बैंकों के लिए आरबीआई के नए नियम 1अक्तूबर से गोल्ड लोन होगा आसान, फ्लोटिंग रेट लोन में भी बदलाव
Amar sandesh नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों के लिए सात नए दिशानिर्देश और चार मसौदा नियम जारी किए हैं जो 1 अक्तूबर 2025 से लागू होंगे। इन बदलावों का मकसद ग्राहकों को राहत देना और बैंकों की कार्यप्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाना है। आरबीआई ने फ्लोटिंग रेट लोन के नियमों में बदलाव किए हैं। अब बैंक तीन साल का इंतजार किए बिना भी स्प्रेड में बदलाव कर सकेंगे और EMI-आधारित पर्सनल लोन पर रीसेट के समय फिक्स्ड रेट का विकल्प अनिवार्य नहीं होगा, यह बैंकों के विवेक पर होगा।
गोल्ड और सिल्वर के बदले ऋण के नियमों में भी बदलाव किए गए हैं। अब केवल ज्वैलर्स ही नहीं बल्कि वे उद्योग भी पात्र होंगे जो सोने का उपयोग कच्चे माल के रूप में करते हैं। इसके अलावा टियर-3 और टियर-4 शहरी सहकारी बैंकों को भी ऐसे ऋण देने की अनुमति दी गई है।
बेसल-III कैपिटल रेगुलेशंस के तहत परपेचुअल डेट इंस्ट्रूमेंट्स और विदेशी मुद्रा या रुपये मूल्यवर्ग बांडों के नियम स्पष्ट किए गए हैं। ये नियम केवल अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर लागू होंगे, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को इससे बाहर रखा गया है।
आरबीआई ने चार मसौदा निर्देश भी जारी किए हैं और इस पर 20 अक्तूबर 2025 तक सुझाव आमंत्रित किए हैं। इसमें गोल्ड मेटल लोन के लिए ज्वैलर्स की पुनर्भुगतान अवधि 180 दिन से बढ़ाकर 270 दिन करना और आउटसोर्सिंग करने वाले गैर-निर्माताओं को भी पात्र बनाना शामिल है। इसके अलावा लार्ज एक्सपोजर फ्रेमवर्क और इंट्राग्रुप ट्रांजैक्शंस एंड एक्सपोजर्स से जुड़े नियमों में स्पष्टता लाने के साथ ITE थ्रेशहोल्ड को टियर-1 कैपिटल से जोड़ा गया है। क्रेडिट इन्फॉर्मेशन रिपोर्टिंग में बैंकों को अब साप्ताहिक आधार पर डेटा जमा करना होगा और उपभोक्ता रिकॉर्ड में CKYC नंबर दर्ज करना अनिवार्य किया गया है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इन बदलावों से ग्राहकों के लिए गोल्ड लोन लेना आसान होगा, फ्लोटिंग रेट लोन अधिक पारदर्शी बनेंगे और बैंकों की पूंजी तथा जोखिम प्रबंधन क्षमता मजबूत होगी।