर्न विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर ऑस्ट्रेलिया सरकार के साथ नवंबर 2018 में दिव्यांगता क्षेत्र में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था। उक्त समझौता ज्ञापन के तहत एक संयुक्त पहल के रूप में उपरोक्त सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

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