संस्कृति, नृत्य और समाज सेवा का सुंदर संगम–श्रीमती पूजा त्रिपाठी
अपनी संस्कृति के साथ-साथ अपनी रुचियों और हॉबीज को भी जीवन में स्थान दें–पूजा त्रिपाठी
Amar chand
नई दिल्ली। उत्तराखंड की मूल निवासी और वर्तमान में दिल्ली–NCR में रह रही श्रीमती पूजा त्रिपाठी अपने व्यक्तित्व और कार्यों से प्रवासी समाज में एक विशेष पहचान बना चुकी हैं। उत्तराखंडी मूल का होने पर गर्व महसूस करने वाली पूजा त्रिपाठी केवल एक कुशल कथक नृत्यांगना ही नहीं, बल्कि संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुँचाने और समाज को सशक्त बनाने के प्रयासों में भी अग्रणी हैं।
श्रीमती पूजा त्रिपाठी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्रसिद्ध नृत्याचार्य स्वर्गीय श्री आलोक बनर्जी से प्राप्त की और वर्तमान में वे कथक की साधना गुरु सुश्री ममता महाराज के मार्गदर्शन में कर रही हैं। कठोर अभ्यास और अनुशासन ने उन्हें एक परिपक्व कलाकार बनाया है, जो देश के विभिन्न मंचों पर अपनी कला का लोहा मनवा चुकी हैं
पिछले कई वर्षों से वे कथक नृत्य की साधना कर रही हैं और देश के विभिन्न मंचों पर अपनी कला का परचम लहरा चुकी हैं। उनके प्रदर्शन को न केवल सराहना मिली है, बल्कि दर्शकों को भारतीय शास्त्रीय नृत्य की गहराई और सौंदर्य का अनुभव भी हुआ है। अपनी कला यात्रा को उन्होंने केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि बच्चों और युवाओं को भी इस दिशा में प्रेरित किया। वर्तमान में अनेक विद्यार्थी उनके मार्गदर्शन में कथक का अध्ययन कर रहे हैं और भारतीय संस्कृति की धरोहर को समझ रहे हैं।
पूजा त्रिपाठी का मानना है कि परिवार और समाज का प्यार ही उनकी सबसे बड़ी शक्ति है। यही प्रेरणा उन्हें और बेहतर करने तथा अधिक से अधिक लोगों को शास्त्रीय कला और संस्कृति से जोड़ने के लिए उत्साहित करती है। वे युवाओं को यह संदेश देती हैं कि वे अपनी संस्कृति के साथ-साथ अपनी रुचियों और हॉबीज को भी जीवन में स्थान दें, क्योंकि यही संतुलन उन्हें सृजनशील बनाएगा और समाज को एक नई दिशा देगा।
एक हंसमुख, मिलनसार और प्रेरक व्यक्तित्व की धनी श्रीमती पूजा त्रिपाठी ने अपने जीवन से यह सिद्ध किया है कि कला केवल मंच की शोभा बढ़ाने के लिए नहीं होती, बल्कि यह समाज को जोड़ने, संवेदनशील बनाने और नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से परिचित कराने का माध्यम भी है। उनका योगदान न केवल कथक नृत्य को जीवंत बनाए रखने में है, बल्कि समाज को संस्कृति, अनुशासन और आत्मविश्वास की ओर प्रेरित करने में भी है।ज्ञात हो श्रीमती त्रिपाठी विगत कई वर्षों से मैं कथकनृत्यशला नाम की संस्था को नोएडा में चला रही है ।

