सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिये युद्वस्तर पर बचाव अभियान, आगर मशीन कामयाब रही तो जल्द मिल सकती है अच्छी खबर।
(महाबीर सिंह )
नयी दिल्ली, 21 नवंबर (अमर संदेश समाचार) उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिये सरकार ने विभिन्न विकल्पों को ध्यान में रखते हुये सभी पर एक साथ काम शुरू कर दिया है। सबसे ज्यादा उम्मीद सुरंग में अंदर बढ़ रही आगर मशीन से है। केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में सचिव श्री अनुराग जैन की मानें तो इस मशीन के काम में यदि कोई बड़ी अड़चन नहीं आई तो उम्मीद है कि दोे- ढाई दिन में अच्छी खबर मिल सकती है।
सिलक्यारा में बन रही सुरंग में अंदर उपर से अचानक मलबा गिर जाने के कारण वहां काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गये। नौ दिन हो चुके हैं मजदूर अंदर फंसे हैं। वह जल्द से जल्द बाहर निकाले जाने की गुहार लगा रहे हैं, वहीं समय बीतने के साथ उनके परिजनों की चिंता भी बढ़ती जा रही है। सरकार ने भी स्थिति की नजाकत को समझते हुये मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के जितने भी तरीके हो सकते हैं सभी पर काम शुरू कर दिया है। बचाव अभियान के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुये सचिव श्री अनुराग जैन ने कहा, ‘‘आगर मशीन सुरंग में सीधे समतल आगे ड्रिलिंग कर रही है, अगर सब कुछ ठीक रहा तो दो से ढाई दिन में यह फंसे श्रमिकों तक पहुंच सकती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आॅगर सबसे नई तकनीक आई है लेकिन यह स्टील को नहीं काट सकती है, सुरंग में पड़े मलबे में ठोस पत्थरों के साथ सरिया भी हो सकता है, हमने लोहा काटने की भी व्यवस्था की है, इसलिये हमें विश्वास है कि यह सफल होगा। हमारा पूरा ध्यान अंदर फंसे लोगों की जान बचाने पर है। इसलिये जो भी विकल्प हैं सभी पर काम शुरू कर दिया गया है।’’
एनडीआरएफ सदस्य और बचाव अभियान से जुड़े ले. जनरल. (सेवानिवृत) शय्यद अता हसनेन ने घटनास्थल पर चल रही बचाव गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हुये कहा कि 41 मजदूर सुरंग में अंदर फंसे हैं। तमाम तकनीकी विशेषग्यता रखने वाली एजेंसियां वहां घटना स्थल पर मौजूद हैं। अंतरराष्ट्रीय सलाहकारों से भी लगातार विचार विमर्श चल रहा है। चार विदेशी सलाहकार पहुंचे हैं। सुरंग में दो किलोमीटर का स्थान है जहां श्रमिक फंसे हैं। वहां बिजली चालू है क्योंकि जब हादसा हुआ उसमें विद्युत लाइन को नुकसान नहीं हुआ। चार इंच की पाइपलाइन भी वहां थी जो कि उनके लिये आॅक्सीजन, दवा आदि पहुंचाने का काम कर रही है। इस लाइन में फंसे मलबे को दबाव बनाकर साफ किया गया। छह इंच की एक और पाइप वहां पहुंचा दी गई है जिससे श्रमिकों के साथ बातचीत और संचार स्थापित हुआ है। अंदर प्रकाश, पानी उपलब्ध है। स्वास्थ्य सुरक्षा के लिये विटामिन की गोलियां पहुंचाई गई हैं, खाना भी दिया जा रहा है। अंदर फंसे श्रमिकों में सबसे ज्यादा झारखंड के 15, उत्तर प्रदेश के 8, बिहार और ओड़ीशा प्रत्येक के पांच- पांच, पश्चिम बंगाल के तीन, उत्तराखंड और असम से दो- दो, और एक हिमाचल प्रदेश से है।
श्री हसनेन ने बताया कि कुछ मजदूरों के परिजन भी वहां पहुंचे हैं, जिला प्रशासन उन सबके रहने खाने की व्यवस्था कर रहा है। श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिये पांच जगह से प्रयास चल रहे हैं। सबसे बड़ी कोशिश सुरंग में सीधे समतल रूप से आगे बढ़ते हुये आॅगर मशीन के जरिये की जा रही है। इसमें 21- 22 मीटर के बाद बड़ी चट्टान आ गई थी, इसका समाधान किया गया है। सुरंग के उपर पहाड़ी से भी नीचे ड्रिलिंग का काम किया जा रहा है। इसके लिये भारी मशीनों और कलपुर्जों को उपर पहुंचाने का काम किया गया है। सीमा सड़क संगठन ने पहाड़ की चोटी तक पहुंचने के लिये सड़क बनाई है। एनडीआरएफ की टीमें और सेना के इंजीनियर मौके पर मौजूद हैं। एक साथ हर मोर्चे पर काम हो रहा है।
पांच विकल्पों पर हो रहा काम —
1. सिलक्यारा की तरफ से राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) ने आॅगर मशीन के जरिये ड्रिलिंग शुरू कर दी है। मशीन के जरिये 22 मीटर की पाइप टनल बन चुकी है। इसमें 40 मीटर और आगे बढ़ना है।
2. सतुलज जलविद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएन) टनल के उपर से बाहर निकलने की पाइप टनल बनायेगा। पहाड़ के उपर मशीनें और उपकरण पहुंचाने के लिये सड़क बनाई गई, मशीनें पहुंच गईं हैं, उन्हें स्थापित किया जा रहा है। मशीनें गुजरात और ओड़ीशा से मंगाई गईं।
3. ओएनजीसी टनल के उपर बरकोट छोर की तरफ एक अन्य स्थान से ड्रिलिंग कर भीतर फंसे लोगों तक पहुंचने का रास्ता तैयार करेगी। अमेरिका, मुंबई और गाजियाबाद से मशीनरी पहुंच रहीं हैं।
4. सुरंग के दूसरे छोर बड़कोट की तरफ बचाव सुरंग बनाने का काम टिहरी जलविद्युत विकास निगम लिमिटेड (टीएचडीसीएल) को दिया गया है। इसमें दो विस्फोट किये जा चुके हैं जिसमें 6.4 मीटर ड्रिफ्ट हुआ है। रोजाना तीन ब्लास्ट करने की योजना है।
5. रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) भी श्रमिकों को बचाने के लिये सुरंग में माइक्रो-टनलिंग के लिये मशीनरी आदि पहुंचा रहा है। अतिरिक्त बैकअप मशीनों को ओडीशा से मंगाया जा रहा है।
इसके अलावा टीएचडीसीएल, सेना, कोल इंडिया और एनएचआईडीसीएल की संयुक्त टीम द्वारा मैन्युअल-सेमि मैकनाइज्ड तरीके से ड्रिफ्ट टनल का काम किया जा रहा है। वहीं सीमा संड़क संगठन सड़क बनाने और दूसरी मदद वाले काम कर रहा है।
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